पार्टी के जयपुर सम्मेलन में पारित टिकट या अध्यक्षता फार्मूला लागू होने के बाद से यूपी में कांग्रेस की उलझन और बढ़ने के आसार बन गए हैं। इससे संगठन को पटरी पर लाने की कवायद को भी झटका लगेगा। खासकर प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री समेत छह जोनल अध्यक्षों, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं, के लिए संगठन या चुनावी राजनीति में से कोई एक चुनने का फैसला आसान नहीं होगा। यही नहीं करीब दो दर्जन से अधिक जिला व शहर अध्यक्षों को लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले त्यागपत्र देना पडे़गा।
मिशन संगठन के तहत प्रदेश कांग्रेस को आठ जोन में बांट कर जनप्रतिनिधियों को पार्टी की कमान सौंपे जाने की रणनीति जयपुर फार्मूले में फिट नहीं हो पा रही है। नया फार्मूला लागू किया तो संगठन दुरुस्त करने को पांच माह तक की मशक्कत बेकार जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष व सांसद निर्मल खत्री ने दोबारा चुनाव लड़ने का मन बनाया तो कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष की तलाश करनी होगी। संगठन में बड़े बदलाव की बात यहीं खत्म नहीं होगी बल्कि जोनल ढ़ांचा भी चरमरा जाएगा, क्योंकि आठ में से छह जोनल अध्यक्ष चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर चुके है। जोन छह के अध्यक्ष व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह, जोन सात के अध्यक्ष व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन पीएल पुनिया और जोन आठ के अध्यक्ष केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद के सामने भी फैसला लेने की मुश्किलें पेश आएगी। सूत्रों का कहना है उक्त मंत्री संगठन विस्तार के बजाए चुनावी क्षेत्रों पर ही अधिक ध्यान देते है। ऐसे में उनसे केवल जोनल अध्यक्ष बने रहने को लोकसभा टिकट से इनकार मुमकिन नहीं होगा।
केंद्रीय मंत्रियों के अलावा जोन- तीन के अध्यक्ष राजाराम पाल भी सांसदी छोड़ने के लिए शायद ही तैयार हों। पाल के निकटस्थ कार्यकर्ताओं का कहना है, क्षेत्र में चुनावी तैयारियां पूरी है लेकिन नेतृत्व का फैसला आने पर ही विचार किया जाएगा। जोन दो के अध्यक्ष व पूर्व सांसद विजेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने का पूरा मन बनाने के साथ ही पीसीसी सम्मेलन में इसका सार्वजनिक तौर से इजहार भी कर चुके है। जोन-चार के अध्यक्ष विवेक सिंह यूं तो वर्तमान में विधायक है लेकिन हमीरपुर क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने को कमर कसे हुए हैं। यानि जयपुर फार्मूला लागू किया गया तो आठ से छह जोन में संगठनात्मक प्रक्रिया बाधित होगी। दो दर्जन जिला व शहर अध्यक्ष भी लोकसभा चुनाव लड़ने का आवेदन पत्र पर्यवेक्षकों का सौंप चुके है।
विधानसभा चुनाव में फार्मूला फेल
पिछले विधानसभा चुनाव में भी टिकट मांगने वाले जिला व शहर अध्यक्षों पर अपना पद छोड़ने की बंदिश थी जबकि प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी को विशेष छूट मिली थी। जिन स्थानों पर जिला व शहर अध्यक्ष पद छोड़ने बाद टिकट बांटे, वहां पटरी से उतरा संगठन आज तक नहीं सुधर पाया।