बरेली में रेपिस्ट को सुनाई गई फांसी की सजा

दिल्ली में 23 साल की युवती के साथ गैंगरेप की घटना से जहां एक ओर देश उबल रहा है और दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की जा रही है, वहीं सोमवार को यहां की एक अदालत ने 10 साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के आरोप में दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने फैसले में दिल्ली गैंगरेप की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि देश को एक बार फिर दुष्कर्मियों को फांसी की बहस से आगे जाकर कानून की सीमा के संबंध में विचार करने की जरूरत है।

दस साल की लड़की से दुष्कर्म व हत्या के मामले में पुलिस ने केस डायरी में बताया कि पीड़िता घटना के दिन आरोपी अशोक कश्यप के ट्यूबैल के पास गाय चरा रही थी। तभी वह पानी पीने के लिए ट्यूबैल के पास आई और वहीं अशोक ने उसे दबोच लिया और

कमरे में ले जाकर घिनौनी हरकत की। उसके बाद किसी को घटना जानकारी न हो इसलिए उसने लड़की ही हत्या कर दी और लाश को भूसे में छुपा दिया।

वर्तमान में कैंट थाने में तैनात दरोगा हरिकेश तिवारी उस समय मामले की जांच कर रहे थे। उन्होंने बताया कि यह घटना आज भी उनके जहन में जिंदा है। सूचना पर वह मौके पर पहुंचे तब भूसे में दबी लड़की की लाश को बरामद किया था। अशोक को पकड़ने के बाद उसकी निशानदेही से टयूबैल की कोठरी में लड़की के कपड़े बरामद किए। इन कपड़ों में लड़की की फ्रॉक व अन्य अंगवस्त्रों पर खून के धब्बे थे। वहीं अशोक की पैंट वच्कच्छे पर भी खून के धब्बे मिले। सबसे बड़े खून के धब्बे की लंबाई 30 सेंटीमीटर थी। इसके अलावा मृतका व आरोपी के अंगवस्त्रों पर शुक्राणु पाए गए। पुलिस ने इन कपड़ों को जब लैब में भेजा। तब सच सामने आ गया। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के बाद दुष्कर्म किए जाने व हत्या का आरोप पुष्ट हो गया। इसके बाद यह साबित हो चुका था कि बालिका से रेप व उसकी हत्या करने वाला कोई दूसरा नहीं खुद अशोक था। अदालत में अशोक के खून के धब्बों ने खुद उसके खिलाफ न सिर्फ गवाही दी बल्कि उसके लिए मौत का फंदा भी तैयार कर दिया।

ऐसे पुलिस के जाल में फंसा अशोक

27 मई को घटना के बाद शाम तक यह साफ हो गया था कि घटना अशोक ने ही की है। इसके बाद पुलिस उसे तलाश कर रही थी। लेकिन वह पुलिस से बचते हुए घूम रहा था। अशोक को पकड़ने वाले दरोगा हरिकेश तिवारी ने बताया कि उन्हें पता चला कि अशोक दिल्ली भागने वाला है और इसके लिए रुपये की व्यवस्था करने में जुटा है। पुलिस जानती थी अगर अशोक दिल्ली भाग जाता तब उसका पकड़ा जाना काफी मुश्किल था। लिहाजा पुलिस ने एक जाल बुना। गांव के कुछ लोगों से गोपनीय तरीके से यह संदेश भिजवाया गया कि वह अशोक को पैसा उधार दे देंगे। बशर्ते वह कुछ जेवर गिरवी रखे। अशोक इसी लालच में आ गया। वह जब रुपये उधार लेने गया तब उन्हीं लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया। 29 मई को ही पुलिस ने गांव से अशोक को गिरफ्तार कर लिया।

फैसले में दिल्ली गैंगरेप का भी जिक्र

अशोक को फांसी की सजा सुनाने वाले जज यूसी पांडेय अपने फैसले में दिल्ली के गैंगरेप की घटना का जिक्र करने से नहीं चूके। फैसले में उन्होंने कहा कि दिल्ली कांड के बाद आम जनजीवन, संसद, मीडिया व अन्य वर्गो में इस अपराध से जो वितृष्णा और नाराजगी हो चुकी है, उसकी सार्थकता तभी होगी जब इस प्रकार का अपराध कारित करने वालों को विधि द्वारा विहित अधिकतम दंड दिया जाएगा। दुष्कर्म की मानसिकता रखने वाले व्यक्ति के मस्तिष्क का मानसिक विकृतता पर्यावरण प्रदूषण से अधिक खतरनाक है। इसलिए देश का एक बार फिर दुष्कर्मी को मृत्यु दंड की बहस से आगे जाकर कानूनों की सीमा के संबंध में सोचने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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