संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर उब्दुल्ला और उनके पिता फारुख अब्दुल्ला के सुर अलग-अलग दिख रहे हैं। उमर उब्दुल्ला ने जहां इस फैसले को गैर संवैधानिक बताया है वहीं उनके पिता और केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया अपनाने के बाद लिया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने अफजल की फांसी को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल भी उठाए थे और कहा था कि इसके पीछे जरूर कोई राजनीतिक कारण है। उन्होंने कहा था कि एक बार फांसी से पहले सरकार को अफजल से उसके परिवार को मिलाना चाहिए था।
उमर ने कहा था कि इस घटना के बाद कश्मीर में अहिंसा और बढ़ जाएगी। उन्होंने इसको कश्मीरियों के साथ नाइंसाफी तक करार दिया था। उन्होंने कहा,मुझे इस बात का भी अफसोस रहेगा कि परिजन फांसी से पूर्व गुरु से नहीं मिल सके। हम प्रयास करेंगे कि अफजल गुरु का शव उसके परिजनों को सौंपा जाए। विदित हो कि उमर की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस भी संप्रग का घटक दल है और उनके पिता फारूख अब्दुल्ला केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
उमर ने कहा, फिलहाल तो अफजल गुरु की फांसी का असर हमें सुरक्षा व्यवस्था के मोर्चे पर झेलना है। यह चुनौती गुरु की फांसी से राज्य के हालात पर होने वाले दूरगामी प्रभावों के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान है। मुझे नहीं मालूम कि अफजल के परिजनों को केंद्र सरकार ने स्पीड पोस्ट के जरिए पहले ही उसकी फांसी की सजा से अवगत करा दिया था। कम से कम हमें केंद्र सरकार समय पर सूचित करती, तो हम गुपचुप तरीके से उसके परिजनों को दिल्ली ले जाकर अफजल से मिलवाते।