कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिवर का शुक्रवार को जयपुर में आगाज हो गया। उद्घाटन भाषण में सोनिया ने कहा कि हमें गठबंधन धर्म भी निभाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह आत्मचिंतन का वक्त है। हमें नौ साल में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हमने किसानों के हितों को हमेशा प्राथमिकता दी है। आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय पर हमेशा ध्यान दिया है। फिर भी हमारे पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगी है। इसकी वजह कुछ राज्यों में सत्ता से बाहर रहने और उसके मनोबल पर असर पड़ने से है। उन्होंने पाकिस्तान मुद्दे पर भी दो टूक कहा कि पड़ोसी से वार्ता जरूरी है लेकिन यह मानवता के आधार पर ही होगी।
सोनिया ने युवा नेताओं को शादियों पर फिजूलखर्ची न करने की भी नसीहत दी। जमीन-जंगल के लिए हो रहे आंदोलन पर भी ध्यान देना जरूरी है। जनता भ्रष्टाचार से ऊब चुकी है। ये आत्ममंथन का मौका है। इस चिंतन शिविर में भारी संख्या में युवा नेता शामिल हुए हैं।
बैठक से पहले राहुल गांधी को पीएम बनाने की मांग हुई। चिंतन शिविर में पहुंचे उत्तराखंड के सीएम विजय बहुगुणा ने राहुल गांधी को भविष्य का प्रधानमंत्री बताया है। उन्होंने कहा कि राहुल के अंदर पीएम बनने की सारी काबिलियत मौजूद है। अगला लोकसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। कांग्रेस के यह चौथा चिंतन शिविर है और पहली बार चिंतन शिविर में इतनी तादाद में कांग्रेस के युवा नेता पहुंचे हैं। यहां एनएसयूआइ और युवा कांग्रेस के सौ से अधिक नेताओं के पहुंचने की उम्मीद है। इसी वजह से माना जा रहा है कि इस बार बुजुर्गो के चिंतन के बदले युवाओं का हल्लाबोल ज्यादा हो सकता है। दरअसल, पहली बार समस्याओं और चुनौतियों पर चिंतन के लिए पार्टी में दबदबा वरिष्ठ नेताओं का नहीं, युवाओं का होगा। लंबे समय तक पार्टी की रीति नीति तय करते रहे प्रणब मुखर्जी, डा. कर्ण सिंह, माखन लाल फोतेदार, नटवर सिंह जैसे वरिष्ठों में से कोई भी शिविर में मौजूद नहीं होगा। संकेत है कि बैठक में धीर गंभीर चर्चा में जोश का तड़का लगेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के काल में दो चिंतन बैठकें हो चुकी हैं। पंचमढ़ी में कांग्रेस ने एकला चलो का नारा दिया था तो शिमला में गठबंधन की खोज के सहारे सत्ता में पहुंचने की राह तलाशी गई थी। यह वह काल था जब राजनीति के मंजे हुए कांग्रेस नेताओं पर सबकी नजर लगी थी। जयपुर से युवाओं की बढ़ी हुई भूमिका का संदेश जा सकता है। इस बैठक में युवा कांग्रेस के 54 और एनएसयूआइ के 45 सदस्य होंगे। बताते हैं कि अवसर देखकर कांग्रेस का युवा वर्ग युवाओं की भूमिका बढ़ाने का मामला उठा सकते हैं। यह आशंका भी है कि कुछ लोग वरिष्ठ नेताओं की ओर से युवाओं की राह में बिछाए जाने वाले अवरोध का जिक्र करें। कुछ माह पहले ही कांग्रेस ने राहुल गांधी को चुनाव संचालन समिति की कमान देकर युवाओं की भागीदारी का संकेत दे दिया था। संभव है कि जयपुर से इसके विस्तार का रास्ता तैयार हो।