दुष्कर्म के मामलों में एक ओर जहां दिल्ली पुलिस फटाफट कार्रवाई की वकालत करती नजर आती है, वहीं इसी पुलिस का एक स्याह चेहरा यह भी है कि ऐसे मामलों में कई बार पीड़िता को समझौते के लिए मजबूर करती है। कुछ इसी तरह से आइपी एस्टेट थाना से जुड़ा एक मामला जब तीस हजारी कोर्ट के सामने आया तो अदालत ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीके जैन ने 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता का मामला दर्ज करने की बजाए उसे समझौते के लिए मजबूर करने पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए 25 हजार रुपये का जुर्माना भी किया। यह राशि मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के वेतन से काटी जाएगी। अदालत ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि मामले की जांच करा उचित कार्रवाई करे।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने मामला दर्ज न कर और पीड़िता को समझौते के लिए मजबूर करके कानून व मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है। दुष्कर्म पीड़ित शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी पीड़ित होती है। ऐसे में उनकी मदद करनी चाहिए। लेकिन पुलिस ने पीड़िता को प्रताड़ित किया।
अदालत ने यह आदेश मध्य दिल्ली निवासी बिरजू को 13 साल की लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म के मामले में दोषी करार देते हुए जारी किया है। अभियोजन के अनुसार आइपी एस्टेट थाना पुलिस ने 12 दिसंबर 2011 को एक महिला की शिकायत पर बिरजू के खिलाफ अपहरण व दुष्कर्म का मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था।
आरोप था कि बिरजू ने 27 नवंबर को उसकी 13 वर्षीय बेटी का अपहरण कर दुष्कर्म किया। पीड़िता ने अदालत को बताया कि उन्होंने घटना के अगले ही दिन जेपीएन अस्पताल स्थित पुलिस चौकी में शिकायत की थी। लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया था।