अफजल का चश्मा, किताबें लौटाएगा तिहाड़ प्रशासन

afchasma 2013-2-11नई दिल्ली । लोकतंत्र के मंदिर को दहलाने की साजिश रचने वाला जैश ए मोहम्मद का आतंकी अफजल गुरू को सामने जब अपनी मौत नजर आई तो घबराहट में वह अपनी सुधबुध खो बैठा था। तिहाड़ जेल सूत्रों के अनुसार ब्लैक वारंट सुनकर वह इतना सहम गया था कि कुछ पल के लिए तो कुछ सोच ही नहीं पा रहा था। ऐसा लगा जैसे उसने कुछ सुना या समझा ही नहीं। इस बात पर वह यकीन नहीं कर पा रहा था कि जिस जेल में उसने 12 साल बिताए व महफूज रहा, वहां एकाएक ऐसा क्या हो गया कि उसकी मौत आकर दस्तक दे रही है।

अफजल की फांसी की प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी की माने तो वह इतना घबरा गया था कि पत्‍‌नी व बच्चे से मिलने की इच्छा भी जाहिर नहीं कर पाया। उसका चेहरा देखकर लग रहा था कि वह अंदर से काफी टूट गया था।

अफजल को तिहाड़ जेल-3 के हाई सिक्यूरिटी वार्ड में रखा गया था। जहां तमिलनाडु पुलिस के जवान 24 घंटे तैनात रहते थे। जेल सूत्रों के अनुसार मध्यम लंबाई का औसत काया वाला अफजल भले ही ज्यादा लंबा नहीं था। पर उसकी आवाज काफी बुलंद थी। वह जेल में किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था। यदि अधिकारी बात करते तो वह संसद पर हुए हमले के बारे में भी बात करता था। तिहाड़ जेल-3 के एक पूर्व जेल अधीक्षक को उसने पूरी कहानी बताई है, जिसमें उसने अपना गुनाह कबूल किया है। साथ ही उसने खुद को आतंकियों का एक मोहरा बताया है। एक अधिकारी ने बताया कि जेल में फांसी देने के लिए चल रही तैयारियों के कारण वैसे तो उसे पहले भनक लग गई थी। फिर भी उसे विश्वास था कि उसे राजनीतिक कारणों से उसे फांसी नहीं दी जाएगी। इस बात को लेकर हमेशा वह संतोष की मुद्रा में रहता था।

चेहरे लाल हो गया था-

जेल सूत्रों के अनुसार फांसी के विषय में सुनते ही अफजल का चेहरा चेहरा लाल हो गया। उसके मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे। उससे आखिरी इच्छा पूछी गई तो घबराहट में उसके मुंह से सिर्फ कुरान शब्द निकला। जबकि कुरान उसके पास पहले से ही थी।

अफजल का चश्मा, किताबें लौटाएगा तिहाड़ प्रशासन

नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। तिहाड़ जेल परिसर में दफन किए जा चुके आतंकी अफजल गुरु का शव उसके परिजनों को भले ही न सौंपा गया हो, लेकिन जेल प्रशासन उसका सामान लौटाने पर जरूर विचार कर रहा है। अफजल को फांसी दिए जाने के बाद परिजनों ने उसका चश्मा, किताबें और बिस्तर प्रशासन से वापस करने की मांग की है। उसका सामान अभी भी जेल में रखा हुआ है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सामान लौटाने के लिए परिवार या अफजल के वकील को बुलाया जा सकता है।

गौरतलब है कि नौ फरवरी को सुबह आठ बजे अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी। उसे तिहाड़ जेल संख्या-तीन में ही दफना दिया गया। जानकारी मिलने के बाद अफजल के वकील एनडी पंचोली तिहाड़ जेल पहुंचे थे। उन्होंने अफजल की पत्नी तबस्सुम की ओर से जेल प्रशासन को पत्र सौंप कर शव परिजनों को सौंपे जाने का आग्रह किया था, लेकिन प्रशासन ने इन्कार कर दिया। इसके बाद रविवार को पंचोली ने परिवार की तरफ से अफजल का सामान लौटाने को कहा।

जेल सूत्रों के अनुसार, अफजल के सामान को सेल से हटा दिया गया है। तिहाड़ जेल की महानिदेशक विमला मेहरा ने कहा कि अभी सामान मांगे जाने की सूचना नहीं मिली है। यदि सामान मांगा जाता है तो तय किया जाएगा कि क्या करना है। उन्होंने सामान लौटाए जाने से इन्कार नहीं किया है।

दर्शनशास्त्र की किताबें प्रिय

आतंकी अफजल को राजनीति व दर्शनशास्त्र से संबंधित किताबें पढ़ने का शौक था। तिहाड़ जेल में कैद अफजल ने बीते 12 साल इन्हीं किताबों के साथ बिताए थे। उसकी काफी किताबें जेल में मौजूद हैं।

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