गैंगरेप के खिलाफ इंडिया गेट पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को सही तरीके से नियंत्रित न कर पाने के आरोपों के बीच गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने प्रदर्शनकारियों की तुलना हथियारबंद माओवादियों से कर दी।
शिंदे ने सोमवार को कहा कि यह कहना बेहद आसान है कि गृहमंत्री इंडिया गेट जाते और छात्रों से बातचीत करते। कल देश के अन्य हिस्सों में भी किसी पार्टी के प्रदर्शन के दौरान भी कहा जाएगा कि गृहमंत्री वहां बातचीत के लिए क्यों नहीं गए। शिंदे ने उग्र छात्रों की तुलना माओवादियों से करते हुए कहा कि कल को माओवादी कहीं हथियारबंद प्रदर्शन करेंगे, तो क्या हम उनसे भी बातचीत करने जाएंगे।
गृहमंत्री ने कहा कि लोगों को सरकार की भूमिका को समझना चाहिए। वह बातचीत के लिए कही भी नहीं जा सकती। कल को किसी अन्य सरकार के सामने भी ऐसी ही परिस्थिति आई तो क्या वह कहीं भी बातचीत के लिए चली जाएगी।
शिंदे से यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रदर्शनकारियों की तुलना माओवादियों से कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, मैं तो केवल उदाहरण दे रहा हूं। आप इस पूरे प्रकरण को कानून-व्यवस्था से अलग न करें। मैंने इस पर पहले भी उनसे बातचीत की है। जब से प्रदर्शन शुरू हुआ है, मैं उनके [प्रदर्शनकारियों] प्रतिनिधियों से घर में मिला, ऑफिस में मिला। सब कुछ करने के बाद भी वे कह रहे हैं, हमें न्याय चाहिए, तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए। हमारी भी कुछ सीमाएं हैं, उनकी सारी मांगें मान ली गई फिर भी हिंसक प्रदर्शन जारी है। शिंदे ने कहा कि इंडिया गेट पर कल की हिंसा के पीछे कुछ राजनीतिक और असामाजिक तत्वों का हाथ है। हम इसकी जांच कर कर रहे हैं।
इस बीच, भाजपा ने गैंगरेप पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि औरतों के खिलाफ जघन्य अपराध को लेकर उनका बयान लोगों में आत्मविश्वास जगाने वाला नहीं है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि उनका देर से उठाया गया छोटा कदम है। लोग बलात्कार के खिलाफ कड़ा कानून और समयबद्ध कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के मूड को भांपने में नाकामयाब रही है।
उधर, कल प्रदर्शन के दौरान घायल हुए दिल्ली पुलिस के जवान सुभाष चंद तोमर की हालत चिंताजनक बताई जा रही है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उन्हें जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया है।