“`उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र , बिहार, राजस्थान सहित हिंदीभाषी राज्यों में आख्यायिका की मांग
दिल्ली। केन्द्रीय साहित्य अकादमी, दिल्ली में अकादमी के सचिव डाॅ. के. श्रीनिवासराव और जयपुर के राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी सभागृह में राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष फारूक आफरीदी, प्रतिष्ठित कवि कृष्ण कल्पित,ख्यातनाम कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ, कथाकार उमा और तसनीम खान सहित राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी के निदेशक डाॅ.बी.एल.सोनी की मौजूदगी में वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना के कहानी संग्रह ‘आख्यायिका‘ का लोकार्पण हुआ ।
इसके बाद लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ अरूण कुमार ने आख्यायिका का लोकार्पण करते हुए कहानी संग्रह को प्रेरणादायी बताया । इस अवसर पर प्रतिष्ठित एडवोकेट मनोज लाल भी मौजद रहे। उत्तरप्रदेश के नोयडा और औरेया में ं साहित्यप्रेमी सुनील और एयरफोर्स के पूर्व अधिकारी सलिल कुमार ने आख्यायिका का विमोचन किया। इसके साथ ही राजस्थान के आदिवासी जिले प्रतापगढ में पुलिस अधीक्षक अमित कुमार और कई साहित्यकारों ने आख्यायिका का लोकार्पण कर पुस्तक पर चर्चा की।
इसी तरह उदयपुर में जिला जज श्री गोपाल बिजोरिवाल की मौजूदगी में आख्यायिका पर चर्चा हुई । जयपुर में साहित्यप्रेमी विशाल शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार मनीष भारद्वाज की मौजूदगी में पुस्तक पर चर्चा हुई। दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मीडिया के राष्ट्रीय सहप्रभारी संजय मयुख और चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी.जोशी की मौजूदगी में आख्यायिका पर चर्चा हुई। इसी तरह देश के विभिन्न शहरों में अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ के कहानी संग्रह ‘आख्यायिका‘ पर हो रही परिचर्चा की खबरें रोजाना आ रही है। मुम्बई निवासी अभय सिन्हा बताते हैं कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र , बिहार, राजस्थान सहित हिंदीभाषी राज्यों में साहित्यकार अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ का कहानी संग्रह ‘आख्यायिका‘ पाठकों को भा रहा है ।
बीकानेर में हुई अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ के कहानी संग्रह ‘आख्यायिका‘ पर चर्चा
पत्रकार-साहित्यकार अनिल सक्सेना का सध्य प्रकाशित कहानी संग्रह “आख्यायिका” का लोकार्पण होटल मरुधर पैलेस में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रखर विचारक – चिन्तक डॉ.उमाकांत गुप्त ने कहा कि इस संग्रह में चैबीस कहानियां है। संरचनात्मक स्तर पर कहानियों में भाषा ऋजुता लिए, तीखापन ओढ़े हुए प्रवाहात्मकता को लिए है। संग्रह की कहानियां कहीं कथानक को पकड़ कर नहीं बैठती अपितु आगे बढ़ने का मौका देती हुई, बिना किसी द्वंद्व, उतार-चढ़ाव, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण-जाल से बचती हुई भाषा मूल्य चिंता को रचती है। यही संग्रह का मजबूत पक्ष है।
मुख्य अतिथि डॉ. अजय जोशी ने कहा कि कहानियां रंजन से चिंतन तक विकसित हुई है, फिर भी घटनात्मकता सदैव बरकरार रही है। यही इस संग्रह का उजला पक्ष है। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र जोशी ने कहा कि साहित्य की सबसे लोकप्रिय विद्या कहानी है। साहित्य और विशेषकर लोक साहित्य को समृद्ध करने का काम कहानी विधा ने किया है। साहित्य की इस लोकप्रिय विधा कहानी सुनना और कहने की कला हमारे यहाँ लोक में रही है। जीवन का यथार्थ चित्रण समकालीन कहानी की प्रमुख विशेषता है।
विशिष्ट अतिथि कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि “आख्यायिका” कहानी संग्रह की चैबीस कहानियों को पढ़ते हुए मन करता है कि हम इन्हें लगातार पढ़ते ही जाएं। आज कहानी सामाजिक सरोकार से गहरे तक जुडी है। स्त्री विमर्श और दलित विमर्श, आदिवासी विमर्श, विकलांग विमर्श और मानवीय अस्तित्व कहानी के केंद्र में आ गए हैं। कहानीकार अनिल सक्सेना ने आख्यायिका कहानी का वाचन करते हुए स्त्री पात्र “आख्यायिका” के जीवन संघर्ष को बताया। कार्यक्रम में पत्रकार अशोक माथुर, डॉ.रेणुका व्यास और डॉ.नासिर जैदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी के प्रति आभार प्रेमनारायण व्यास ने ज्ञापित किया।