प्रीमियमिकरण के संग भारतीय मदिरा उद्योग अब तक के सबसे खास परिवर्तन का गवाह बन रहा हैः नीता कपूर, सीईओ, आईएसडब्ल्यूएआई

नई दिल्ली, 9 सितंबर 2022: इंडस्ट्री की बहुत सी बड़ी कंपनियों ने ग्राहकों के लिए प्रीमियम श्रेणी के उत्पाद पेश करने पर ध्यान देना शुरु कर दिया है, कुछ कंपनियां अन्य कारोबार के लिए गैर-प्रीमियम ब्रांडों को छोड़ रहे हैं, स्पष्ट तौर देखा जा सकता है की यह रुझान निरंतर बढ़ रहा है। इससे यह भी जाहिर होता है की इंडस्ट्री ने उच्च क्वालिटी और नैतिक उत्पादों में मौजूद संभावनाओं और उनके प्रति बढ़ती जागरुकता का ऐहसास कर लिया है।
इंटरनैशनल स्पिरिट्स एंड वाइंस ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसडब्ल्यूएआई) की सीईओ नीता कपूर ने कहा, ’’बीते दशक में मध्यम वर्ग की आय वृद्धि के चलते लोगों ने अपने नजदीकी रिटेल आउटलेट्स पर वैश्विक ब्रांडों का जायज़ा लेना शुरु किया, जिसके परिणामस्वरूप लिकर स्टोर्स ने भी खुद को अपग्रेड किया है। ये अपग्रेडेड स्टोर्स अपने ग्राहकों को प्रीमियम क्वालिटी सेवा और प्रीमियम ऐहसास प्रदान करते हैं, ये स्टोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर मौजूद ड्यूटी फ्री स्टोर्स जैसे ही शानदार होते हैं।’’
भारत में नई सदी के युवाओं को यह अनुभव बहुत जल्दी हो गया। यह युवापीढ़ी देश को आगे ले जाने वाली उभरती ताकत है, आज के युवा अपने काम में कड़ी मेहनत करते हैं और उनकी खरीदने की शक्ति ज्यादा है, नई सदी के नौजवान सर्वोत्तम सेवाओं की अपेक्षा रखते हैं। इसके साथ ही शराब पीने से जुड़ी जो एक सामाजिक वर्जना रही है वह भी तेजी से टूट रही है। आज के वक्त में पहले से कहीं ज्यादा ग्राहक प्रीमियम उत्पादों को अपना रहे हैं और मद्यपान को लेकर नजरिया भी बदला है क्योंकि महामारी के दौर ने लोगों को घर पर रहते हुए प्रीमियम शराब पीने के ज्यादा मौके दिए। अब घर पर अल्कोहॉलिक पेय पीना या सामाजिक समारोहों में मेहमानों के लिए पेश करना वर्जित नहीं माना जाता। इससे एक दिलचस्प रुझान की शुरुआत हुई है की लोग अब इसको लेकर जिज्ञासु हैं की वे किस उत्पाद का सेवन कर रहे हैं, वे ब्रांडों के पीछे मौजूद कहानियां तलाश रहे हैं और फिर जो जानकारी उन्हें उपलब्ध हो पाती है वह ड्रॉइंग-रूम में बातचीत का आधार बनती है।
महामारी के बाद प्रीमियमिकरण में तेजी आई है क्योंकि अब लोग घरों पर अनूठा अनुभव लेना चाहते हैं और इसके लिए वे प्रीमियम उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं। अनुमानों के मुताबिक मध्यम वर्ग की बढ़ती सम्पन्नता के चलते 55 अरब डॉलर के शराब बाजार में उनकी भागीदारी में सालाना 10 प्रतिशत वृद्धि होगी। हालांकि, अब आगे शराब निर्माताओं के सामने चुनौतियां हैं। ’’शराब निर्माताओं को तकरीबन पिछले 5 वर्षों से राज्य सरकारों से उत्पादों के सप्लायर प्राइस में इज़ाफा करने की मंज़ूरी नहीं मिली है और सारे इनपुट मैटेरियल पर महंगाई के बढ़ते बोझ ने शराब उद्योग के लिए कारोबारी जारी रखना मुश्किल कर दिया है,’’ कपूर ने कहा।
विभिन्न राज्य सरकारों के लिए कॉर्पोरेशन टैक्स के बाद ऐक्साइज़ ड्यूटी राजस्व का दूसरा सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसलिए, निषेध को थोपने से उनकी आय का स्त्रोत पंगु हो जाएगा। नतीजतन, अधिकतर राज्य सरकारों ने यथा स्थिति बरकरार रखी है जिससे उन्हें और मदिरा उद्योग को ही चोट पहुंच रही है।

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