पिछले कुंभ से अधिक भव्य नजर आ रही संगमनगरी में इस बार संतों के पास लकदक गाड़ियों का काफिला है तो ही, उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी कम नहीं। कई संतों का सुरक्षा घेरा तो इतना कड़ा है कि सामान्य भक्तों की उन तक पहुंच आसान नहीं। एक संत की सुरक्षा में पंजाब पुलिस के दर्जन भर कमांडो लगे हैं। सहज ही सवाल उठता है कि आख्रिर धर्माचार्यो को किसका भय है? जवाब काशीसुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती देते हैं-‘पहले राक्षसों से साधु-संन्यासियों की रक्षा राजा-महाराजा और उनके सैनिक किया करते थे। वही व्यवस्था अभी भी कायम है।’
संगमनगरी में निजी सुरक्षा गार्डो, कमांडों और प्रशासनिक सुरक्षा गार्डो से घिरे संतों की संख्या काफी अधिक है। नजदीकी भक्तों को मिलने के लिए भी पहले से समय लेना पड़ रहा है। जगद्गुरु पंचानन गिरि की सुरक्षा में पंजाब पुलिस के दर्जन भर कमांडो लगे हैं। वह हर समय उनके साथ साये की तरह रहते हैं।
जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्य की सुरक्षा में निजी सुरक्षा एजेंसी के पिस्टल से लैस कमांडो लगे हैं। जूना अखाड़ा के महंत स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी हर समय आधा दर्जन पुलिस के जवानों से घिरे रहते हैं। निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर बालकानंद के शिविर के चप्पे-चप्पे पर निजी सुरक्षा गार्ड तैनात हैं जो किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं देते।
शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद, स्वामी माधव दास के शिविर में पीएसी की कंपनी तैनात है। जूना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि के शिविर पर हर समय पुलिस व निजी सुरक्षा गार्डो का कड़ा पहरा रहता है। महामंडलेश्वर दाती महाराज से बिना उसके सुरक्षाकर्मियों की इजाजत के मिलना संभव नहीं है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, निश्चलानंद सरस्वती व वासुदेवानंद सरस्वती के शिविर की सुरक्षा भी पुलिस के हवाले है।
टीकरमाफी आश्रम के महंत स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी कहते हैं-‘संत को सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है। हम नेता नहीं है, न सामाजिक आडंबर में रहना चाहते हैं। अगर कोई संत सुरक्षा के घेरे में है तो मैं उसे ठीक नहीं मानता। संत को आम आदमी के बीच बिना किसी भेदभाव के रहना चाहिए।’ वैसे प्रशासन के अधिकारी इस सुरक्षा व्यवस्था को उचित मानते हैं। उनके अनुसार संतों का कद काफी बड़ा है और पूरे देश में असामाजिक तत्व सक्रिय हैं। ऐसी स्थिति में उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी तो है ही, खुद उनके प्रबंध हमें और निश्चिंत कर देते हैं।
एसएसपी कुंभ एसकेएस राठौर कहते हैं-‘कुछ महंतों व महामंडलेश्वरों ने हमसे सुरक्षा मांगी थी। कुछ संतों को हमने खुद आंकलन करके सुरक्षा दी है, ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो और हम उनके संपर्क में रहें।