ऐसी दुखद घटनाएं दोबारा न हो पाएं : अखिलेश

akhilesh 2013-2-12महाकुंभ के दौरान इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर रविवार शाम हुए हादसे को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार पूरी कोशिश करेगी ताकि इस तरह की दुर्घटना दोबारा न हो। उन्होंने बड़े ही संयम अंदाज से कहा कि सरकार घायलों को हर संभव मदद देने को तैयार हैं और कुंभ प्रशासन ने काफी बेहतरीन इंतजाम किए थे इसमें कोई शक नहीं है।

गौरतलब है कि रविवार शाम इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के दो दिन बाद अखिलेश आज सुबह इलाहाबाद पीड़ितों का हाल जानने और हालात का जायजा लेने अस्पताल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेडिकल टीम और पुलिस प्रशासन बेहतरीन काम किया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है और दोषी को क्या सजा होनी चाहिए यह सब कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार की अभी पहली प्राथमिकता पीड़ितों का इलाज कराना है। इसके बाद ही कोई और बात पर चर्चा की जाएगी।

इससे पहले सोमवार को सपा कार्यकर्ताओं ने और रेल प्रशासन दोनों ने ही इस हादसे से पल्ला झाड़ लिया था। दोनों ही एक-दूसरे को दोषारोपण करने में लगे हुए थे। हालांकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही इस बात से वाकिफ थी कि मौनी अमावस्या के दिन वहां जबरदस्त भीड़ होती है जिस भीड़ को काबू कर पाना काफी मुश्किल था।

गौरतलब है कि रविवार शाम इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की भीड़, कतार के ऊपर आगे कतार, सबका ध्यान ट्रेन की आवाजाही पर थी। जैसे ही एनाउंसमेंट सुनाई दिया कि ट्रेन का प्लेटफार्म अब बदल गया है तो सब लोग ट्रेन पकड़ने के लिए भागने लगे। ब्रिज के दोनों तरफ से श्रद्धालुओं का ऐसा रेला चढ़ा कि भगदड़ की नौबत आ गई। इसी बीच जीआरपी के जवानों ने डंडा दिखाया तो श्रद्धालु इधर-उधर भागने लगे और ऐसे में हादसा हो गया। इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई है। 60 से अधिक घायल हो गए हैं। नजदीकी अस्पताल में घायलों का इलाज चल रहा है।

घटना के प्रत्यक्षदर्शी और मृतक रामकैलाश श्रीवास्तव के साथी संतोष कुमार ने कुछ ऐसा ही बताया। साथी के गम में मायूस और नम आखों के बीच संतोष खुद को तसल्ली देते हुए बताया कि मेरे साथी की सांसे डेढ़ घंटे तक चलती रही, पर मदद को कोई आगे नहीं है। चोट से ज्यादा भीड़ से भय था। हम अपना हाथ भीख मांगने की तरह फैलाए रहे पर कुछ न हो पाया।

प्रतापगढ़ के मोहदीनगरा गांव से आए शनिवार को यहां संगम स्नान करने आए थे। जल्दी घर पहुंच जाएंगे यह सोचकर ट्रेन पकड़ने गए थे। पर अब रामकैलाश का साथ हमेशा के लिए छूट गया।

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