काजल सूरी को ‘ग्लोबल विजनरी वुमन एंपावरमेंट अवॉर्ड’

रंगमंच और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
नई दिल्ली ।  रंगमंच और साहित्य की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकीं काजल सूरी को हाल ही में उनके अनूठे योगदान के लिए ‘ग्लोबल विजनरी वुमन एंपावरमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें महिला सशक्तिकरण, सामाजिक चेतना ,रंगमंच और साहित्य में उनके योगदान और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु उनके असाधारण कार्यों के लिए प्रदान किया गया है। वो रंगमंच और साहित्य की सशक्त आवाज़ है । यह पुरस्कार न केवल उनके रचनात्मक और कलात्मक योगदान को मान्यता देता है, बल्कि उनके द्वारा समाज में किए गए महिला सशक्तिकरण और जागरूकता के कार्यों को भी रेखांकित करता है।
काजल सूरी  का रंगमंच से रिश्ता मात्र अभिनय तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह निर्देशन, लेखन और प्रशिक्षण जैसे कई क्षेत्रों में समान रूप से सक्रिय रही हैं। उन्होंने दूरदर्शन श्रीनगर के लिए 700 से अधिक नाटकों और टेलीफिल्मों का निर्देशन व अभिनय किया। काजल सूरी की रंगमंच में यात्रा एक साधारण शुरुआत से लेकर एक अंतरराष्ट्रीय पहचान तक पहुँची है।  उनके द्वारा निर्देशित नाटकों में सामाजिक मुद्दों की गहराई, मानवीय संवेदनाओं की बारीकी और महिलाओं की भूमिका का सशक्त चित्रण देखने को मिलता है।उनका रंगमंच समाज के मुद्दों को गहराई से छूता है । उनके नाटकों का मंचन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हुआ है, जो भारतीय संस्कृति और महिलाओं के सशक्त स्वरूप को वैश्विक पहचान दिलाने का कार्य कर रहा है।
काजल सूरी की साहित्यिक कृतियाँ भी उतनी ही प्रभावशाली हैं जितना उनका रंगमंचीय प्रदर्शन। काजल सूरी एक संवेदनशील लेखिका भी हैं। उनके नाटकों और लेखों में सामाजिक यथार्थ, स्त्री संघर्ष, पारिवारिक ढांचे में बदलाव और नैतिक प्रश्नों की गहराई से पड़ताल की गई है। उनकी लेखनी में एक पक्षधरता है – एक ऐसी स्त्री की, जो चुप नहीं बैठती, बल्कि समाज से सवाल करती है और बदलाव का माध्यम बनती है।उनके लेखन में स्त्री की पीड़ा, उसकी आकांक्षाएं और उसका संघर्ष पूरी गरिमा के साथ प्रस्तुत होता है।
उनकी कहानियाँ और नाटक सामाजिक यथार्थ को उजागर करते हैं। उनका लेखन न केवल पढ़ा जाता है, बल्कि कई बार मंचित भी किया गया है , जिससे वह विचारों को समाज तक प्रभावशाली रूप से पहुँचा सकें। उनकी कहानियाँ और नाटक न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। उन्होंने विशेष रूप से नारी चेतना फैलाने में साहित्य और रंगमंच का प्रभावशाली उपयोग किया है।

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