नई दिल्ली। धार्मिक स्थलों में लोग अपने परिवार के साथ सलामती की दुआएं मांगने जाते हैं लेकिन जब धार्मिक स्थल ही मौत की रंग भूमि में तबदील हो जाते हैं उस वक्त श्रद्धालुओं के पास हाथ मलने के अलावा कुछ और बाकी नहीं रहता है। कभी भगदड़ से तो कभी प्रशासन की बदइंतजामी की वजह से ही इस तरह के हादसे होते हैं। लेकिन अंत तक इन हादसों के लिए लोग एक दूसरे को ही जिम्मेदार ठहराते नजर आते हैं। प्रशासन व सरकार बस चंद रुपयों से उनकी मौत की कीमत चुकाने की कोशिश करते हैं। उनकी मौत पर मुआवजे का ऐलान करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।
बीती रात इलाहाबाद के कुंभ मेले में भगदड़ से हुई 36 लोगों की मौत एक बार फिर प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रही है। यह हादसा हमें पहले भी प्रशासन की ओर से बरती गई लापरवाही की याद दिलाती है। कुंभ में रविवार को हुआ यह हादसा ऐसा पहला नहीं है, इससे पहले भी कई बार कई धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की वजह से कई लोगों की जान चुकी है।
पिछले एक दशक में हुई कुछ घटनाएं इस प्रकार हैं :
साल 2012 के सितंबर में झारखंड के देवघर जिले में ठाकुर अनुकूल चंद की 125वीं जयंती पर एक आश्रम परिसर में हजारों की भीड़ एकत्र हो जाने और सभागार में भारी भीड़ के कारण दम घुटने से नौ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 120 अन्य बेहोश हो गए थे।
-इससे पहले उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के राधा रानी मंदिर में भारी भीड़ इकट्ठा हो जाने से दो महिला की मौत हो गई थी। इसमें से एक महिला की मौत हृदयाघात से और दूसरी की सीढि़यों से गिर जाने से हुई। हजारों श्रद्धालु राधा अष्टमी पर वहां एकत्र हुए थे।
साल 2012 : पटना में छठ पूजा के दौरान मची भगदड़ में 17 लोगों की मौत हो गई थी,जबकि काफी लोग घायल हो गए थे। मारे जाने वाले लोगों में नौ बच्चे शामिल थे।
2 सितंबर,2012 : बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर कुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं के बीच मची होड़ के कारण भगदड़ हो गई, जिसमें दो श्रद्धालु की मौत हो गई, जबकि छह घायल हो गए।
8 नवंबर,2011 : उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान गंगा नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं के एकत्र हो जाने के दौरान मची भगदड़ में 16 लोगों की जान चली गई थी।
14 जनवरी,2011 : केरल के इदुक्की जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शबरीमाला के नजदीक पुलमेदु में मची भगदड़ में कम से कम 102 श्रद्धालु मारे गए थे और 50 घायल हो गए थे।
4 मार्च,2010 : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालुजी महाराज आश्रम में प्रसाद वितरण के दौरान 63 लोग मारे गए थे, जबकि 15 घायल हो गए थे।
3 जनवरी, 2008 : आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित दुर्गा मल्लेस्वारा मंदिर में भगदड़ मचने से पांच लोगों की जान चली गई थी।
जुलाई 2008 : ओड़िशा में पुरी के सुप्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा के दौरान छह लोग मारे गए और अन्य 12 घायल हो गए थे।
30 सितंबर,2008 : राजस्थान के जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह से मची भगदड़ में 250 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 60 घायल हो गए।
3 अगस्त,2008 : हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण नैना देवी मंदिर की एक दीवार ढह गई, जिससे डरकर श्रद्धालु नीचे उतरने लगे। इस क्रम में 160 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 230 घायल हो गए।
27 मार्च,2008 : मध्य प्रदेश के करिला गांव में एक मंदिर में भगदड़ मचने से आठ श्रद्धालु मारे गए थे और 10 घायल हो गए।
अक्टूबर 2007 : गुजरात के पावागढ़ में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान 11 लोगों की जान चली गई थी।
नवंबर 2006 : ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में उमड़ी भीड़ में धकेले जाने के कारण चार बुजुर्गो की मौत हो गई थी।
26 जून,2005: महाराष्ट्र के मंधार देवी मंदिर में मची भगदड़ में 350 लोगों की मौत हो गई थी और 200 घायल हो गए थे।
अगस्त 2003 : महाराष्ट्र के नासिक में कुंभ मेले में मची भगदड़ में 125 लोगों की जान चली गई थी।
सबरीमाला हादसे में 102 लोगों की मौत हो गई थी। श्रद्धालु सबरीमाला में मकरज्योति के दर्शन के बाद घर लौट रहे थे तभी केरल के इडक्की जिले के पुल्लुमेडू में मची भगदड़ में सबरीमाला मंदिर से लौट रहे 102 श्रद्धालु मारे गए थे।
साल 2008 में जनवरी में कोलकाता के पास गंगासागर मेले में मची भगदड़ में सात तीर्थयात्री मारे गए थे।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालुजी महाराज के आश्रम का गेट गिरने से मची भगदड़ में 63 लोगों की मौत हो गई थी।