आईजीआईसी 2025 में विशेषज्ञों ने ग्रामीण एवं टेक्नोलॉजी व औद्योगिक सुधारों में तेजी की वकालत की
बेंगलूरू, जून, 2025- आईजीआईसी 2025 के समापन के अवसर पर आरियन कैपिटल के चेयरमैन मोहनदास पाई, स्मादजा एंड स्मादजा स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी के चेयरमैन क्लॉड स्मादजा टीआईई बेंगलूरू के अध्यक्ष और टीआईई ग्लोबल के ट्रस्टी मदन पाडकी व कर्नाटक डिजिटल इकोनॉमी मिशन (केडीईएम) के सीईओ संजीव कुमार गुप्ता जैसे प्रख्यात वक्ताओं ने भारत को 2030 तक 7-8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में तब्दील करने के लिए एक साहसिक रणनीतिक विजन की रूपरेखा पेश की। इस वार्ता ने महत्वपूर्ण कारकों के तौर पर डिजिटल टेक्नोलॉजीज़, ग्रामीण आर्थिक सशक्तिकरण, औद्योगिक वृद्धि और वैश्विक व्यापार के एकीकरण की भूमिका पर सबका ध्यान आकर्षित किया।
आईजीआईसी 2025 में 300 से अधिक वैश्विक नेता और उद्योग जगत के विशेषज्ञ एकत्र हुए और उन्होंने प्रतिभागियों के साथ आगे की सोच वाले व्यापक विषयों पर चर्चा की जिसमें स्टार्टअप्स के लिए नए फंडिंग के रास्ते और रक्षा एवं सुरक्षा का भविष्य से लेकर एआई नवप्रवर्तन को गति देना, स्वच्छ ऊर्जा में तेजी लाना और टेक्नोलॉजी की भू-राजनीतिक की दिशा में चलना शामिल है। इस दौरान बातचीत में यह संभावना भी तलाशी गई कि कैसे नवप्रवर्तकों द्वारा अत्याधुनिक एआई का उपयोग किया जा रहा है। वहीं, वर्ष 2030 तक 7-8 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था की रूपरेखा तैयार की गई और सीमा पार नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने और भारतीय नवप्रवर्तन को वैश्विक स्तर पर ले जाने की रणनीतियों पर भी विचार किया गया।
इंडिया ग्लोबल इन्नोवेशन कनेक्ट (आईजीआईसी) 2025 के दूसरे दिन प्रमुख उद्योगपतियों के विचार-
स्मादजा एंड स्मादजा स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी के चेयरमैन क्लॉड स्मादजा ने कहा, “भारत में 7-8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है, लेकिन इसके लिए स्पष्ट ध्यान और समय पर क्रियान्वयन की जरूरत पड़ेगी। किसी भी देश ने एक मजबूत औद्योगिक आधार के बगैर टिकाऊ वृद्धि हासिल नहीं की है और भारत को आरएंडडी विशेषकर निजी क्षेत्र से आरएंडडी में अधिक निवेश करते हुए उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। एक ऊंची बचत दर और मजबूत फिनटेक क्षेत्र के साथ भारत के पास वृद्धि के लिए संसाधन जुटाने के टूल्स हैं। यहां आधार है और अब जरूरत त्वरित एवं प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने की है।”
आरियन कैपिटल के चेयरमैन मोहनदास पाई ने कहा, “भारत हर पहलू में एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम दूसरी या तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यहां का बुनियादी ढांचा मजबूत हैः हम निवेश कर रहे हैं, उपभोग बढ़ रहा है, सेवा क्षेत्र में तेजी है और जनसांख्यिकी लाभांश बरकरार है। हमारे पास प्रतिभाएं हैं, महत्वाकांक्षा है और आगे बढ़ने की क्षमता है। यह भी सही है कि व्यापार घाटा, क्रियान्वयन में देरी, कम तनख्वाह वाली नौकरियां जैसी चुनौतियां भी हैं, लेकिन हम वैश्विक वृद्धि में सबसे अधिक योगदान कर रहे हैं और जहां दुनिया बूढ़ी हो रही है, हम युवा बने हुए हैं। यदि हम सही क्रियान्वयन करें, अधिक निर्यात करें, हमारी कंपनियों को सख्त करें और बाजार में बने रहें तो यह देश वृद्धि करेगा। भारत में होने का यह बहुत ही उत्साहजनक समय है।”
एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक अगेन्द्र कुमार ने कहा, “भारत के 7-8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के विजन में सहयोग के लिए जीआईएस और एआई शक्तिशाली तरीके से एकसाथ आ रहे हैं। चाहे वह अधिक स्मार्ट ढांचागत निगरानी को सुगम बनाने वाली स्वामित्व जैसी पहल के जरिए ग्रामीण भूमि को उत्पादक उपयोग में लाना हो या कृषि और फसल नियोजन में दक्षता लाने की बात हो, ये टेक्नोलॉजीज़ पहले ही वास्तविक प्रभाव पैदा कर रही हैं। इस संभावना का पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें शिक्षा को मजबूत करना होगा और जियोस्पैटियल व एआई क्षेत्र में पाठ्यक्रम को अपडेट करना होगा जिससे उद्योग की मौजूदा जरूरतें पूरी की जा सकें और रोजगारपरकता में सुधार लाया जा सके। ये विकसित भारत 2047 के लिए आधारभूत टेक्नोलॉजीज़ हैं।”
टीआईई बेंगलूरू के अध्यक्ष और टीआईई ग्लोबल के ट्रस्टी मदन पाडकी ने भारत के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों को पूर्ण स्वायत्तता देने की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा, “पाठ्यक्रमों को डिजाइन करने की स्वतंत्रता, पढ़ाई में नवाचार और अपना स्वयं के उद्भव का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। यूजीसी और एआईसीटीई जैसे नियामकीय निकायों को मार्गदर्शन निकायों के तौर पर काम करना चाहिए ना कि गेटकीपर के तौर पर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सच्ची भावना को केवल कागज में नहीं, बल्कि उद्देश्य में लागू करना होगा।”
आईजीआईसी 2025 का समापन एक साझा विजन के साथ हुआ। भारत के आर्थिक विकास की जड़ में स्वायत्तता, समावेशी वृद्धि, शहरी सशक्तिकरण और वैश्विक रणनीतिक जुड़ाव को समाहित करना होगा। इस आयोजन में एक स्पष्ट संदेश उभरकर सामने आया कि भारत की अगली छलांग उसके भीतर से लगानी होगी। इससे भारत के नवप्रवर्तन परिदृश्य को आकार देने, अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को मजबूत करने, भारतीय स्टार्टअप्स को स्थापित करने, नीति की रूपरेखा बनाने और वैश्विक प्रभाव के लिए टेक्नोलॉजी पारितंत्र का निर्माण करने के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर आईजीआईसी का बढ़ता महत्व फिर से उजागर हुआ।