नई दिल्ली, मार्च, 2025– भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की महानिदेशक आईएएस मुग्धा सिन्हा ने यहां आयोजित “वुमेन इन डिजाइन” समिट के दौरान एक अंतर्दृष्टिपूर्ण संबोधन दिया। राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी ने भारत और विश्व दोनों जगह डिजाइन क्षेत्र को आकार देने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की। अपनी यात्रा के अनुभव साझा करते हुए मुग्धा ने बताया कि कैसे वह राजस्थान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव के तौर पर सेवा देते हुए डिजाइन नीति तैयार करने में शामिल हो गईं। वर्ष 2019 में उन्होंने डिजाइन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करते हुए एक डिजाइन काउहोट की स्थापना की। राजस्थान में 13 डिजाइन स्कूल हैं जिनमें से ज्यादातर का नेतृत्व महिलाएं करती हैं और वे अकादमिक क्षेत्र को व्यवहारिक उपयोग से जोड़ने की पहल से लाभान्वित हुई हैं।
मुग्धा ने ज़ोर देकर कहा कि डिजाइन का कला, सांख्यिकी और टेक्नोलॉजी सहित विभिन्न क्षेत्रों के साथ गहरा संबंध है और यह नीति निर्माण में एक अहम भूमिका निभाती है। डिजाइन के क्षेत्र में लिंग असमानता को लेकर महानिदेशक, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार मुग्धा सिन्हा ने कहा, “यद्यपि अधिक संख्या में महिलाएं डिजाइन के कोर्स में दाखिला लेती हैं, पेशेवर अभ्यास में उनका उतरना अब भी एक चुनौती है जहां उनका प्रतिनिधित्व 60 प्रतिशत से घटकर 45 प्रतिशत पर आ गया है। डिजाइन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी पर आंकड़े एकत्रित कर इस अंतर को पाटने के लिए साक्ष्य आधारित नीति निर्माण आवश्यक है।” उन्होंने नीति निर्माताओं और संस्थानों से रोजगार के रुखों और डिजाइन के क्षेत्र में महिलाओं के समक्ष आ रही चुनौतियों का आकलन करने के लिए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) से रिपोर्ट्स लेकर इस पर काम करने का भी आग्रह किया।
मुग्धा के मुताबिक, डिजाइन में महिलाओं के लिए प्रमुख प्राथमिकताएं विविधता, समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के इर्द गिर्द है। उन्होंने यूज़र के अनुभवों को समझने में एथनोग्राफिक रिसर्च का महत्व और एलजीबीटीक्यू के प्रतिनिधित्व सहित विविधता की हिस्सेदारी वाली समावेशी नीतियों की जरूरत रेखांकित की। उन्होंने डिजाइन में समानता को बढ़ावा देने के लिए लिंग विभाजित डेटा संग्रह को लेकर विश्व बैंक की पहल को एक मॉडल के तौर पर बताया। उन्होंने शिक्षा, स्वायत्तता और समान अवसरों के जरिए महिलाओं को सशक्त करने की वकालत की और इस बात पर बल दिया कि नीति और व्यवहार में डिजाइन का अधिकार हासिल करने से एक अधिक समावेशी और रचनात्मक भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस समिट के दौरान, रचनात्मक शिक्षा को समर्पित भारत की पहली युनिवर्सिटी वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन (डब्लूयूडी) ने डिजाइन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए तीन असाधारण महिला डिजाइनरों को सृजनशक्ति अवार्ड्स से सम्मानित किया।
वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन के कुलपति डाक्टर संजय गुप्ता ने कहा, “डिजाइन के क्षेत्र में महिलाएं ना केवल सौंदर्य को आकार दे रही हैं, बल्कि वे दृष्टिकोण, उद्योगों और समाज को आकार दे रही हैं। नवप्रर्वतन के साथ सहानुभूति को मिलाने, रणनीति के साथ अंतर्ज्ञान और लचीलेपन के साथ रचनात्मकता को मिलाने की इनकी क्षमता इन्हें डिजाइन के भविष्य के लिए अपरिहार्य बनाती है। वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन में हम उन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं जो नियमों को चुनौती देती हैं, सीमाओं को नए सिरे से परिभाषित करती हैं और विजन के साथ नेतृत्व करती हैं। डिजाइन की दुनिया इनकी वजह से ही अधिक समृद्ध, अधिक समावेशी और अधिक प्रभावशाली है और यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि इनके पास मंच, अवसर और वह पहचान हो जिसकी ये हकदार हैं।”
सुश्री राठी विनय झा, पद्मश्री गीता चंद्रन और सुश्री पिया कैकोनेन की प्रतिष्ठित जूरी ने तीन वर्गों में इन विजेताओं का चयन किया। जहां नूतन दयाल ने वैश्विक टिकाऊ फैशन के लिए डिजाइन आंत्रप्रिन्योर ऑफ दि ईयर का अवार्ड जीता, वहीं डाक्टर शाओन सेनगुप्ता ने डिजिटल हेल्थकेयर लीडरशिप के लिए इंडस्ट्री इन्नोवेशन चैंपियन का अवार्ड जीता। इसी प्रकार, वैश्विक सामाजिक बदलाव के लिए 25 वर्षों से डिजाइन का उपयोग कर रही मोनिका खन्ना गुलाटी को सोशल इंपैक्ट कैटलिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया।