गोस्वामी तुलसीदास व मुंशी प्रेमचन्द की जयन्ती‌ पर हुए कवि सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट

चलते चलते हम गीतों की नगरी आ गए – श्री सत्तन
बिजली कौंधी कवि ने सोचा धूप छलांग रही होगी- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
“”””””””'””””””””””’‘”””””””‘”””””””””””’
श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति इंदौर द्वारा गोस्वामी तुलसीदास व मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के अवसर पर शिवाजी भवन में  आयोजित कवि सम्मेलन में अन्त तक भिन्न-भिन्न रसों की ऐसी धुआंधार बरसात हुई कि सभागार के हर श्रोता ने जी भरकर उसमें रसावगाहन किया जो जहाँ जम गया वह वहाँ से गया ही नहीं। फूहड़ता से दूर ऐसे कवि सम्मेलन कम ही सुनने को मिलते हैं। यह शुद्ध साहित्यिक कवि सम्मेलन था। मंच पर गम्भीर कविताएं हुईं तो बीच-बीच में स्तरीय हास्य की फुलझड़ियां भी खूब चलीं वे श्रोताओं की ध्यान मुद्रा को चैतन्य करती रहीं, अद्भुत कविताओं पर उठी करतल ध्वनियों की गड़गड़ाहट व वाहवाही श्रोताओं को आनन्द और कवियों को सामूहिक उपहार दे रही थी। मंच पर सभी रस बरस रहे थे। मानस मर्मज्ञ राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन जी की अध्यक्षता और प्रखर कवि गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” के कुशल संचालन में ठीक चार बजे गोस्वामी तुलसीदास दास जी का पूजन व मुंशी प्रेमचन्द के चित्र पर माल्यार्पण कर कवयित्री अर्चना अंजुम की सरस्वती वन्दना से और विनय-पत्रिका की रचना राम स्तुति के सामूहिक पाठ से कवि सम्मेलन के श्री गणेश के पश्चात उदीयमान कवयित्री वाणी जोशी ने अपनी कविताओं से कवि सम्मेलन का आगाज किया व कवियों से निवेदन किया- ‘विनती नव कलम धारक से बारंबार है। कविता को बचा लो कविता से संसार है।’ संचालक के आह्वान पर इन्दौर के काका हाथरसी के नाम से ख्यात कवि प्रदीप नवीन ने हास्य की अपनी फुलझड़ियों से सभा को खूब गुदगुदाया। ‘चढ़ ही रहे थे ट्रेन में और जेब कट गई,वैसे ही राशि कम थी और ज्यादा घट गई।’ उपमेय और उपमानों की सुरीली छटा बिखेरते हुए डॉ सुरेखा भारती ने- ‘जैसे जलती जेठ दुपहरी ऐसे सावन जलता है, जैसे जले रात में दीपक ऐसे जीवन जलता है।’ गीत सुनाकर श्रोता समाज को अपने गीतों में बाँध लिया था। ऊर्जा सम्पन्न ओज के गम्भीर कवि पं. रामचन्द्र अवस्थी ने कवि सम्मेलन की धारा को कुछ इस प्रकार मोड़ दिया। उन्होंने – ‘सड़क बनाता है वह बोलो किस फियेट में चलता है। वस्त्र बनाता है जो वह खुद बिना कफन के जलता है। अन्न उगाता है जो उसकी नियत सिर्फ भूखों मरना, दिल पर रख कर हाथ कहो तुम ऐसे में फिर क्या करना ?’ इस ‘आग’ शीर्षक की लम्बी रचना सुनाकर कवि सम्मेलन को राष्ट्र आराधना का उत्सव बना दिया। उनकी रचनाएँ कविता की गुणवत्ता का भी बखान कर रही थीं। रतलाम से पधारे हास्य व्यंग्य के कवि धमचक मुलथानी ने मीठी और नमकीनी रचनाओं को इस कुछ तरह परोसा “भारत में पत्नियों ने सदियों से गजब ढाया है। तुलसीदास और मूर्ख कालिदास को पत्नियों ने ही महाकवि बनाया है।” उनके हास्य की इस परोसदारी से श्रोताओं के पेटों पर हँस-हँस कर बल पड़ रहे थे। इसके पश्चात सीहोर की पहचान लिए देश की ख्यातनाम कवयित्री अर्चना अंजुम ने अपनी रेशमी आवाज से गीतों और ग़ज़लों की गंगा में उपस्थित काव्य रसिकों को इस तरह अवगाहन कराया कि- ‘तुलसी ने छन्द दोहे गाये हैं। राम ख़ुद उनके पास आये हैं। सीख पत्नी से पाई थी अंजुम, फिर वो दुनिया में जगमगाये हैं।’ माँ चामुंडा की नगरी देवास से पधारे राष्ट्रीय चेतना के चितेरे कवि देवकृष्ण व्यास ने अपनी कविताओं का ऐसा सम्मोहन बिखेरा कि समूचा सभागृह उनके नियंत्रण में आ गया। उन्होंने ‘ना सुबह लिखूं,ना शाम लिखूंगा। और न चारों धाम लिखूंगा। मुझको दे दो कोरा कागज। उस पर केवल राम लिखूंगा।’ सुनाकर सुधी श्रोताओं को साधुवाद देने के लिए विवश कर दिया। जब कवयित्री मनीषा व्यास ने अपनी रचनाएं पढ़ीं तो  वातावरण भक्तिमय हो गया उन्होंने ‘राम के चरण जब वन पे पड़ने लगे, कानन में मृग सिंह साथ चलने लगे। ऋषियों ने विधि वत हवन जब किया तो इस जग के सारे पुण्य निखरने लगे।’ कवयित्री व्यास ने सभी को मन्त्र मुग्ध कर दिया। संचालन कर रहे कवि गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” को श्री सत्तन जी ने आहूत किया उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी और मुंशी प्रेमचन्द के कृतित्व और व्यक्तित्व पर बोलते हुए बादल को धन्यवाद किया और जब उस पर रचना पढ़ी तब लग रहा था कि रस छ्न्द व अलंकार शब्द के स्फोटवाद को सार्थक कर रहे हों। उनकी शुरुआत कुछ ऐसी थी ‘लो निरभ्र आकाश आज काजल में बदल गया साथी। मानो सागर उठा उड़ा बादल में बदल गया साथी।।’ सुनकर श्रोताओं की श्रुतिथकन मिट गई। श्रोताओं से मिलतीं तालियों और वाह-वाही से मिलता हुआ सम्मान उनकी रचनाओं और उनकी प्रस्तुति को पुरस्कृत कर रहा था इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन को सफलता के शिखर पर स्थापित करते हुए राष्ट्रनिष्ठ और सर्वरस सिद्ध वरेण्य कवि सत्यनारायण सत्तन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गोस्वामी तुलसीदास को 24 घंटे गाए जाने वाला व करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाला दुनिया का इकलौता व सर्वश्रेष्ठ कवि निरूपित किया। गोस्वामी जी की कई रचनाओं को व्याख्यायित करते हुए उन्होंने अपनी बहुआयामी रचनाओं से कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। अन्त में समिति के मन्त्री डॉ पुष्पेन्द्र दुबे ने सभी का आभार माना। इस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचन्द जी स्मरण काव्य का यज्ञ सम्पन्न हुआ।
प्रबंध मंत्री 
अरविन्द ओझा 
श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर 

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!