राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद 30000 पैक्स को कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में संचालन में मदद करेगी

नई दिल्ली, जनवरी, 2024: राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) 30,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के सदस्यों को ट्रेनिंग देकर कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में बदलने में मदद करेगी।

30,000 पैक्स के कर्मचारियों के लिए एक ट्रेनिंग कार्यक्रम, फरवरी और मार्च के दौरान आयोजित किया जाएगा ये 30,000 पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद, ये पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण समितियों) बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अपडेट और सरकार और नागरिकों के बीच सभी आवश्यक सेवाओं सेवाएँ प्रदान करने के लिए वन-स्टॉप शॉप बन जाएंगे।

राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा गठित एक स्वशासी सोसायटी है|

केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय सहकारिता मंत्री के कुशल नेतृत्व में, सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं, जो अल्पकालिक सहकारी ऋण संरचना की मूल स्तर हैं।

कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) सरकारी ऑफिसो में जाने की आवश्यकता के बिना नागरिकों को सीधे ई-सेवाएं प्रदान करते हैं।

साथ ही, वे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपकरणों के साथ एक भौतिक बुनियादी ढांचा स्थापित करते हैं।

सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) सेवा वितरण में पारदर्शिता बढ़ाने और अत्यावश्यक सेवाएं लोगों के करीब लाकर उनका बोझ कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एनसीसीटी के एक अधिकारी ने कहा कि 30,000 पैक्स को शिक्षित करने के लिए एक व्यापक ट्रेनिंग प्रोग्राम फरवरी 2024 से शुरू होने वाला है, जो उन्हें सीएससी की विभिन्न सेवाओं की सभी जानकारी देने में सक्षम बनाएगा।

“एनसीसीटी से जुड़े लगभग 80 मास्टर ट्रेनर पुरे देश के 580 जिलों में फैले लगभग 30,000 पैक्स को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। यह प्रशिक्षण फरवरी और मार्च माह के दौरान दिया जाएगा, जिससे पैक्स की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी और इससे करोड़ों किसानों और ग्रामीण आबादी को फायदा होगा।”

ट्रेनिंग 28 राज्यों में पीएससी द्वारा प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण में सीएससी द्वारा दी जाने वाली लगभग 300 सेवाओं के बारे में कंप्यूटर पर प्रैक्टिस शामिल होगा। आने वाले महीनों में इन पैक्सों (कृषि ऋण समितियों) पर फॉलो अप कर उसकी सहायता भी की जाएगी। पैक्स का एकत्रीकरण सहकारी समितियों के राज्यीय रजिस्ट्रार (आरसीएस) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) की मदद से किया जाएगा।

प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज (पैक्स) कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की भूमिका निभाते हुए जल्द ही नागरिकों को बैंकिंग, बीमा, आधार अपडेट और कानूनी सलाह जैसी कई सेवाओं की की भी जानकारी देगी। वे कृषि उपकरण, पैन कार्ड और ट्रेनों, बसों और उड़ानों के लिए बुकिंग और साथ ही कृषि-इनपुट के लिए वन-स्टॉप शॉप भी बन जाएंगे।

नाबार्ड के अनुसार, देश भर में लगभग 63,000 पैक्स हैं, जिनमें से 50,000 पैक्स ने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में कार्य करने के लिए नामांकन किया है। इनमें से 30,000 सक्रिय रूप से ग्रामीण समुदायों को सीएससी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

“मास्टर ट्रेनर्स” द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत वैसे पैक्स जो सीएससी में सेवा दे रहे है उनकी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

सहकारिता मंत्रालय इस प्रोग्राम में अपार संभावनाएं देखती है।

ऐसी उम्मीद है की पैक्स इस विस्तृत सेवा के साथ न केवल अपने 13 करोड़ किसान सदस्यों को लाभान्वित करेगा बल्कि अतिरिक्त राजस्व भी उत्पन्न कर सकेगा और आत्मनिर्भर आर्थिक संस्थान के रूप में बन जायेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, सरकार ने पैक्स को सीएससी के रूप में कार्य करने की अनुमति दी है। इस उद्देश्य के लिए, सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसने पैक्स को ग्रामीण लोगों को 300 से अधिक सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी है।

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