श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ द्वारा वार्षिक कलेंडर विमोचन

बिलासपुर ।समाज व साहित्य की मिश्रित परिकल्पना को फलीभूत करते हुए अग्रणी रूप से कार्य करने वाला मंच कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ की ओर से नए वर्ष के आरंभ में सभी सामाजिक सदस्यों एवं बिलासपुर संभाग के कवियों की उपस्थिति के मध्य भव्य कवि सम्मेलन एवं वार्षिक कैलेंडर का विमोचन किया गया। कार्यक्रम सामुदायिक भवन पोरथा (सक्ती) में विधिवत सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्याम राठौर सरपंच प्रतिनिधि उपस्थित रहे। अध्यक्षता मंच के सह संस्थापक एवं अध्यक्ष राम रतन श्रीवास “राधे राधे”के द्वारा किया गया एवं जयेंद्र कौशिक (सकर्रा ) के द्वारा बहुत ही शानदार आवाज के साथ शायराना अंदाज में गीत ,गजल के द्वारा मंच संचालन से शमां बांधे रखा।
मुख्य अतिथि द्वारा मां वीणा पाणि की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पूजन वंदन कर कार्यक्रम का आरंभ किया गया । मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा “समाज में शिक्षा और साहित्य से ही समाज का विकास हो सकता है” ऐसे आयोजनों के लिए उन्होंने समाज को बधाई दी और इस प्रकार का आयोजन और करने के लिए प्रोत्साहित किया । सभी कवियों ने बहुत ही मनमोहक ढंग से अपनी अपनी रचना का पाठ किया और वातावरण ठहाकों और तालियों से सराबोर होता रहा। कार्यक्रम में विशेष रूप से वीर कुमार साहू ‘ओम’, सुचिता साहू, मधु चौधरी, जयेंद्र कौशिक, संतोष श्रीवास, मूरितराम श्रीवास, बाबूलाल राठौर,अरुण कुमार टंडन, दशरथ सोनी, रविशंकर यादव, विजय लहरे, मधुसूदन सारथी, कुंदन सोनी, नोमिता श्रीवास, जिज्ञासा श्रीवास, कांति देवी कौशिक, मेहुल श्रीवास, खुशी कौशिक, संतोष श्रीवास, भगवती साहू, शिवांश श्रीवास एवं पदाधिकारी रविशंकर श्रीवास (कोषाध्यक्ष), रमाकांत श्रीवास (संस्थापक), डॉ हितेंद्र श्रीवास (महासचिव) एवं अध्यक्ष राम रतन श्रीवास “राधे राधे” साथ ही क्षेत्रीय लोगों की उपस्थिति रही।
अंत मे सभी उपस्थित कवियों को प्रशस्ती पत्र साहित्यक मंच के द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष द्वारा उद्बोधन में कहा कि भारत सदैव वसुधैव कुटुंबकम् और सर्व भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामया को ध्यान में रखते हुए समाज और राष्ट्र के विकास के लिए यह साहित्य मंच सदैव कार्य करते रहेगा एवं देशवासियों को नव वर्ष की बधाई प्रेषित किया । इसी के साथ आभार प्रदर्शित कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई।

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