पुरी में रथ यात्रा के दौरान कोका-कोला इंडिया ने लाखों श्रद्धालुओं को दी ताज़गी, स्थानीय वेंडर्स को मिला रोज़गार का सहारा

नई दिल्ली,  जुलाई 2025: पुरी में रथ यात्रा 2025 के दौरान जब लाखों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक आयोजन में शामिल होने पहुंचे, तब कोका-कोला इंडिया ने अपने स्थानीय बॉटलिंग पार्टनर्स के साथ मिलकर शहरभर में ताज़गी और राहत पहुंचाने का जिम्मा उठाया। इस पहल के ज़रिए यह सुनिश्चित किया गया कि गर्मी और भीड़ के बीच लोगों को ठंडा पेय आसानी से मिल सके, जिससे वे बिना किसी परेशानी के यात्रा का आनंद ले सकें। इसके साथ ही, यह आयोजन स्थानीय दुकानदारों और छोटे कारोबारियों के लिए भी कमाई का एक बेहतरीन मौका बना, जिससे न सिर्फ़ यात्रियों को राहत मिली बल्कि पुरी की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली।

कोका-कोला इंडिया ने पुरी के हर कोने में अपने मज़बूत नेटवर्क के ज़रिए पेय पदार्थों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित की। जगह-जगह लगाए गए हाइड्रेशन प्वाइंट्स, कियोस्क और मोबाइल यूनिट्स ने जहां श्रद्धालुओं को राहत दी, वहीं स्थानीय दुकानदारों और महिला उद्यमियों को भी आमदनी का अच्छा जरिया मिला। कंपनी ने यह भी ध्यान रखा कि ताज़गी देने के साथ-साथ लोगों की आजीविका में भी सहयोग किया जा सके।

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की सोच से प्रेरित यह पहल कोका-कोला इंडिया की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें ज़मीनी स्तर पर रोज़गार के अवसर बढ़ाना, छोटे व्यापारियों को मज़बूती देना और बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में भागीदारी बढ़ाना शामिल है। इस दौरान पुरी में लगे मोबाइल ठेले स्थानीय दुकानदारों और महिला उद्यमियों ने संभाले, जिससे उन्हें सीधे आमदनी हुई। साथ ही कंपनी ने कई दुकानों और प्रमुख जगहों पर कूलर भी लगाए, जिससे श्रद्धालुओं को हर जगह ठंडा पेय उपलब्ध हो सका और छोटे व्यापारियों की बिक्री भी बढ़ी।

कोका-कोला इंडिया और साउथ वेस्ट एशिया के फ्रेंचाइज़ी ऑपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट विनय नायर ने कहा,
“पुरी में हमारी भागीदारी यह दिखाती है कि कोका-कोला इंडिया सिर्फ ताज़गी ही नहीं, बल्कि उद्देश्य के साथ काम करने में भी यक़ीन रखता है। बड़ी संख्या में लोगों तक ठंडा पेय पहुँचाने के साथ-साथ हमने स्थानीय दुकानदारों और महिला उद्यमियों को कमाई के मौके दिए हैं। यह सब हमारे मज़बूत बॉटलिंग नेटवर्क, वितरक साथियों, खुदरा व्यापारियों और हमारी समर्पित टीम की मेहनत से ही संभव हो पाया है।”

हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस के कमर्शियल क्लस्टर हेड (ओडिशाआंध्र प्रदेशतेलंगाना) प्रसन्ना बोराह ने कहा, “कोका-कोला स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने की अपनी रणनीति के ज़रिए ओडिशा में ज़मीनी स्तर पर असर डाल रही है। हमारे मज़बूत रिटेल नेटवर्क और बेहतर क्रियान्वयन के चलते हम सिर्फ ठंडी ड्रिंक ही नहीं पहुंचा रहे, बल्कि लोगों के लिए रोज़गार और तरक्की के नए रास्ते भी खोल रहे हैं। यह ऐसा मॉडल है जो व्यापार और समाज दोनों को साथ लेकर आगे बढ़ता है।”

कोका-कोला इंडिया अपने सुपरपावर रिटेलर‘ प्रोग्राम के ज़रिए स्थानीय दुकानदारों और महिला उद्यमियों को ट्रेनिंग और ज़रूरी संसाधन दे रही है ताकि वे अपने खुद के रिटेल आउटलेट चला सकें। इस पहल का मकसद यह है कि त्योहारों में बढ़ी भीड़ को कमाई का मौका बनाया जाए और उसे लंबे समय की आमदनी और स्थायी रोज़गार में बदला जा सके।

स्थानीय रिटेलर गायत्री सेनापति ने कहा, “मैं पिछले 11 साल से कोका-कोला के प्रोडक्ट्स बेच रही हूं। रथ यात्रा के समय जबरदस्त भीड़ होती है और हर कोई कुछ ठंडा पीना चाहता है। हम पहले से ही किन्ले, थम्स अप, स्प्राइट, कोका-कोला और मिनिट मेड का स्टॉक तैयार रखते हैं। हमारी दुकान का डिस्प्ले लोगों को आकर्षित करता है और हमें भी इस पर गर्व होता है।”

पुरी के नरसिंह स्वीट्स के मालिक राजेश कुमार राणा ने बताया, “हम ये मिठाई की दुकान पिछले 25 सालों से चला रहे हैं और कोका-कोला अब इस सफर का एक अहम हिस्सा बन चुका है। यहां सालभर त्योहार रहते हैं और लोग आते ही रहते हैं। हम पारंपरिक मिठाइयों के साथ-साथ कोका-कोला, स्प्राइट, थम्स अप और पानी जैसी ठंडी ड्रिंक भी रखते हैं ताकि लोगों को सब कुछ एक ही जगह मिल जाए।”

स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर अजय शाह ने कहा, “हम 2002 से कोका-कोला के साथ काम कर रहे हैं। शुरुआत में कारोबार धीमा था, लेकिन हमें यकीन था कि आगे बढ़ेगा — और ऐसा ही हुआ। आज हमारी स्थिति काफी मज़बूत है। हम छह ट्रक चला रहे हैं और रथ यात्रा जैसे मौकों पर तो काम बहुत तेजी से बढ़ जाता है।”

कोका-कोला इंडिया के ‘बिज़नेस विद पर्पज़’ दृष्टिकोण के तहत, आनंदना (कोका-कोला इंडिया का फाउंडेशन) और हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस (एचसीसीबी) ने रथ यात्रा के दौरान प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए एक विशेष ‘पीईटी वेस्ट क्लीन-अप ड्राइव’ शुरू की। ‘मैदान साफ़’ अभियान के ज़रिए शहरभर में समुद्र तट की सफाई, प्लॉग रन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से प्लास्टिक कचरा कम करने की कोशिश की गई। इस पहल ने साफ-सफाई बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को जिम्मेदारी से जुड़ने का भी मौका दिया।

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