सेंटर फॉर नॉलेज सॉवरेनटी और एसरी इंडिया ने मास्टर मेंटर्स जियो एनेबलिंग इंडियन स्कॉलर्स प्रोग्राम लांच करने के लिए हाथ मिलाया

नई दिल्ली, दिसंबर, 2023- अग्रणी इंडियन पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक सेंटर फॉर नॉलेज सॉवरेनटी (सीकेएस) और एंड टु एंड जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (जीआईएस) सॉल्यूशंस में उद्योग की अग्रणी एसरी इंडिया टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड ने इस देश में “मास्टर मेंटर्स जियो एनेबलिंग इंडियन स्कॉलर्स”(एमएमजीईआईएस) प्रोग्राम लांच करने के लिए आज हाथ मिलाया। इस प्रोग्राम का लक्ष्य आठवीं कक्षा से स्नातक स्तर के विद्यार्थी हैं और इसके तहत भारत को जियोस्पैटियल टेक्नोलॉजी के लिए भारत को एक ग्लोबल स्किलिंग और इन्नोवेशन हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। यह प्रोग्राम एक मजबूत आईपी रूपरेखा तैयार करने की दिशा में भी काम करेगा जिससे एक वैश्विक जियोस्पैटियल इन्नोवेशन हब बनने की दिशा में अपनी यात्रा में भारत अधिक से अधिक पेटेंट हासिल कर सके। यहां इसरो के पूर्व चेयरमैन श्री किरण कुमार की मौजूदगी में इस सहमति ज्ञापन पर सेंटर फॉर नॉलेज सॉवरेनटी के सचिव श्री विनीत गोयनका और एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री अगेंद्र कुमार द्वारा हस्ताक्षर किया गया।

प्रति वर्ष एक लाख विद्यार्थियों को समर्थ बनाने के लक्ष्य के साथ स्कूल और कॉलेज स्तर पर जियोस्पैटियल के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसरो के पूर्व चेयरमैन श्री किरण कुमार, आईएमडी के पूर्व महानिदेशक डाक्टर केजे रमेश और भारत के पूर्व महासर्वेक्षक श्री गिरीश कुमार जैसे अग्रणी वैज्ञानिकों के निर्देशन में उदीयमान विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर अगली पीढ़ी के जियोस्पैटियल रिसर्च एवं इन्नोवेशन के लिए मंच तैयार करने के लिहाज से इस प्रोग्राम को डिजाइन किया गया है। इस प्रोग्राम का दायरा अखिल भारतीय होगा जिसमें एक समग्र प्रक्रिया के जरिए विद्यार्थियों को मास्टर मेंटर्स से वार्ता कर उनसे विजन प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही उन्हें विशेषज्ञों द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। इस प्रोग्राम को पायलट प्रोजेक्ट के तौरपर जनवरी, 2024 में शुरू किया जा रहा है और पूर्ण रूप से इसे जून, 2024 में प्रारम्भ किया जाएगा। यह प्रयोगात्मक रूप से सीखने और वास्तविक दुनिया की परिस्थितियों में जानकारी लागू करने पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के भी अनुरूप है।

सेंटर फॉर नॉलेज सॉवरेनटी के सचिव श्री विनीत गोयनका ने कहा, “एक कुशल मार्गदर्शक के भीतर एक विद्यार्थी के जीवन का वृहद विस्तार करने की क्षमता होती है। जब हमने एमएमजीईआईएस की अवधारणा तैयार की, हमारा इरादा इस विचार का विस्तार करने और विद्यार्थियों को एक ऐसे प्लेटफॉर्म की पेशकश करने का था जहां ऐसे कौशल का विकास हो जो उन्हें चिंतक के रूप में आकार दे सके। एमएमजीईआईएस के जरिए हमारा लक्ष्य उत्सुकता, गहन चिंतन और समस्या हल करने वाले कौशल पैदा कर विद्यार्थियों का व्यक्तिगत विकास करना है। कुल मिलाकर हमारा लक्ष्य एक ऐसा जबरदस्त आधार तैयार करना है जो हमारे बच्चों को नवप्रवर्तक बनने और हमारे राष्ट्र के विकास में सार्थक योगदान करने के लिए प्रेरित करे।”

एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री अगेंद्र कुमार ने इस गठबंधन को लेकर उत्साह प्रकट करते हुए कहा, “हमें इस महत्वपूर्ण पहल के लिए सेंटर फॉर नॉलेज सावरेनटी के साथ हाथ मिलाते हुए अत्यंत प्रसन्नता है। जीआईएस टेक्नोलॉजीज़ भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है जहां नगर नियोजन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, कृषि और भू रिकॉर्ड, आपदा प्रबंधन व अन्य जैसे सभी क्षेत्रों में इसे लागू करने से नागरिकों के जीवन में सुधार होगा। एमएमजीईआईएस प्रोग्राम स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को जियोस्पैटियल क्षेत्र में चिंतन कर बौद्धिक संपदा तैयार करने के लिए सशक्त बनाने के हमारे साझा विजन को परिलक्षित करता है।यह वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के हमारे लक्ष्य को हासिल करने और विश्व मंच पर भारत की उपस्थिति बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”

अंतरिक्ष आयोग के सदस्य और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन श्री एएस किरण कुमार ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “मास्टर मेंटर जियो-एनेबलिंग प्रोग्राम पेश किया जाना एक अग्रणी नवप्रवर्तक बनने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारा अनुमान है कि इस पहल से युवा भारतीयों द्वारा पेटेंट हासिल करने में तेजी आएगी और वे अपनी रचनात्मकता और इस प्रोग्राम के प्रभावी असर को प्रदर्शित कर सकेंगे। ये पेटेंट पर्यावरण समाधान से लेकर प्रौद्योगिकी उन्नयन तक के क्षेत्र में मिलने की संभावना है जिससे वैश्विक परिदृश्य में भारत का बढ़ता कद रेखांकित होगा।

एमएमजीईआईएस प्रोग्राम को शुरुआती उम्र से बच्चों की स्पैटियल सोच को पोषण देगा जिससे उनके भीतर स्पैटियल डेटा का विश्लेषण कर उनका अर्थ जानने की क्षमता विकसित होगी और इस तरह से नवीन समाधान देने की पीढ़ी पैदा होगी और नई बौद्धिक संपदा का सृजन होगा। यह पहल जियोस्पैटियल नवप्रवर्तन का दायरा बढ़ाएगा जिससे इन्नोवेशन इंडेक्स में भारत का भविष्य मजबूत होगा, बौद्धिक संपदा का सृजन होगा और इसके परिणाम स्वरूप आर्थिक वृद्धि और सामाजिक प्रगति को गति मिलेगी।”

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