घोटाले में फंसे चौटाला पर गिरेगी और गाज

जेबीटी घोटाले में दोषी ठहराए जा चुके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व उनके सांसद बेटे अजय चौटाला की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। एक तरफ चौटाला के खिलाफ सीबीआई ने सार्वजनिक पद पर रहते हुए आय से अधिक संपत्ति के आरोप में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है, वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी मनी लांड्रिंग रोधी कानून के तहत शिकंजा कसने की तैयारी में है। उधर दिल्ली के तिहाड़ जेल के बाहर चौटाला के समर्थकों ने अपने नेता की गिरफ्तारी के विरोध में हंगामा करना शुरू कर दिया है।

दरअसल जेबीटी घोटाले की जांच के साथ ही सीबीआई ने 2005 में ओमप्रकाश चौटाला, अजय चौटाला और अभय चौटाला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। लगभग पांच साल की जांच के बाद सीबीआई ने 2009-10 में इन तीनों के खिलाफ आय से 150 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति का आरोपपत्र दाखिल कर दिया था। चौटाला परिवार इस चार्जशीट को रद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस चार्जशीट पर अदालत में सुनवाई इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की चार्जशीट को आधार बनाते हुए ईडी ने तीनों चौटाला के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत नया केस दर्ज किया था।

इस कानून के तहत ईडी को अवैध ढंग से कमाई गई संपत्तियों का केस दर्ज करने का हक है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कानूनी अड़चनों के बावजूद उनकी जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी है। चौटाला परिवार की अवैध कमाई से बनाई गई संपत्तियों की पहचान की जा रही है। पहचान पूरी होने के बाद संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

आइएएस संजीव कुमार ने उठाया था घोटाले से पर्दा

ओमप्रकाश चौटाला समेत 55 लोगों की मुसीबत बने जेबीटी भर्ती घोटाले का खुलासा आइएएस अधिकारी संजीव कुमार ने किया था। हरियाणा कैडर के 1985 बैच का यह आइएएस स्वयं भी इस मामले में दोषी करार दिए गए हैं। मूल रूप से धनबाद (झारखंड) के रहने वाले 52 साल के संजीव कुमार अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर हैं। भर्ती के दौरान वह प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पद पर कार्यरत थे, जिन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया था। वे इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां उन्होंने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भर्ती लिस्ट बदलने के लिए उन पर दबाव बनाते थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चौटाला की दी गई लिस्ट को उन्होंने स्वीकार नहीं किया और वाजिब भर्तियां की हैं, लेकिन चौटाला की बात नहीं मानने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

भ्रष्टाचार के मामलों में बरी हो चुके हैं संजीव

सीबीआइ की विशेष अदालत ने संजीव कुमार को 29 सितंबर, 2012 को हरियाणा प्राथमिक शिक्षा परियोजना में उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के दो मामलों में बरी कर दिया था। साथ ही दो अन्य आरोपी डिप्टी डायरेक्टर किरन मिश्रा और जींद के क्लर्क पाल भटनागर को भी बरी किया गया था। ऑडिट रिपोर्ट में हरियाणा प्राथमिक शिक्षा परियोजना परिषद के विभिन्न प्रोजेक्ट के लिए एक करोड़ छह लाख 64 हजार 815 रुपये की वीडियो फिल्म की टेक्स्ट बुक खरीदी थीं। इस खरीदारी में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई थीं।

ऊपरी अदालत में देंगे चुनौती

विशेष सीबीआइ अदालत के फैसले को इनेलो ऊपरी अदालत में चुनौती देगा। मामले में दोषी करार दिए गए विधायक अभय चौटाला ने कहा कि निश्चित तौर पर जीत सच्चाई की होगी। इनेलो के शासनकाल में कभी कोई नौकरी नीलाम नहीं हुई।

तिहाड़ जेल में पहली बार एक साथ पहुंचे 55 कैदी

जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बाद पहला मौका है, जब एक साथ 55 कैदी तिहाड़ जेल पहुंचे। यह तय करने में तिहाड़ प्रशासन के पसीने छूट गए कि उन्हें कहां रखा जाए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को उनके बेटे अजय चौटाला व अन्य दो आरोपी आइएएस अधिकारियों के साथ जेल संख्या-4 के वार्ड-15 में रखा गया है। यह तिहाड़ का वीवीआइपी सेल है। इस वार्ड में ही राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी बंद थे। ओमप्रकाश चौटाला की अधिक उम्र के मद्देनजर बिस्तर (गद्दा व चौकी) दिया गया है।

घोटाला परत-दर परत

15 नवंबर 1999 । प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया।

1 दिसंबर 1999 । मात्र एक पखवाड़े के भीतर इन शिक्षकों के इंटरव्यू ले लिए गए।

7 दिसंबर 2000 । चयनित 3206 अभ्यर्थियों की सूची जारी करने के बाद ड्यूटी ज्वाइन करा दी गई।

2003 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने घोटाले की जांच शुरू की, जिसमें अनियमितताएं सामने आई थीं। जनवरी 2004 में सीबीआइ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके विधायक पुत्र डा. अजय सिंह चौटाला, मुख्यमंत्री के तत्कालीन ओएसडी आइएएस विद्याधर, तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बड़शामी तथा तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार समेत 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। ट्रायल के दौरान इनमें से छह लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

2008 में सीबीआइ ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

16 जनवरी 2013 को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट (सीबीआइ की विशेष अदालत) ने ओमप्रकाश चौटाला, अजय चौटाला, संजीव कुमार समेत सभी 55 आरोपियों को दोषी माना, जिन्हें 22 जनवरी को सजा सुनाई जानी है।

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