कुंभनगर। महाकुंभ में वसंत पंचमी के मौके पर होने वाले शाही स्नान में स्वामी नित्यानंद ने हिस्सा नहीं लिया। उनको लेकर कुछ अखाड़ों ने स्नान का बहिष्कार किया था। विवादों में घिरे इस शाही स्नान को लेकर इस बार अखाड़ों में पहले की तरह उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। इसके अलावा कुछ अखाड़ों ने स्नान का बहिष्कार तक करने की घोषणा कर रखी है। महानिर्वाणी अखाड़ा के नित्यानंद स्वामी के महामंडलेश्वर बनने से खफा है। वहीं रामदेव भी इस स्नान का हिस्सा नहीं बनेंगे।
वसंत पंचमी के मौके पर हो रहे अंतिम शाही स्नान से पहले ही अखाड़ों के बीच आपसी वैमनस्य खुल कर सामने आ गया है। शाही पथ पर नित्यानंद की शाही सवारी को लेकर विवाद गहरा गया था। जिन अखाड़ों ने नित्यानंद के महामंडलेश्वर बनने का विरोध किया है पुलिस उन पर सतर्क निगाह रखे थी। पायलट बाबा समेत कई महामंडलेश्वरों ने शाही स्नान के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। वैष्णव अखाड़ों ने अपने को सबसे अलग कर लिया है। हालांकि वैष्णव साधु संतों ने अफसरों की मान मनौव्वल पर शाही स्नान के बहिष्कार का निर्णय वापस ले लिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने शाही घाट का निरीक्षण करके क्लीनचिट दे दी है।
कुंभ पर्व के अंतिम शाही स्नान की तैयारी को लेकर गुरुवार को अखाड़ों के बीच पहले जैसा उत्साह नहीं दिखा। अखाड़ों में वह चहल-पहल भी नहीं रही। मौनी अमावस्या के स्नान में अव्यवस्था से खफा होकर बहुत से साधु संत वापस लौट गए हैं। पचास से अधिक महामंडलेश्वर भी यहां से चले गए हैं। पायलट बाबा समेत कई महामंडलेश्वरों ने शाही स्नान के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। पायलट बाबा के स्नान में सम्मिलित नहीं होने से उनके साथ के 17 अन्य महामंडलेश्वरों और भक्तों में काफी मायूसी है। महामंडलेश्वर परिषद ने बैठक करके स्नान नहीं करने का फैसला लिया है। इस बैठक में पायलट बाबा, स्वामी अर्जुन पुरी और स्वामी आत्म प्रकाश यति थे। जूना अखाड़े ने उन्हें इस समय निष्कासित कर रखा है। वैसे मेले में सबसे बड़ा विवाद स्वामी नित्यानंद को महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर है। महानिर्वाणी अखाड़ा के इस फैसले से अन्य सभी अखाड़े खफा हैं।
निरंजनी और उदासीन बड़ा पंचायत अखाड़ा नित्यांनद के मसले पर खुलकर विरोध कर रहा है। संभावना है कि शुक्रवार को शाही स्नान के समय कोई बखेड़ा भी होने की भी उम्मीद जताई जा रही है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने इस मामले में चेतावनी दे रखी है। उनका साफ कहना है कि एक गलत चरित्र वाले व्यक्ति को शाही स्नान में सम्मिलित नहीं होने देना चाहिए। वैसे अखाड़ों ने शाही स्नान के लिए सामान्य भाव में अपनी तैयारी कर ली है। इस शाही स्नान में बहुत भव्यता नहीं रहने की संभावना है। योगगुरु रामदेव इस स्नान में नहीं होंगे। महानिर्वाणी अखाड़ा सबसे पहले स्नान करने जाएगा। क्रम में अंतिम निर्मल सबसे बाद में डुबकी लगाएगा।
अखाड़ा परिषद ने किया निरीक्षण :-
शाही मार्ग एवं शाही घाट का अफसरों के साथ अखाड़ा परिषद ने शाम को निरीक्षण किया। आइजी समेत तमाम अधिकारियों ने परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास के साथ पूरे संगम इलाके को देखा। घाट को उबड़-खाबड़ देखकर महंत ज्ञानदास ने नाराजगी जताई। अधिकारियों ने कहा कि यहां बालू डालकर इसे बराबर कर दिया जाएगा। अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने के बाद उन्होंने अपने अखाड़े में बैठक की और साधु संतों से कहा कि व्यवस्था संतोषजनक हो गई है। महंत ज्ञानदास ने कहा कि उन्होंने बहिष्कार का निर्णय वापस ले लिया है।
अखाड़ों के स्नान का क्रम :-
महानिर्वाणी मय अटल-प्रात: 6.15 बजे
निरंजनी मय आनंद-प्रात:7.05 बजे
जूना मय आवाहन व अग्नि-8.00 बजे
निर्मोही अनी- पूर्वाह्न 10.40 बजे
दिगंबर अनी- 11.20 बजे
निर्वाणी अनी- मध्याह्न 12.20 बजे
नया उदासीन पंचायती- अपराह्न 1.15 बजे
बड़ा उदासीन पंचायती- 2.20 बजे
निर्मल- 3.40 बजे