नयी दिल्ली, 10 अगस्त, 2023- राष्ट्रीय राजधानी में ग्लोबल वुमेन डिप्लोमैट्सः ब्रेकिंग बैरियर्स, शेपिंग ग्लोबल अफेयर्स विषय पर ब्रिक्स सीसीआई वी, ट्रेलब्लेजर्स डायलॉग्स राउंडटेबल बैठक हुई जिसमें विभिन्न देशों की महिला राजनयिकों ने वैश्विक कूटनीतिक भूमिकाओं में लिंग समानता की जरूरत पर बल दिया। ब्रिक्स सीसीआई वी, ब्रिक्स और अन्य मित्र देशों में वाणिज्य एवं उद्योग को प्रोत्साहित करने वाले ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ब्रिक्स सीसीआई) की महिला इकाई है। यह इकाई विभिन्न देशों में महिला सशक्तिकरण पहल और नीतियों पर ध्यान देती है।
ऐतिहासिक रूप से कूटनीति के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। हालांकि, अनुसंधान दर्शाते हैं कि जब महिलाएं टेबल की सीट पर होती हैं तो अस्थिरता और टकराव की स्थिति में उल्लेखनीय रूप से सुधार आता है। वुमेन इन डिप्लोमैसी इंडेक्स 2023 के परिणाम संकेत देते हैं कि पूरी दुनिया में राजदूतों के मामले में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और 2023 में सभी राजदूतों में करीब 20 प्रतिशत महिलाएं हैं। वर्ष 1992 और 2019 के बीच दुनियाभर में शांति प्रक्रियाओं में वार्ताओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज 13 प्रतिशत, मध्यस्था करने वालों में महज छह प्रतिशत और हस्ताक्षर करने वालों में महज छह प्रतिशत रहा। टकराव से प्रभावित देशों में यह संख्या और भी कम रही जहां महिलाएं शांति प्रक्रियाओं में लगभग ना के बराबर रहीं।
इस बैठक को संबोधित करते हुए ब्रिक्स सीसीआई की महानिदेशक डाक्टर बीबीएल मधुकर ने शिक्षा और प्रतिनिधित्व में महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराए जाने के महत्व को रेखांकित किया। डाक्टर मधुकर ने कहा, तेजी से बदलती इस दुनिया में कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय संबंधों की आधारशिला के तौर पर काम करते हुए राष्ट्रों को आकार देती है और वैश्विक मामलों की दिशा तय करती है। हालांकि, इस कूटनीतिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आयाम का बहुत कम प्रतिनिधित्व रहा है और वह है महिलाओं की प्रभावशाली आवाज। महिलाओं को ताकत मिलने से सामाजिक बाधाएं दूर होती हैं।
ब्रिक्स सीसीआई वी के चेयरमैन श्री आरके विश्नोई ने इस कार्यक्रम को अपने विशेष संबोधन में कहा कि कूटनीति में महिलाओं की भूमिका अपरिहार्य है। लोग, अंतरराष्ट्रीय समितियां और नेतृत्व इस बात से सहमत है कि महिलाएं ढेरों विचार लेकर आती हैं जो जीवन में बदलाव ला सकते हैं। जब महिलाओं को इस टेबल पर सीट मिलती है तो टकराव की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आता है।
बैठक में सभी का स्वागत करते हुए ब्रिक्स सीसीआई वी की अध्यक्ष सुश्री रूबी सिन्हा ने कहा, पूरे इतिहास में कूटनीति में महिलाओं के अपरिहार्य योगदान को पहचानते हुए आइये एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम करें जहां हमारे कूटनीतिक प्रयासों में लिंग समानता और महिलाओं का सशक्तिकरण पूरी तरह से एकीकृत हो। ये परिचर्चा ऐसे वर्ष में खासतौर पर महत्वपूर्ण है जब भारत समग्र एवं समावेश के साथ महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर जोर देते हुए जी20 वार्ताओं को विस्तार दे रहा है।
इस गोलमेज बैठक में इथियोपिया दूतावास की डिप्टी हेड ऑफ मिशन सुश्री बिजुनेश मेसेरेत, श्री लंका उच्चायोग की मिनिस्टर काउंसलर सुश्री वाथसाला अमारसिंघे, भारत में इस्रायल दूतावास की प्रथम सचिव (राजनीतिक) सुश्री हैगर स्पाइरो-ताल, चिली दूतावास की तृतीय सचिव एवं काउंसिल सुश्री अमरांता वांदेपेरे और यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेन्स फंड की चीफ ऑफ फील्ड सर्विसेज सुश्री जालपा रत्ना ने हिस्सा लिया। इस परिचर्चा की सूत्रधार ब्रिक्स सीसीआई की गवर्निंग बॉडी की सदस्य सुश्री शर्मिष्ठा घोष थीं, जबकि समापन कार्यक्रम को पूर्व राजदूत मंजू सेठ (सेवानिवृत्त) ने संबोधित किया।
इथियोपिया दूतावास की डिप्टी हेड ऑफ मिशन सुश्री बिजुनेश मेसेरेत ने इथियोपिया में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की रिपोर्ट साझा करते हुए वहां की सरकार की उन पहल का जिक्र किया जिनसे कूटनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने कहा, इथियोपिया में महिला नीति राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर लागू है जिससे सभी क्षेत्रों चाहे वह राजनीति हो, आर्थिक हो या मानवीय क्षेत्र हो, महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित होता है।
श्री लंका उच्चायोग की मिनिस्टर काउंसलर सुश्री वाथसाला अमारसिंघे ने श्री लंका महिला नेतृत्व की शानदार विरासत रेखांकित किया। उन्होंने कहा, श्रीलंका में लोकतंत्र और महिला नेतृत्व की महान परपंरा लंबे समय से रही है। हमारे यहां निःशुल्क शिक्षा है। हमने 1960 में विश्व में पहली महिला प्रधानमंत्री चुना जिन्होंने दिल्ली में श्रीलंका उच्चायोग की आधारशिला रखी।
भारत में इस्रायल दूतावास की प्रथम सचिव (राजनीतिक) सुश्री हैगर स्पाइरो-ताल ने इस परिचर्चा की मेजबानी के लिए ब्रिक्स सीसीआई वी की सराहना की और इस तरह की बातचीत के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा, एक बदलाव लाने की यात्रा, अपने आप में उपलब्धि से कम नहीं है। महिलाओं के प्रतिनिधित्व और जागरूकता फैलाने के एजेंडे को आकार देना, लिंग समानता की दिशा में मार्ग प्रशस्त करने में महत्वपूर्ण है। हम अब भी लिंग भेद की धारणा का सामना कर रहे हैं जिसे और अधिक समावेशी, सक्रिय और सहिष्णु दृष्टिकोण और कभी कभी ठोस कदम अपनाने की जरूरत है।
चिली दूतावास की तृतीय सचिव एवं काउंसिल सुश्री अमरांता वांदेपेरे के मुताबिक, कूटनीति या अन्य किसी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, भेदभाव की गहरी जड़ के संदर्भ में समानता हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में चिली की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में महिला राजदूत 15 प्रतिशत से बढ़कर 33 प्रतिशत पहुंच गई हैं।
इस गोलमेज सम्मेलन में यूनीसेफ सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भी भागीदारी रही। यूनीसेफ की चीफ ऑफ फील्ड सर्विसेज सुश्री जालपा रत्ना ने कूनीतिक भूमिकाओं में भी दीर्घकालीन लिंग समानता सुनिश्चित करने के लिए लड़कियों की प्राथमिक शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को सशक्त करते हुए भारत में यूनीसेफ द्वारा की गई पहल बाल पत्रकार या चाइल्ड रिपोर्टर्स का भी जिक्र किया जिसमें बच्चे अपने समुदायों में बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाते हैं और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों को सीधे अपने अपने राज्यों के मुख्यमंत्री तक ले जाते हैं।
पूर्व राजदूत मंजू सेठ ने अपने समापन संबोधन में एक दिन के लिए समय निकालने की इच्छा जताई जब लिंग समानता के लिए बातचीत, चर्चा का विषय ना हो। सुश्री सेठ ने पुरुषों से कूटनीति समेत सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त करने के लिए आगे आने का अनुरोध किया।
इस गोलमेज सम्मेलन के समापन पर ब्रिक्स सीसीआई की कार्यकारी निदेशक और ब्रिक्स सीसीआई वी की मुख्य संरक्षक सुश्री शबाना नसीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
