नयी दिल्ली, 10 सितंबर, 2021- जैसा कि भारत डिजिटल क्रांति की दहलीज पर खड़ा है, इस देश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पारितंत्र विकसित करने और इसमें व्याप्त भारी संभावना का दोहन करने के लिए अति योग्य अकादमिक क्षेत्र के प्रयासों से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच गठबंधन और एकीकरण की जरूरत है। ये विचार टेकआर्क और कंपास आईडीसी द्वारा आयोजित वेबिनार श्दि राइस ऑफ एआई प्रिन्योर्सश् में उद्योगपतियों, सरकार और अकादमिक क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित पैनल द्वारा व्यक्त किए गए। टेकआर्क एक अग्रणी टेक्नोलॉजी एनालिटिक्स, रिसर्च और कंसल्टेंसी फर्म है, जबकि कंपास आईडीसी, अमेरिकी मुख्यालय वाले टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म अर्बन कंपास का देश के बाहर विकास केंद्र है जो एआई और मशील लर्निंग जैसी नयी पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों का रीयल एस्टेट उद्योग के भीतर उपयोग करती है।
इस पैनल ने एआई में अनुसंधान को लोकतांत्रिक बनाए जाने का आह्वान किया और संगठनों के लिए आसूचना (इंटेलिजेंस) तंत्र विकसित करने के लिए विशाल आंकड़ों की ताकत पर भी चर्चा की। पैनल में शामिल लोग इस बात से सहमत दिखे कि भारत में एआई का उपयोग करने की जबरदस्त संभावना है और चूंकि भारत आने वाले दशक में डिजिटल परिवर्तन के साथ अग्रणी रहेगा, प्रत्येक क्षेत्र में इसके उपयोग को लेकर भारी अवसर मौजूद हैं।
कंपास इंक के वैश्विक सीटीओ जोसफ सिरोस ने कहा, मैं पिछले तीन दशकों से एआई के साथ काम कर रहा हूं और सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक संदर्भ में जैसा उत्साहजनक समय अब आया है, ऐसा पहले कभी नहीं था। हमने काफी लंबा सफर तय किया है। पहले एआई विशुद्ध रूप से सुगठित न्यूमेरिकल डेटा पर मशील लर्निंग को लेकर प्रतिबद्ध था और यह आंकड़ों की उपलब्धता तक सीमित था। डीप लर्निंग और ट्रांसफार्मर नेटवर्क्स जैसी पूर्व प्रशिक्षित व्यवस्थाओं से एआई के उपयोग का दायरा बहुत व्यापक हो गया है और यह इमेज, स्पीच, वीडियो, टेक्स्ट और सोशल नेटवर्क विश्लेषण और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग सहित सभी प्रकार के अव्यवस्थित डेटा के लिए उपयोगी बन गया है। एआई का दखल अब संपूर्ण डिजिटल क्षेत्र में हो गया है जिससे सभी उद्योगों में ऑटोमेशन में तेजी आई है, सार्थक यूज़र बातचीत का सृजन हुआ है और लेनदेन से मूल्यवान अंतर्दृष्टि सामने आ रही है।
नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार सुश्री अन्ना राय ने कहा, मौलिक अनुसंधान और क्षेत्र विशेष की जरूरतें पूरी करने वाला एक जबरदस्त पारितंत्र विकसित करने के संबंध में एक दीर्घकालीन विजन के साथ उद्योग और अकादमिक क्षेत्र को सरकार के साथ गठबंधन करने की जरूरत है। एआई को आसानी से अपनाकर नीतियां तैयार करने में जहां सरकारों की अहम भूमिका है, एआई को अंगीकार करना उतना ही महत्वपूर्ण है।
आईआईटी कानपुर में फर्स्ट एंड सी3आई हब के सीईओ डॉक्टर निखिल अग्रवाल ने कहा, भारतीय स्टार्टअप को लेकर अच्छी खबरें यह है कि यह अब स्टार्टअप्स के लिए तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि इनमें से कई स्टार्टअप्स एआई से संचालित हैं। हमें लोगों के बीच यह जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि एआई हमें विस्थापित करने नहीं जा रहा, बल्कि यह हमारे लिए चीजें आसान करने जा रहा है।
आईआईटी दिल्ली में स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख प्रोफेसर मौसम ने कहा, भारतीय एआई उद्योग को तैयारी, उपयोग और एआई अनुसंधानकर्ताओं की संख्या जैसे अन्य पहलुओं को देखते हुए अभी तेज गति से आगे बढ़ने की जरूरत है। सही लोगों के जुटने, मजबूत कंप्यूटिंग ढांचा और सही डेटा से एक मजबूत एआई तंत्र बनाने में मदद मिल सकती है। यह उद्योग अकादमिक क्षेत्र के बीच जबरदस्त गठबंधन के जरिये ही होगा।
इस कार्यक्रम के सूत्रधार टेकआर्क के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक फैसल कावुसा ने कहा, एआई में हर कोई समस्याओं को हल कर रहा है और उन्होंने समाधान निकाला है। इसलिए एआई में काम कर रहा हर व्यक्ति एक उद्यमी है क्योंकि वे दैनिक आधार पर ये आविष्कार कर रहे हैं और कुछ नया कर रहे हैं।
इस परिचर्चा से मुख्य बात निकलकर यह आई सरकार एआई के संबंध में अपनी प्राथमिकताएं रेखांकित कर चुकी है। वैश्विक स्तर पर कंपनियां और संगठन भारी भरकम आंकड़ों की ताकत का इस्तेमाल करने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं और भारत में भी एआई से संभावनाओं का दोहन करने की भारी गुंजाइश है। एसएमई सहित प्रत्येक क्षेत्र डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और इसमें भारी अवसर मौजूद हैं। जहां एआई और अन्य प्रौद्योगिकियों की डिजिटल परिवर्तन में अहम भूमिका है, एआई के क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाना, एसएमई में प्रौद्योगिकियों को लागू करना और प्रतिभाओं को आकर्षित कर उन्हें बनाए रखना जैसी चुनौतियां बनी रहेंगी।