क्षेत्रीय स्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में भारत-सीएलएमवी भागीदारी जरूरी

इंडिया एक्ज़िम बैंक का शोध अध्ययन
इंडिया-सीएलएमवी बिजनेस कॉन्क्लेव 2020 के उद्घाटन सत्र के दौरान 03 दिसंबर, 2020 को इंडिया एक्ज़िम बैंक के प्रकाशन ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर विकासः भारत के लिए अवसर’ का विमोचन किया गया। इस दौरान भारत के माननीय विदेश राज्य मंत्री श्री वी. मुरलीधरन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव डॉ. गुरु प्रसाद महापात्र, कम्बोडिया के वाणिज्य मंत्रालय के माननीय सेक्रेटरी ऑफ स्टेट श्री चुओन दारा, वियतनाम के उद्योग और व्यापार मंत्रालय के उप मंत्री श्री काओ क्युओक हंग, लाओ पीडीआर की माननीय उद्योग और वाणिज्य मंत्री सुश्री खेमानी फोल्सेना, म्यांमार के माननीय वाणिज्य मंत्री डॉ. थान माइंत, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष तथा कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक श्री उदय कोटक और सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

इंडिया एक्ज़िम बैंक के इस अध्ययन के अनुसार, सीएलएमवी देश आसियान क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सबसे तेजी से बढ़ते देश हैं। इसके अतिरिक्त, आसियान देशों में सीएलएमवी देश ही ऐसे हैं, जहां श्रम दरें न्यूनतम हैं, जिससे उत्पादन की लागत भी कमतर आती है। हालांकि मौजूदा महामारी की स्थिति और इसे रोकने के लिए किए गए उपायों के चलते पर्यटकों की संख्या में गिरावट आने, सप्लाई चेन बाधित होने और विदेशों से मांग में गिरावट आने के कारण पहली छमाही में इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। तथापि, इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएं सुधार के पथ पर अग्रसर हैं।

आर्थिक विकास के मामले में शेष आसियान देशों के साथ कदमताल करने के लिए बुनियादी ढांचागत विकास की मांग बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में वृद्धि को बनाए रखने के लिए नए इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ-साथ मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर का उन्नयन भी जरूरी है। बुनियादी ढांचे की वर्तमान स्थिति (भौतिक संपर्क, डिजिटल कनेक्टिविटी और यूटिलिटी) से पता चलता है कि वियतनाम को छोड़कर शेष सीएलएमवी देशों में बुनियादी ढांचागत विकास के उन्नयन की जरूरत है, ताकि ये देश आसियान की शेष अर्थव्यवस्थाओं के साथ खुद को पूरी तरह एकीकृत कर सकें।

इस अध्ययन में, इस क्षेत्र में व्यापार और निवेश को सुगम बनाने में इन्फ्रास्ट्रक्चर की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है। बुनियादी ढांचागत वित्तपोषण में हाल में आए सुधारों के बावजूद, सीएलएमवी देशों सहित आसियान का वार्षिक इन्फ्रास्ट्रक्चर घाटा 184 बिलियन यूएस डॉलर के उच्च स्तर पर बना हुआ है। इस संबंध में, बुनियादी ढांचागत विकास को सुगम बनाने और वित्तपोषण की कमी को दूर करने के लिए वित्तपोषण के परंपरागत तरीकों के साथ-साथ नए तरीके भी तलाशने की जरूरत है, ताकि निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जा सके। इसके लिए अन्य के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड और सार्वजनिक निजी भागादारी मॉडल अपनाने जैसे उपाय किए जा सकते हैं।

भारत और सीएलएमवी देशों के बीच अच्छी व्यापार भागीदारी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत-सीएलएमवी व्यापार, पिछले एक दशक के दौरान भारत-आसियान औसत व्यापार की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ा है। इस संदर्भ में, इस अध्ययन में भारत और सीएलएमवी देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है। इनमें अन्य के साथ-साथ, ऊर्जा क्षेत्र और जल प्रबंधन, ई-कॉमर्स और डिजिटल कनेक्टिविटी तथा रेल, सड़क, हवाई एवं जलमार्ग सहित भौतिक संपर्क नेटवर्क जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा, भारत और म्यांमार के बीच माल के सीमापार परिवहन को सुगम बनाने के लिए व्यापार केंद्रों पर सीमाई इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की भी जरूरत है।

भारत-सीएलएमवी के बीच बेहतर कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स, एकीकृत सप्लाई चेन, सस्ते और कुशल श्रम की विपुलता का लाभ भारत और सीएलएमवी देशों की कंपनियों को मिलेगा। परिणामतः तकनीकी उन्नयन के साथ-साथ उत्पादन क्षमताएं बढ़ेंगी और क्षेत्रीय स्पर्धात्मकता भी बेहतर होगी।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क कीजिएः

श्री डेविड सिनाटे, मुख्य महाप्रबंधक, शोध एवं विश्लेषण समूह, भारतीय निर्यात-आयात बैंक, केंद्र एक भवन, 21वीं मंज़िल, विश्व व्यापार केंद्र संकुल, कफ़ परेड, मुंबई – 400005, फोनः 91-22-2217 2701, ईमेलः dsinate@eximbankindia.in

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