16 दिसंबर को 23 वर्षीय छात्रा के साथ चलती बस में बर्बरतापूर्ण तरीके से गैंगरेप हुआ और उसके बाद उसे चलती बस से नीचे फेंक दिया गया था। दिल्ली से लेकर सिंगापुर तक इसका इलाज हुआ। आखिरकार 13 दिन बाद दिल्ली गैंगरेप की पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई। शुक्रवार देर रात करीब 2.15 बजे गैंगरेप पीड़िता ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में अंतिम सांस ली।
कब और कैसे गई सिंगापुर
पीड़ित लड़की को सफदरजंग अस्पातल से बुधवार रात करीब ग्यारह बजे एयरपोर्ट पर पहुंचाया गया। डोमेस्टिक एयरपोर्ट से रात करीब 11.35 बजे क्लब-वन के चार्टर्ड विमान ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल के लिए उड़ान भरी।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक मंगलवार रात करीब 12 बजे पीड़ित को गंभीर दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद से वह करीब 22 घंटे से बेहोश रही। उसे जीवन रक्षक उपकरणों के सहारे रखा गया था। उसे नींद की दवाएं दी गई थीं। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक दिल का दौरा पड़ने पर वेंटिलेटर का सपोर्ट बढ़ा दिया गया था। बुधवार को दिन भर मरीज के बारे में आधिकारिक बयान नहीं दिया गया। रोजना साढ़े चार बजे का मेडिकल बुलेटिन भी जारी नहीं किया गया। इससे कई प्रकार की अटकलें और व्यवस्था विरोधी माहौल बना रहा।
डाक्टरों के मुताबिक चार्टर्ड विमान में पीड़ित के माता-पिता सहित चार परिजन, डा. नरेश त्रेहन, डा. यतीन मेहता सहित दस लोग गए थें। हालांकि डा. त्रेहन के जाने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों के मुताबिक तीस हजार फीट उपर एयरएंबुलेंस में भी लड़की को दिल का दौरा पड़ा । तीन बार ऑपरेशन के बावजूद शक्रवार देर रात करीब 2.15 बजे गैंगरेप पीड़िता ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गई। अस्पताल के सीईओ डॉक्टर केलविन लोह ने इस बात की जानकारी देते हुए रात 4.15 बजे कहा कि वी आर सॉरी टू से डेट शी इज नो मोर [हमें अफसोस है कि हम उसे बचा नहीं सके]।
टॉप सीक्रेट था ऑपरेशन सिंगापुर
सफदरजंग अस्पताल में नाजुक हालत में भर्ती दुष्कर्म पीड़ित युवती को इलाज के लिए सिंगापुर भेजे जाने के मामले को एजेंसियों ने टॉप सीक्रेट रखा हुआ था। ऑपरेशन सिंगापुर के मामले में किसी भी अधिकारी को मुंह न खोलने की सख्त हिदायत दी गई थी। इससे अंतिम समय तक लोगों को पता नहीं चला सका कि पीड़ित को कहा ले जाया जा रहा है।
मीडिया भी सफदरजंग अस्पताल से एंबुलेंस का पीछा करते हुए आइजीआइ एयरपोर्ट पहुंची। तब खुलासा हुआ कि उसे सिंगापुर भेजा जा रहा था। एयरपोर्ट के अधिकारियों को भी अंतिम समय में सूचना दी गई। एंबुलेंस जब रास्ते में थी तब अधिकारियों को बताया गया कि एयर एंबुलेंस में तब्दील क्लब वन एयर की चार्टर्ड फ्लाइट डोमेस्टिक टर्मिनल वन-डी से उड़ान भरेगी। उधर, छह घंटे के भीतर पीड़िता सहित उसके साथ जाने वाले दस लोगों के पासपोर्ट-वीजा जुटाए गए। एयरपोर्ट सूत्रों ने बताया कि क्लब वन फ्लाइट में जीवन रक्षक प्रणाली पहले से ही लगा दी गई थी। पीड़िता के आने पर उसमें सिर्फ आक्सीजन गैस सिलेंडर, जरूरी मेडिकल उपकरण व दवाइयां रखी गई।
राजनीतिक था सिंगापुर का सफर
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार सफदरजंग अस्पताल में भर्ती 23 वर्षीय गैंगरेप पीड़िता को इलाज के लिए सिंगापुर भेजने के पीछे मेडिकल कारण कम और राजनीतिक कारण ज्यादा नजर आ रहे हैं। अखबार के अनुसार जब सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता को सिंगापुर शिफ्ट करने का फैसला लिया गया तो इलाज कर रहे डॉक्टरों से बस इतना पूछा गया कि क्या पीड़िता सिंगापुर जाने की स्थिति में है? सरकार ने इलाज कर रहे डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम से यह नहीं पूछा कि सिंगापुर शिफ्ट किया जाए या नहीं? या फिर वहां दिल्ली से बेहतर किस मामले में इलाज होगा।