नई दिल्ली। इटली के साथ विवादित 12 अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले में यूपीए सरकार धीरे-धीरे उलझती जा रही है। इस डील को लेकर सरकार की फैक्टशीट में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भी नाम है। इसमें कहा गया है कि 2005 में जब हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए डील हुई थी, तब प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे और उन्होंने ही इस डील पर अंतिम मुहर लगाई थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार की फैक्टशीट में कहा गया है कि टेंडर पर 2005 में मुहर लगी, उस समय प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री और एस पी त्यागी वायुसेना प्रमुख (अब सेवानिवृत्त) थे।
फैक्टशीट में भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार पर भी आरोप मढ़े गए हैं। इसमें कहा गया है कि 2003 में जब ब्रजेश मिश्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे, तब उन्होंने तत्कालीन रक्षा सचिव को पत्र लिखकर हेलीकॉप्टर की तकनीकी दक्षता की आवश्यकता को 18 हजार फुट तक से घटाकर 14 हजार फुट करने और मौजूदा नियमों को अनुचित बताते हुए बोली प्रक्रिया में और कंपनियों को शामिल करने की बात कही थी।
पहले केवल तकनीकी दक्षता की आवश्यकता को यूरोकॉप्टर कंपनी ही पूरी कर पा रही थी। तब मिश्रा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की और उनसे मिलकर टेंडर में और बोलीदाताओं को शामिल करने का आग्रह किया। इस मुलाकात के बाद हेलीकॉप्टर की ऊंची उड़ान क्षमता को घटाकर छह हजार मीटर से घटाकर 4500 मीटर कर दिया गया।
फैक्टशीट के मुताबिक, इसके बाद नया टेंडर निकाला गया और तीन विदेशी कंपनियों में अगस्तावेस्टलैंड का अंतिम रूप से चयन किया गया और इस पर कैबिनेट की अंतिम मुहर 18 जनवरी 2010 को लगी।
डील पर अंतिम मुहर को लेकर प्रणब मुखर्जी का नाम सार्वजनिक होने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआइ इस बारे में उनसे जानकारी हासिल कर पाती है। मालूम हो कि राष्ट्रपति को संविधान के अंतर्गत ऐसी किसी भी तरह की पूछताछ से छूट प्राप्त है।
दूसरी ओर, तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा का पिछले साल सितंबर में ही निधन हो गया है। अब सीबीआइ के पास तत्काल एसपी त्यागी से पूछताछ के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है।