वैवाहिक मंच पर श्री रामचरितमानस ग्रंथ भेंट करते हैं, समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी

नौगांव बुंदेलखंड छतरपुर / भारत में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार संत महात्मा ऋषि मुनि तपस्वी कथा व्यास वेद आचार्य कर्मकांडी ब्राह्मण शिक्षाविद विद्वान और सामाजिक संस्थाएं अपने-अपने स्तर से अपना प्रयास कर रही हैं वहीं बुंदेलखंड क्षेत्र के समाजसेवी तथा राष्ट्रीय आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव बुंदेलखंड द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र में ब्राह्मण वंशज और ब्राह्मण परिवारों में धर्म की ध्वजा स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर वर्ष 2007 से अपने जन्म भूमि ग्राम वीरपुरा नौगांव बुंदेलखंड जिला छतरपुर मध्य प्रदेश से एक संकल्प के साथ उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य तय किया है कि वह जब तक जीवित रहेंगे मानवता राष्ट्रीयता सामाजिक समरसता, महिला सशक्तिकरण, बेटियों बालिकाओं के संरक्षण उनके पालन पोषण और सुरक्षा के साथ-साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे महत्वपूर्ण विषय के साथ काम कर रहे हैं । बुंदेलखंड क्षेत्र की अनेक बेटियों को धार्मिक ग्रंथ सभी वेद पुराण शास्त्रों का निचोड़ श्री रामचरितमानस ग्रंथ को लेकर जन जागरुक कर रहे हैं और बेटियों को अपनी ओर से भेंट करने का प्रयास लगातार जारी है । वह अपने जीवन को तन मन धन से समाज और राष्ट्र को समर्पित करके लगातार बाइक मोटरसाइकिल से समस्या बुंदेलखंड में यात्रा कर रहे हैं और हजारों हजारों शिक्षण संस्थानों में पहुंचकर उन्होंने 20 लाख से अधिक विद्यार्थियों के बीच भारतीय संस्कृति संस्कार और नैतिक शिक्षा व्यवहारिक जीवन की अलख जगाने वाले कर कर रहे हैं और उनका अभियान जारी है ।

गूगल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वह लगातार सक्रिय रहकर सामाजिक दिशा देने का काम करते हैं । वर्ष 1980 से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े हुए हैं पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने निस्वार्थ भाव और ईमानदारी से पत्रकारिता की है जिसकी वह पूरे मध्य प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं । कोविद-19 संकट काल में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर समाज और राष्ट्र की सेवा की है जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता है कैसे काम करने वाले समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी अपने परिवार के खर्चे से कटौती करके निजी धन खर्च करके साथ 17 वर्षों से संपूर्ण बुंदेलखंड में अपनी यात्राएं कर रहे हैं 11 दिसंबर 2023 को उनकी उम्र 67 वर्ष पूरी होने के बाद भी वह लगातार समाज और राष्ट्र को सीमा दे रहे हैं । भारत के महान महापुरुष संत मानस मर्मज्ञ श्री केशव जी ब्रह्मचारी द्वारा वर्ष 1984 में उनकी समाज सेवा और देशभक्ति को देखकर उनका कर्मयोगी की उपाधि कथा व्यास व्यास गद्दी से दी गई थी । भारत लगभग 50 से अधिक कथा व्यास गद्दी से उन्हें समाज सेवा के लिए आशीर्वाद दिया गया है जिसमें चित्रकूट अयोध्या मथुरा वृंदावन बनारस वाराणसी के विद्वानों द्वारा उनके कार्य करने की क्षमता को देखकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया । भारत के वर्तमान महान संतों और कथा व्यास पीठाधीश्वर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बागेश्वर बालाजी पीठाधीश्वर द्वारा उन्हें समाज राष्ट्र सेवा के लिए आशीर्वाद प्रदान हो चुका है और वह लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।
छतरपुर टीकमगढ़ निवाड़ी पन्ना सतना दमोह सागर दतिया ग्वालियर एवं उत्तर प्रदेश के महोबा ललितपुर झांसी बांदा हमीरपुर जनपद जिलों में 20 लाख से अधिक बच्चों के बीच पहुंचकर मोटिवेशन संगोष्ठी आयोजित कर विद्यार्थियों की विधवाओं को निकालना उनके आत्मविश्वास को जगाने मनोबल बढ़ाने माता-पिता गुरु का सम्मान करने की शिक्षा और संस्कृति का विचार प्रसार कर रहे हैं । शिक्षण संस्थाओं विद्यालयों महाविद्यालयों में शिक्षा स्वास्थ्य स्वच्छता, नशा मुक्ति दहेज एक सामाजिक कलंक है, वाहन दुर्घटना रोकने बच्चों में भारतीय संस्कृति संस्कार नैतिक शिक्षा व्यवहारिक जीवन की अलग जगाने का काम करेंगे और वह अपना लक्ष्य लेकर लगातार कार्य कर रहे हैं इस कार्य के लिए उन्हें मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश हरियाणा दिल्ली मुंबई और छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्यों की सामाजिक संस्थाओं सामाजिक संगठनों राष्ट्रीय अनेक मीडिया मंचों के माध्यम से 100 से अधिक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा धर्म की ध्वजा स्थापित करने तथा मानव कल्याण के लिए मानव जीवन उत्तम तरीके से मर्याद जीने के लिए उन्होंने बेटियों के शिक्षा और संस्कारों पर बल देने का प्रयास किया है इसलिए उन्होंने अपने जीवन मैं अपने बेटे शिक्षित योग्य श्री राजदीप गंगेले का विवाह साधारण ब्राह्मण परिवार की बेटी में इस उद्देश्य से लेकर किया है कि बेटी स्नातक शिक्षित थी साथ में श्री रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथो एवं पारिवारिक परिस्थितियों के अनुसार घर गृहस्थी चलाने में निपुण गृह कार्य दक्ष और सरल सब बहुत सहज होने के कारण बिना दहेज समाज में शादी करके उदाहरण प्रस्तुत किया । यह विवाह 27 फरवरी 2016 को संपन्न हुआ वैवाहिक रस्मों के पूर्व छतरपुर जिला कलेक्टर डॉक्टर मसूद अख्तर जिला पुलिस अधीक्षक श्री ललित शाक्यवार क्षेत्रीय विधायक श्रीमानेंद्र सिंह भंवर राजा साहब क्षेत्रीय जनप्रतिनिधी समाजसेवी
साहित्यकारों पत्रकारों शिक्षाविद ने और समाज के प्रमुख व्यक्तियों ने पहुंचकर बाल वधू को आशीर्वाद दिया और समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत हुआ । उन्होंने अपने जीवन में दहेज को एक अभिशाप माना है इसलिए उन्होंने अपना स्वयं का विवाह अपनी संतान का विवाह बेटा बेटियों का बिना दहेज करके स्वयं करके दिखाया जिसके लिए उन्हें ब्राह्मण गौरव रत्न उपाधि से जबलपुर मानस भवन में सम्मानित किया गया था ।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी ने शादी विवाह के मंच पर ब्राह्मण बेटियों को श्री रामचरितमानस ग्रंथ और आरती संग्रह रहल रामायण पढ़ने का सिंहासन सहित भगवान श्री राम जानकी का चित्र भेंट कर एक उदाहरण प्रस्तुत करने का प्रयास किया जिससे कि समाज में सामाजिक समरसता देश प्रेम राष्ट्रीयता और मानव कल्याण के लिए ग्रंथ के माध्यम से जीवन जीने की कला मिलती है ।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी के पूज्य पिताजी मानस मर्वज्ञ पहुंचे हुए संत श्री हरिहर महाराज के नाम से प्रसिद्ध थे और उन्होंने भारत का भ्रमण अनेकों बार किया है समाज को दिशा देने का काम किया उनकी पूज्य माताजी श्रीमती सुमित्रा देवी अपने पति के धार्मिक कार्यों में सहभागी बनकर पूरे भारत में भ्रमण करती रही । किसी काम को आगे बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति को श्री रामचरितमानस ग्रंथ का अध्ययन करना चाहिए और सनातन धर्म की रक्षा के लिए रामराज की कल्पना को साकार करने के लिए हमें प्रत्येक घर में संगठित होकर सुमति के साथ बिना भेदभाव और छल धोखा को त्याग कर बच्चों में धन संग्रह की अपेक्षा भारत की संस्कृति और संस्कारों पर ध्यान देना होगा यदि प्रत्येक भारतवासी अपनी संतान को संस्कार बन और भारत की संस्कृति इतिहास से परिचित कराएंगे तो भारत विश्व गुरु बनने के लिए कोई रोक नहीं सकता है । वर्तमान युग हर व्यक्ति के मुंह से कलयुग का योग बताया जाता है और कलियुग का युग सतयुग त्रेता द्वापर से बहुत ही सरल और मानव कल्याण के लिए श्री रामचरितमानस ग्रंथ में संत बाबा श्री तुलसीदास जी ने लिखा है कि कलयुग के समान को युग नहीं है । जब से कलयुग का शुभारंभ हुआ है तब से मानवता में गिरावट आई है धर्म के मानने वाले लोग पाखंड करने लगे हैं और अपने माता-पिता गुरु बड़ों का अपमान करते देखे जा सकते हैं वेद पुराण शास्त्र उपनिषद धार्मिक ग्रंथो कोई झूठा ग्रंथ बताते हैं और मन गणित बातें करते रहते हैं और धार्मिक पवित्र पावन स्थलों पर मर्यादा तोड़ते अश्लीलता और नग्न बुरे विचार भाषा का उपयोग करते है। समाज में दुष्ट दुराचारी अत्याचारी पापी शोषण करने वाले समाज में आतंकवाद तो दंगा फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमें संकेत होकर धर्म के साथ भारत माता की ध्वजा को फहराने होगा देश की सेवा करने के लिए अपने घर परिवार से समाज से राष्ट्रीय स्तर तक एकता अखंडता और सामाजिक समरसता के साथ आगे बढ़ना होगा ।

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