नई दिल्ली । रूबरू थिएटर,विजय सूरी फाउंडेशन और दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली विश्वविद्यालय इंटर कॉलेज थिएटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया।
इस फेस्टिवल में दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों से आयी दस टीमों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी, जो रंगमंच की विविधता और छात्रों के अद्वितीय अभिनय कौशल का बेजोड़ उदाहरण थीं। रूबरू थिएटर ग्रुप , विजय सूरी फाउंडेशन और श्री गुरु तेग़ बहादुर खालसा कॉलेज के हिंदी ,पंजाबी और इंग्लिश विभाग के संयुक्त प्रयास द्वारा आयोजित दिल्ली विश्वविद्यालय इंटर कॉलेज थिएटर फेस्टिवल रहा ।
हम सभी समाज का हिस्सा हैं , हमारी समस्याएं साँझा हैं, सामाजिक मुद्दों के प्रति हम सभी उत्तरदायी हैं। इसी के मद्देनज़र इस आयोजन में किसी भी सामाजिक समस्या का मंचन पंजाबी, हिंदी व इंग्लिश भाषा में विषय रहा । इस रंगमंच उत्सव में दिल्ली विश्वविद्यालय की एआरएसडी कॉलेज की ड्रामेटिक सोसाइटी द्वारा रंगायन, मोती लाल नेहरू कॉलेज की टीम द्वारा रंगधर्मी, कस्तूरी राम कॉलेज ऑफ हॉयर एजुकेशन की टीम द्वारा अंशिश, पीजीडीएवी कॉलेज की ड्रामेटिक सोसाइटी द्वारा नेपथ्य, लेडी इरविन कॉलेज की टीम द्वारा मुखौटा, डॉ. अखिलेश दास गुप्ता इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोफेशनल का ग्रुप द्वारा यक्षाग्न, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट की ड्रामेटिक सोसाइटी द्वारा प्रतिबिंब , हिन्दू कॉलेज की ड्रामेटिक सोसाइटी द्वारा मास्क, एवं शहीद भगत सिंह, इवनिंग कॉलेज ड्रामेटिक सोसाइटी, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, महाराजा सूरजमल कॉलेज एवं रामानुजन कॉलेज की ड्रामेटिक सोसाइटी ने भाग लिया।
प्रत्येक प्रस्तुति ने, न केवल कला के माध्यम से समाजिक संदेश दिया, बल्कि छात्रों के भीतर रचनात्मकता, संवाद और टीम वर्क की भावना को भी उजागर किया। इस अवसर पर श्री गुरु तेग़ बहादुर खालसा कॉलेज के प्रधानाचार्य हरबंस सिंह, प्रोफेसर स्मिता मिश्रा, आकाशवाणी की प्रसारणकर्मी, साहित्यकार, व एनसीइआरटी द्वारा सम्मानित शिक्षाविद विनीता काम्बीरी, कई शिक्षाविद और विशिष्ट अतिथि मौजूद थे ।
इस आयोजन ने थिएटर कला के महत्व को रेखांकित करते हुए, शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। इसमें शामिल छात्रों ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से अभिनय, निर्देशन, और रचनात्मकता के नए आयाम प्रस्तुत किए।
फेस्टिवल का उद्देश्य छात्रों में न केवल कला के प्रति रुचि बढ़ाना था, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत उनकी समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करना था। इस सफलता के साथ, आयोजकों ने भविष्य में भी ऐसे आयोजन करने का आश्वासन दिया, जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास संभव हो सके।