रेप की घटनाएं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को काफी विचलित करती थीं। एक बार तो वे ऐसी एक घटना सुनकर रो पड़े थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के चक श्रीकृष्णपुर कुलाबेड़ा इलाके में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं के अनावरण के मौके पर बापू से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय पूर्वी मेदिनीपुर के तमलुक में ‘ताम्रलिप्त राष्ट्रीय सरकार’ नाम से समानांतर सरकार का गठन किया गया था, जिसमें अजय मुखर्जी, सतीश चंद्र सामंत व सुशील कुमार धारा की महत्वपूर्ण भूमिका थी। गांधीजी को शिकायत मिली कि जिन लोगों ने ताम्रलिप्त सरकार का गठन किया है, वे पूरी तरह अहिंसक नहीं हो पा रहे हैं। बापू ने पूछा तो स्वतंत्रता सेनानियों ने कहा कि वे सब कुछ बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन महिला से रेप नहीं। अंग्रेजों की इस घिनौनी करतूत के खिलाफ उन्हें हिंसा का रास्ता अपनाना पड़ा। गांधीजी के साथ आई सुशीला नायर ने जब महिलाओं से इस बारे में पूछा तो सभी ने एक स्वर में इसे हकीकत बताया। महिलाओं की बात सुनकर बापू द्रवित होकर चले गए और थोड़ी देर बाद नम आंखों के साथ लौटे। स्वतंत्रता सेनानियों से कहा कि वे उन्हें दोषी नहीं मानते, लेकिन खुशी होती अगर इस तरह की घटना न होती।