नई दिल्ली, अप्रैल 2025: सरकार द्वारा नान-अलॉय व अलॉय स्टील फ्लैट उत्पादों के आयात पर 12 प्रतिशत सेफगार्ड ड्यूटी (सुरक्षा शुल्क) की घोषणा के बाद भारतीय निर्माण उपकरण (कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट-सीई) उद्योग ने गंभीर चिंता जताई है। घरेलू इस्पात उत्पादकों की सुरक्षा के उद्देश्य से लिए गए इस निर्णय से कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सप्लाई चेन और लागत ढांचे में बहुत व्यवधान आने की उम्मीद है – जो की भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है।
लगभग 9.5 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का भारतीय कंस्ट्रक्शन उपकरण उद्योग संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है। यह उद्योग सड़क, रेलवे, पुल और शहरी विकास सहित इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए आवश्यक हाई-परफॉरमेंस मशीनरी मुहैया कराके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
स्टीलः एक महत्वपूर्ण इनपुट जिसे बदला नहीं जा सकता- कंस्ट्रक्शन उपकरण मैन्युफैक्चरिंग में स्टील सबसे अहम कच्चा माल है, खासकर स्पेशलाइज़्ड हाई-टेंसाइल और परफॉरमेंस ग्रेड स्टील जो वर्तमान में भारत में पर्याप्त मात्रा या स्पेसिफिकेशन पर उत्पादित नहीं होते हैं। चूंकि ये सामग्री बड़े पैमाने पर आयात की जाती है, इसलिए सुरक्षा शुल्क लगाने से निर्माताओं की आवश्यक इनपुट प्राप्त करने की क्षमता तुरंत प्रभावित होती है, जिससे उत्पादन निरंतरता और उपकरणों की समय पर डिलीवरी दोनों पर संकट पैदा होता है।
उद्योग पहले से ही बढ़ती लागत और सप्लाई चेन में तनाव का सामना कर रहा है- घोषणा से पहले ही, सेफगार्ड इंक्वायरी के प्रारंभ ने कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव शुरू कर दिया था। जांच के दौरान स्टील की कीमतों में लगभग 10,000 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई, जिससे मार्जिन जो पहले से ही कम था वह और कम हो गया। अब आधिकारिक तौर पर लगाए गए 12 प्रतिशत शुल्क के साथ, इनपुट लागत में और भी वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे निर्माण उपकरण निर्माताओं को कीमतों में बढ़ोतरी पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसका असर आखिरकार देश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की लागत पर पड़ेगा।
यह घटनाक्रम 1 जनवरी, 2025 को सीईवी स्टेज 5 उत्सर्जन मानदंडों के हाल ही में लागू होने के साथ ही हुआ है – यह एक ऐसा बदलाव है जिसने पहले ही पूरे उद्योग पर लागत का महत्वपूर्ण दबाव बढ़ा दिया है। इन दो विनियामक बदलावों का एक जगह आकर मिलना उद्योग की वित्तीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है।
निर्यात प्रतिस्पर्धा और ग्लोबल पोज़िशनिंग में भारत को झटका- इस निर्णय से वैश्विक निर्माण उपकरण बाजार में भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को भी नुकसान पहुंचने का खतरा है, खास तौर पर ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय खरीदार ‘चीन प्लस वन’ सोर्सिंग रणनीतियों के तहत चीन के विकल्प की तलाश कर रहे हैं। बढ़ती इनपुट लागत और कम लचीलेपन के साथ, भारतीय निर्माण उपकरण निर्माता वैश्विक बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की गति खो सकते हैं, जो भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में स्थापित करने के हमारे व्यापक लक्ष्य के लिए एक झटका है।
सरकार से तत्काल सम्पर्क और पुनर्मूल्यांकन का आह्वान- कंस्ट्रक्शन उपकरण उद्योग सरकार से आग्रह करता है कि वह सुरक्षा शुल्क (सेफगार्ड ड्यूटी) के दीर्घकालिक प्रभावों का तत्काल पुनर्मूल्यांकन करे और डाउनस्ट्रीम उद्योगों को होने वाले नुकसान को कम करने के उपायों पर विचार करे। एक ऐसी नीति की आवश्यकता है जो संतुलित व डेटा-संचालित हो, जो घरेलू इस्पात निर्माताओं और निर्माण उपकरण मैन्युफैक्चरिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का समर्थन करे। इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भारत के इरादों और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता की रक्षा के लिए ऐसी नीति आवश्यक है।
एक वरिष्ठ इंडस्ट्री लीडर ने कहा, ’’हम सरकार से दृढ़तापूर्वक अपील करते हैं कि वह इस तरह के दूरगामी उपायों को लागू करते समय प्रमुख यूज़र इंडस्ट्रीज़ के साथ व्यापक परामर्श में शामिल हो। लागत-प्रभावी और तकनीकी रूप से उपयुक्त कच्चे माल तक पहुँच के बगैर हमारे उद्योग की सेहत और भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन गंभीर जोखिम में रहेगी।’’
निर्माण उपकरण उद्योग सरकार के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि एक टिकाऊ और समावेशी मार्ग तैयार किया जा सके – जो भारत की विकास यात्रा के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की वृद्धि और स्थिरता से समझौता किए बिना मजबूत घरेलू क्षमताओं को सुनिश्चित करे।