नई दिल्ली: भारत ने इंग्लैंड की कंपनी ऑगस्टा वेस्टलैंड से 4 हजार करोड़ रुपये के 12 वीवीआई हेलीकॉप्टरों के सौदे में रिश्वत दिए जाने के बारे में सफाई देने को कहा है और पूछा है कि वह बताए कि किसी भारतीय इकाई अथवा व्यक्ति को अवैध भुगतान किया गया था या नहीं।
रक्षामंत्री एके एंटनी की चिट्ठी में चेतावनी दी गई है कि अगर विनिर्माता कंपनी सहयोग नहीं करेगी, तो सौदा रद्द किया जा सकता है। यह कथित घोटाला इस बुनियाद पर आधारित है कि टेंडर की शर्तों में बदलाव के बिना ऑगस्टा वेस्टलैंड इस सौदे की रेस में बनी नहीं रह सकती थी।
वहीं, इस कथित घोटाले में आईडीएस इंडिया नाम की कंपनी का नाम सामने आ रहा है, जिसके जरिये 140 करोड़ रुपये की रिश्वत पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन पता चला है कि कंपनी मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड में आईडीएस इंडिया नाम की कोई कंपनी है ही नहीं। जबकि इटली की अदालत के दस्तावेज में साफ कहा गया है कि आईडीएस इंडिया के जरिये 140 करोड़ रुपये दिए गए।
इसके अतिरिक्त आईडीएस ट्यूनीशिया नाम की कंपनी के मार्फत भी भारतीय अधिकारियों को पैसे दिए गए। रिश्वतों का यह सिलसिला साल 2007 से 2011 तक जारी रहा, जिसके लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए। इटली के अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक रिश्वत के इस मामले में एयरोमैट्रिक्स, आईडीएस मॉरिशस, आईडीएस इंफोटेक नामक कंपनियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें से आईडीएस इंफोटेक दिखावे के लिए फिनमेकानिका और ऑगस्टा वेस्टलैंड के लिए सॉफ्टवेयर बनाती रही।
सरकार ने एक बयान जारी कर इस तथ्य को सामने लाया है कि बीजेपी नीत एनडीए सरकार द्वारा टेंडर में बदलाव की सिफारिश की गई थी। इटली में ऑगस्टा वेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेकानिका के सीईओ की गिरफ्तारी के बाद उठे विवाद के बाद सीबीआई अब इस मामले की जांच कर रही है।
इटली के अभियोजकों का दावा है कि भारत के पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को ऑगस्टा वेस्टलैंड को फायदा पहुंचाने के वास्ते तकनीकी मापदंडों में बदलाव के लिए पैसे दिए गए। उनका कहना है कि त्यागी के रिश्तेदारों को 86 करोड़ रुपये दिए गए और ऑगस्टा वेस्टलैंड का एक बिचौलिया कथित तौर पर सौदे के बारे में बातचीत के लिए त्यागी से छह बार मिला था। हालांकि त्यागी ने इन आरोपों को खारिज किया है।
हेलीकॉप्टर सौदे के टेंडर में 2003 में बदलाव किए गए, जिस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्ता में थी। लेकिन इसे 2006 में अधिसूचित किया गया, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और प्रणब मुखर्जी रक्षामंत्री थे। एसपी त्यागी उस वक्त वायुसेना प्रमुख थे।
सरकार इस बात पर जोर देना चाहती है कि यह कथित घोटाला उस वक्त शुरू हुआ, जब बीजेपी सत्ता में थी, जबकि मुख्य विपक्षी दल ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि सौदे पर 2010 में कांग्रेस के शासनकाल में हस्ताक्षर हुए। इटली में जारी जांच के मुताबिक टेंडर की जरूरतों में एक बड़ा बदलाव यह किया गया कि एयर सीलिंग को 18 हजार फुट से बदलकर 15 हजार फुट कर दिया गया और ऐसा इसलिए किया गया, ताकि इटालियन हेलीकॉप्टर दौड़ में बना रह सके।