केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि नक्सलियों के पास अरबों की अघोषित संपति है। अगले पांच साल में नक्सलवाद हिंदुस्तान से खत्म हो जाएगा। रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी किताब लाल सलाम पर बोलते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि पहले चार राज्य नक्सल प्रभावित थे, लेकिन सख्ती के चलते महज देश के 40 जिलों में ही उनका कुछ प्रभाव रह गया है। अगले पांच साल में देश से नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि नक्सलवादियों के पास जिम्सफरोशी में महिलाओं को धकेल कर जमा किए गए अरबों की अघोषित संपत्ति जमा है। दंतेवाड़ा के 76 सीआरपीएफ जवानों की अप्रैल, 2010 में नक्सलियों द्वारा की गई निर्मम हत्या पर लिखी अपनी किताब पर ईरानी ने कहा कि इसमें उन्होंने तमाम बाधाओं के बावजूद भी आम लोगों और जवानों के संघर्ष और साहस को समझने व लिखने की कोशिश की है। जवान तमाम मुश्किल हालातों के बीच भी नक्सलियों के निशाने पर रहते हुए उनससे संघर्ष करते हैं।
कश्मीरी पंडितों की समस्या का समाधान जरूरी
इस दौरान राजनीति पर चर्चा करते हुए ईरानी ने कहा कि साल, 2014 में उनकी अमेठी में बुरी हार हुई थी। इस लड़ाई को मैं अपनी जिद तक ले गई थी। हिम्मत नहीं हारते हुए सब कुछ वहीं से पा लिया। राहुल गांधी को चुनाव हराया। इस बार विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस प्रत्याशी वहां से अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया। उन्होंने कहा कि दुख होता है कि कश्मीरी पंडितों की बात कोई नहीं करता है, जबकि उनकी समस्या का समाधान भी बहुत जरूरी है। पत्रकार प्रज्ञा तिवारी के साथ संवाद करते हुए ईरानी ने कहा कि मेरे लिए यह किताब उन बहुत से लोगों के बलिदान को एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इस देश के संविधान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
जेएलएफ में दीक्षु कुकरेजा और अरूणिमा द्वारा लिखी गई पुस्तक फाइव डिकेड्स आफ इंडिया बिल्ट एनवायरमेंट लांच हुई। इस मौके पर कुकरेजा ने कहा कि आज लोग भारतीय डिजाइनों और वास्तुकला के बारे में जागरूक हो रहे हैं। युवा पीढ़ी से लेकर सरकार तक डिजाइन पर ध्यान दे रहे हैं। यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत है। किताब में आधुनिक तकनीकों और डिजाइनों के साथ ही शहरी स्थायित्व जैसे सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। एक सत्र में फार्म, डिजाइन और फंक्शन पर चर्चा हुई। सतीश गोखले के साथ बात करते हुए अर्चना सुराणा ने डिजाइन के विकास और संस्कृति को बढ़ावा देने आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि हम युवा पीढ़ी को आजादी से सोचने और अपने विचार क्रियान्वित करने की स्वतंत्रता दें।