दिल्ली पुलिस कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत की जांच कर रही क्राइम ब्रांच दो सप्ताह बाद भी इंडिया गेट पर उस स्थल का पता नहीं लगा पाई है जहां पर पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने प्रदर्शनकारियों द्वारा कांस्टेबल पर हमला करने की बात कही थी। हैरानी की बात यह भी है कि अभी तक क्राइम ब्रांच को सुभाष तोमर का कोई साथी पुलिसकर्मी नहीं मिला है, जिसने उन पर हमला होता देखा हो।
जबकि प्रदर्शन में शामिल योगेंद्र व पाओलिन नामक युवती ने सुभाष की मौत के अगले ही दिन मीडिया के सामने आकर बताया था कि उन्होंने सुभाष तोमर को खुद सड़क पर गिरते देखा था। क्राइम ब्रांच उपायुक्त एसबीएस त्यागी की मानें तो सिपाही पर हमले का स्थान चिन्हित हो जाता तो जांच में आसानी होती। हम सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं। अस्सी हजार पुलिस बल में से अभी तक सुभाष पर हुए हमले का कोई चश्मदीद सामने न आने के सवाल पर श्री त्यागी ने कहा कि आंसू गैस चल रही थी। पत्थरबाजी हो रही थी। पुलिसकर्मी हेलमेट व जैकेट पहने थे। प्रदर्शनकारियों व पुलिस में कई स्थानों पर झड़प हुई थीं।
विभिन्न जिलों व यूनिटों के पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था बनाए रखने की ड्यूटी पर थे। ऐसे में एकाएक यह कह पाना किसी के लिए भी जल्दबाजी होगी कि जिस स्थान पर उसने झड़प होते देखा उसमें सुभाष तोमर ही भीड़ के बीच फंसा था। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में 23 दिसंबर को इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान लोगों पर आंसू गैस व लाठीचार्ज के प्रयोग के दौरान मची भगदड़ में सुभाष तोमर बेहोश पाए गए थे।
सुभाष को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया था जहां 25 दिसंबर सुबह उसकी मौत हो गई थी। विवाद यही से शुरू हुआ जब पुलिस आयुक्त ने सुभाष के शरीर पर चोट लगने से मौत की बात कही, जबकि राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक टीएस सिद्धू का कहना था कि अस्पताल जाए जाते समय सुभाष के शरीर पर चोट के निशान नहीं थे। उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। क्राइम ब्रांच सूत्रों की मानें तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अस्पताल की रिपोर्ट अलग अलग होने से मामले में नया पेंच फंस गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ है कि सुभाष की तीन पसलियां टूटी हुई थीं। उसके शरीर पर अंदरूनी व बाहरी जख्म थे। जबकि अस्पताल के एक्सरे में कोई फ्रैक्चर नहीं है तथा चोटों का जिक्र भी नहीं है। क्राइम ब्रांच उपायुक्त एसबीएस त्यागी के अनुसार इस मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन करने के लिए दिल्ली सरकार को लिखा जा चुका है।
अभी तक उनकी तरफ से कोई आदेश नहीं मिला है। जब डाक्टरों का बोर्ड गठित होगा तब क्राइम ब्रांच पूरे मामले को लेकर उठ रहे सवालों को लिखित रूप में उनके समक्ष रखेगी। जिसके आधार पर पता चलेगा कि सिपाही की मौत कैसे हुई? कहीं उपचार आदि में कोई लापरवाही तो नहीं हुई?