सॉल्व फॉर टुमॉरो: उत्तर भारत के युवाओं में सैमसंग ने भरी नवाचार की उड़ान

गुरुग्राम, जून, 2025 – पंजाब और हरियाणा के स्कूलों में इन दिनों कुछ खास हो रहा है। अब छात्र सिर्फ परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर रहे, बल्कि वे दुनिया बदलने की तैयारी में जुटे हैं।

सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो कार्यक्रम के तहत हाल ही में लुधियाना, पटियाला, जालंधर, तलवंडी, धूरी और गुरुग्राम जैसे शहरों और कस्बों में आयोजित वर्कशॉप और ओपन हाउस ने सैकड़ों युवाओं के मन मस्तिष्‍क में नवाचार की चिंगारी जगा दी है। सरकारी स्कूलों से लेकर प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों तक, छात्र अब सहानुभूति, उद्देश्य और बदलाव की चाहत के साथ भारत की गंभीर समस्याओं के समाधान का सपना देख रहे हैं।

29 अप्रैल, 2025 को शुरू हुआ सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो का यह नया सीजन एक नेशनल इनोवेशन चैलेंज है, जो छात्रों को डिज़ाइन थिंकिंग टूल्स प्रदान करता है ताकि वे वास्तविक दुनिया की समस्याओं की पहचान कर सकें और ऐसे तकनीकी समाधान विकसित कर सकें जो मायने रखते हों। यह प्रोग्राम शीर्ष चार विजेता टीमों को 1 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि, सैमसंग लीडर्स और आईआईटी दिल्ली के फैकल्टी से विशेषज्ञ मेंटरशिप, निवेशकों से संपर्क, और प्रोटोटाइपिंग समर्थन प्रदान करता है ताकि बड़े विचारों को ठोस बदलाव में बदला जा सके।

जालंधर की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में, माहौल में गजब की एनर्जी थी। ग्रामीण विकास के प्रति जुनूनी इंजीनियरिंग छात्रा चेष्ठा एक सवाल लेकर आई और एक मिशन के साथ बाहर निकली।

उसने कहा, “मैं हमेशा सोचती थी कि किसान अभी भी पुरानी सिंचाई प्रणालियों से क्यों जूझ रहे हैं। इस वर्कशॉप ने मुझे समस्या को समझने और मिट्टी व पानी की रीयल-टाइम निगरानी के लिए एक सस्‍ते, एआई-आधारित समाधान की रूपरेखा तैयार करने में मदद की। अब मुझे विश्वास है कि यह वाकई संभव है और सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो ने मुझे शुरू करने के लिए उपकरण दिए हैं।”

तलवंडी के गुरु काशी विश्वविद्यालय में, वत्सल को एक अलग प्रेरणा मिली।

“मुझे मानसिक स्वास्थ्य संकट में रुचि थी, खासकर छोटे शहरों के किशोरों में। वर्कशॉप ने मुझे एक तकनीक-सक्षम पीयर सपोर्ट प्लेटफॉर्म डिज़ाइन करने में मदद की, जो पहुंच और गोपनीयता पर केंद्रित है। यह अच्छा लगता है कि ऐसे विचारों को वास्तविक समर्थन मिल सकता है। पहली बार, मुझे लगता है कि मैं कुछ ऐसा बना सकता हूं जो वाकई मायने रखता हो।”

पटियाला के डीएवी पब्लिक स्कूल में, समस्या का समाधान करने की भावना देखने को मिली। सामाजिक प्रभाव को प्राथमिकता देने वाली कक्षा 11 की छात्रा आस्था उत्साह से भरी थी।

“मैं ग्रामीण स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता की कमी को संबोधित करना चाहती हूं। वर्कशॉप के दौरान, मैंने एक मोबाइल ऐप और स्थानीय व्‍यक्ति आधारित नेटवर्क के लिए एक विचार तैयार किया। यह एक छोटा कदम है, लेकिन यह किसी के लिए बहुत मायने रख सकता है। सॉल्व फॉर टुमॉरो ने मुझे विश्वास दिलाया कि 16 साल की उम्र में भी, मैं कुछ शुरू कर सकती हूं।”

इस बीच, गुरुग्राम के एचडीएफसी स्कूल में, बड़े विचारों और बड़ी महत्वाकांक्षाओं का माहौल था। जलवायु कार्रवाई के प्रति प्रेरित छात्रा रिशिका वर्कशॉप के बाद प्रेरित होकर निकली।

उसने बताया कि, “मैं रोजमर्रा के परिवहन के कार्बन फुटप्रिंट को लेकर परेशान थी। इस वर्कशॉप ने मुझे पर्यावरण के अनुकूल समाधानों की खोज का आत्मविश्वास दिया जैसे कि स्कूल कैंपस और सोसाइटीज में माइक्रो-मोबिलिटी विकल्पों को बढ़ावा देने वाला एक ऐप बनाना। यह शुरुआत है, लेकिन मैंने एक डिज़ाइनर, एक समस्या-समाधानकर्ता की तरह सोचना शुरू कर दिया है।”

यह आंदोलन यहीं नहीं रुका। लुधियाना के बीसीएम आर्य मॉडल स्कूल से लेकर बर्दवाल (धूरी) के गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल और गुरुग्राम के केआर मंगलम तक, हर वर्कशॉप उत्साही युवा आवाजों से भरी थी। कुछ स्वच्छ ऊर्जा पर काम करना चाहते थे। तो कुछ पानी की कमी को हल करने का सपना देख रहे थे। सभी को उनके इस विश्वास ने एक साथ जोड़ा कि वे भविष्य को आकार दे सकते हैं – किसी दिन नहीं, बल्कि अभी से।

हर क्षेत्र में, एक बात उभरकर सामने आई और वह थी सैमसंग की नवाचार को लोकतांत्रिक बनाने और भारत की अगली पीढ़ी के दूरदर्शियों को पोषित करने की अटूट प्रतिबद्धता।

जैसे-जैसे सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो रोडशो ने अपनी यात्रा जारी रखी है, वे केवल वर्कशॉप आयोजित नहीं कर रहे, वे विचारों की क्रांति को प्रज्वलित कर रहे हैं। और पंजाब के गांवों से लेकर गुरुग्राम की कक्षाओं तक के छात्रों के दिलों में, एक बेहतर कल के बीज पहले ही अंकुरित हो चुके हैं।

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