नई दिल्ली, जुलाई, 2025- भारत के भावी सांस्कृतिक नेताओं को पोषित करने के लिए वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन (डब्लूयूडी) देश में अपनी तरह का पहला- समकालीन कला एवं डिजाइन के संकलन (क्यूरेशन) में मास्टर ऑफ विजुअल आर्ट्स प्रोग्राम शुरू कर रहा है। वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए डिजाइन यह प्रोग्राम आर्ट क्यूरेशन में करियर के द्वार खोलता है और प्रदर्शनी लगाने के अनूठे मॉडलों, संस्था निर्माण और सामाजिक जुड़ाव के जरिए कला, कलाकारों और समुदायों को जोड़ने में क्यूरेटर की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करता है।
यद्यपि क्यूरेशन को विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में जगह दी गई है, डब्लूयूडी एक समर्पित दो वर्षीय मास्टर प्रोग्राम के तौर पर इसकी पेशकश करने वाली पहली युनिवर्सिटी है। नए पाठ्यक्रम की शुरुआत के साथ डब्लूयूडी का लक्ष्य भारतीय विद्यार्थियों के बीच अंतरराष्ट्रीय मानकों को लाना है जिससे उनमें वैश्विक क्यूरेटोरियल परिदृश्य में उभरने के लिए आवश्यक कौशल एवं दृष्टिकोण विकसित हो सके।
इस पाठ्यक्रम के बारे में वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन के कुलपति प्रोफेसर (डाक्टर) संजय गुप्ता ने कहा, “डब्लूयूडी का ऐतिहासिक मास्टर ऑफ विजुअल आर्ट्स प्रोग्राम इन क्यूरेशन की लांचिंग का यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। वैश्विक कला बाजार 73.43 अरब डॉलर का है और यह सालाना 3.10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जबकि 14.9 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर से भारत का कला बाजार दोगुना होकर 25 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है जिससे कुशल क्यूरेटर्स के लिए ऐसी ऊंची मांग पहले कभी नहीं रही। जैसा कि पूरे भारत में संस्थान तेजी से बढ़ रहे हैं और 91 प्रतिशत कला संग्राहक आशावादी हैं, हम सांस्कृतिक पुनर्जागरण के साक्षी बन रहे हैं। हमारा मास्टर ऑफ विजुअल आर्ट्स प्रोग्राम, अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रशिक्षण के साथ भारत के अगली पीढ़ी के क्यूरेटोरियल नेतृत्वकर्ता तैयार कर हमारे तेजी से उभर रहे सांस्कृतिक परिदृश्य में कला, कलाकारों और समुदायों को पास लाने के लिए इस महत्वपूर्ण अंतर को भरता है।”
विद्यार्थियों को अग्रणी कलाकारों और क्यूरेटर्स से विशेषज्ञ मार्गदर्शन के साथ ही क्यूरेटेड प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं से व्यवहारिक अनुभव मिलेगा। साथ ही उन्हें लखनऊ की कला स्रोत गैलरी, दिल्ली के निव आर्ट सेंटर और गुड़गांव की दि आर्ट रूट गैलरी जैसी अग्रणी वीथिकाओं के साथ मजबूत उद्योग साझीदारी का भी लाभ मिलेगा।
कला इतिहास, संग्रहालय अध्ययन और मनुष्य जाति के विज्ञान को मिलाकर एक विशेषज्ञ अंतरक्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ क्यूरेशन में मास्टर प्रोग्राम विद्यार्थियों को प्रख्यात कलाकारों और क्यूरेटर्स से विशेषज्ञ मार्गदर्शन उपलब्ध कराता है। इस प्रोग्राम में सीमित प्रायोजन भी उपलब्ध है जिसमें चयनित विद्यार्थियों के लिए ट्यूशन फीस में 1,00,000 रुपये छूट की पेशकश की जा रही है।
वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन के स्कूल ऑफ विजुअल आर्ट्स के डीन प्रोफेसर राजन श्रीपद फुलारी ने कहा, “हमारा प्रोग्राम एक व्यवहारिक पाठ्यक्रम की पेशकश करता है जो इतिहास और सिद्धांत में अकादमिक अनुसंधान के साथ गठबंधन और सामाजिक व्यवस्थाओं के बीच संतुलन बनाता है। यहां विद्यार्थी विविध प्रयोगात्मक संदर्भों में काम करते हैं और प्रदर्शनी की योजना बनाने, कलाकारों, संस्थानों और समुदायों के बीच संपर्कों के निर्माण के वैकल्पिक मॉडलों की संभावना तलाशते हैं। वास्तविक दुनिया के सहयोग से प्रदर्शन के जरिए उनमें जागरूकता बढ़ती है, सामाजिक अंतर समाप्त होते हैं और कला की दुनिया के भीतर और इससे परे आदान प्रदान को बढ़ावा मिलता है।”
इस प्रोग्राम को पूरा कर विद्यार्थी ऐसे सांस्कृतिक नेता के तौर पर उभरेंगे जो समावेशी और मिलकर व्यवस्था चलाने के लिए समर्पित हो। इन्हें सांस्कृतिक संस्थानों, कला वीथिकाओं, कला बाजार और अपने समुदायों के भीतर क्यूरेटर की उभरती भूमिका की बारीक समझ होगी।
यह अकादमिक सत्र अगस्त में प्रारंभ होना प्रस्तावित है। पात्रता मापदंड के तहत अभ्यर्थी के पास न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ किसी भी क्षेत्र में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। प्रवेश पीजी आर्ट एप्टीट्यूड टेस्ट के आधार पर होगा जिसके बाद पर्सनल इंटरव्यू लिया जाएगा। प्रवेश 10 अगस्त, 2025 तक खुला है जिसके लिए ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा प्रत्येक शुक्रवार को ली जाती है।