नई दिल्ली : पिछले साल सीओपी 26 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत 2070 तक शून्य उत्सर्जन हासिल कर लेगा। देश के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुसार, भारत में तेल और गैस की खोज और उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी केयर्नऑयल एंड गैस आज अपने सेक्टर में ईएसजी नेतृत्व की पहल कर रही है और उसने 2050 तक शून्य कार्बन हासिल करने का वचन दिया है।
इसके लिये कंपनी ने कई विविधतापूर्ण पहलों के साथ ईएसजी का एक मजबूत खाका निर्मित किया है और देश के ऑयल एंड गैस सेक्टर में यह कदम उठाने वाली पहली कंपनी बन गई है। इस विश्व पर्यावरण दिवस पर एक और हरित कदम बढ़ाते हुए,केयर्न अपनी सबसे प्रसिद्ध मंगला पाइपलाइन को सौर-परिचालित पाइपलाइन में बदल रही है।
मंगला ऑयल फील्ड की खोज 2004 में राजस्थान में हुई थी और यह उस साल की सबसे बड़ी वैश्विक खोज और 25 वर्षों में भारत की सबसे बड़ी तटवर्ती खोज थी। इस फील्ड में मंगला पाइपलाइन भी है, जो विश्व की सबसे लंबी लगातार गर्म रहने वाली और इंसुलेटेड पाइपलाइन है। यह पाइपलाइन राजस्थान के खेतों से निकलकर गुजरात की रिफाइनरीज तक पहुँचती है और 705 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह पाइपलाइन टेक्नोलॉजी के मामले में एक उत्कृष्ट कृति है, जिसे अत्यंत उर्वर मंगला से उत्पादित होने वाले मोम जैसे क्रूड के परिवहन को बढ़ाने के लिये निर्मित किया गया था।
अब यह प्रसिद्ध पाइपलाइन सोलर को अपनाने जा रही है। कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिये डीकार्बनाइजेशन की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप,केयर्न बिजली के ज्यादा प्रदूषक स्रोतों पर निर्भरता कम कर रही है और उद्योग में एक महत्वपूर्ण मिसाल दे रही है। मंगला की मिडस्ट्रीम टीम ने 2025 तक सभी 36 अबोव ग्राउंड इंस्टालेशंस (एजीआई) में पूरी तरह से सोलर रूफटॉप को इंस्टॉल करने के लक्ष्य के साथ, एक चरणबद्ध तरीके से एजीआई के उपलब्ध क्षेत्रफल पर रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टेक इंस्टाल करने के लिये परियोजना शुरू कर दी है। लक्ष्य है एजीआई के पूरे लोड को सोलर एनर्जी पर डालना और हाइड्रोकार्बन का वहन करने वाली विश्व की सबसे लंबी लगातार गर्म रहने वाली और इंसुलेटेड पाइपलाइन को ज्यादा हरित और क्षमतावान संसाधन बनाना। इससे पहले गुजरात में मिडस्ट्रीम लोकेशन में एजीआई के परिचालन के लिये पूरी बिजली राज्य विद्युत मंडल से आयात की जाती थी और वह कोयले से उत्पन्न होने वाली बिजली थी, जिसके लिये जीएचजी का तीव्र उत्सर्जन होता था। अब तक केयर्न ने 15 केडब्ल्यू की सोलर रूफटॉप क्षमता के साथ कुल 13 एजीआई इंस्टाल किये हैं, जिससे कुल मिलाकर हर साल लगभग 270 टन CO2e कम हो रही है। इसके अलावा, परियोजना को 2025 तक पूरा करने और CO2e जीएचजी की वार्षिक आधार पर कुल लगभग 770 टन कमी करने की योजना है।
दुनियाभर के देश और भारत भी उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिये ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों को अपनाने की दौड़ में हैं। केयर्न ऊर्जा के जीवाष्म और गैर-जीवाष्म स्रोतों में से सर्वश्रेष्ठ को लेकर तेल एवं गैस उद्योग में नेतृत्व कर रही है। कंपनी देश के शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों को लेकर प्रतिबद्ध है और इसके लिये ईएसजी का इसका विजनएक राह प्रदान करता है।