लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यह कह रहे हैं कि चुनाव में किए गए हर एक वादे को पूरा किया जाएगा लेकिन शायद टैक्स घटाने संबंधी वादों पर अब तक उनकी नजर नहीं गई है। वादे के मुताबिक टैक्स की दरें न घटाए जाने से प्रदेशवासियों को महंगाई से राहत नहीं मिल पा रही है। फिलहाल न उनकी खाने की थाली सस्ती हुई है और न हीं पेट्रोल-डीजल का खर्च कम हुआ है।
गौरतलब है कि सूबे की सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनाव के दौरान सपा ने प्रदेशवासियों से जो तमाम वादे किए थे उनमें गेहूं, चावल, तिलहन, मटर, दलहन, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का सहित सभी खाद्यान्नों को व्यापार कर से मुक्त रखने, साईकिल, साईकिल के टायर-ट्यूब, पार्ट्स, ऊन, बिजली के पंखे एवं अन्य वस्तुओं पर ज्योति बसु कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स की दरें कम करने तथा पेट्रोल-डीजल सहित अन्य वस्तुओं पर वैट की दरों को घटाकर पड़ोसी राज्य दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं बिहार में लागू वैट की दरों के बराबर करना भी था।
जानकारों का कहना है कि उक्त वादों को पूरा करने से चूंकि सरकारी खजाने को तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये की चोट लगने का अनुमान है इसलिए सरकार उन्हें पूरा करने में हिचक रही है। वादे के मुताबिक सरकार अगर पेट्रोल पर वैट की दर 26.55 फीसद से घटाकर दिल्ली के 20 फीसद के बराबर ही करती है तो उसे तकरीबन 600-700 करोड़ का जबकि डीजल पर वैट को 17.23 फीसद से घटाकर हरियाणा के नौ फीसद करने से दो हजार करोड़ रुपये का राजस्व घटने का अनुमान है।
इसी तरह खाद्यान्न को कर मुक्त करने से 650 करोड़, साईकिल-सीमेंट सहित अन्य तीन दर्जन से ज्यादा जिन वस्तुओं पर सूबे में पड़ोसी राज्यों से अधिक वैट है उसे समकक्ष करने से लगभग 700 करोड़ रुपये सरकार की आय घटने का अनुमान लगाया गया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहला बजट पेश करते हुए कहा था कि करों में बढ़ोतरी किए बिना ही जनता से किए वादों को पूरा किया जाएगा, लेकिन बजट के दौरान कर न बढ़ाने का दावा करने वाली सरकार अब तक महंगाई बढ़ाने वाले ही तमाम फैसले करती रही है। एक नहीं ऐसे कई फैसले हुए जिनसे जनता की जेब और हल्की होती रही।
अतिरिक्त कर में महंगी हुई तमाम वस्तुएं
जिन वस्तुओं के लिए प्रदेशवासियों से पहले से ही भारी-भरकम 13.50 फीसद टैक्स वसूला जा रहा था। उसमें कमी करने के बजाय मौजूदा सरकार ने उन सभी वस्तुओं पर आधा फीसद की दर से और अतिरिक्त कर बढ़ाने का फैसला किया है। इससे सरकार ने अपनी सालाना कमाई तो लगभग 500 करोड़ रुपये बढ़ा ली, लेकिन वाटर प्योरीफायर, कोल्ड डिंक्स, मोटर गाड़ियां, कैमरा, घड़ियां, फर्नीचर, बिजली के उपकरण, सेनेटरी गुड्स, कास्मेटिक्स, शैम्पू, टाइल्स, कुक्ड फूड सप्लीमेन्ट, लुब्रीकेन्ट, इंड्रस्टियल एलपीजी, फायर फाइटिंग उपकरण, मैट्रैसेज, टिम्बर, आइवरी गुड्स, मशीनरी, एयरकंडीशनर, रेफ्रीजनरेटर, दस हजार से अधिक की कीमत वाले मोबाइल फोन महंगे हो गए। यहां तक कि रेस्टोरेंट का खाना भी महंगा हो गया है।
महंगी बिजली का दिया गया झटका
बिजली आपूर्ति की स्थिति में भले ही सुधार नहीं हो पा रहा है, लेकिन सरकार बिजली के दाम बढ़ाने में भी पीछे नहीं रही। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में इजाफा किए जाने से प्रदेशवासियों को बिजली के लिए भी अपनी जेब कुछ ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है। ड्यूटी में बढ़ोतरी करके सरकार ने सालाना कमाई में 650 करोड़ रुपये का इजाफा किया। वाणिज्यिक व औद्योगिक बिजली की दरों में भी औसतन 25 फीसद का इजाफा किया गया है। इससे भी महंगाई बढ़ी ही है। घरेलू बिजली की दरों में बढ़ोतरी भी प्रस्तावित है जिससे निकट भविष्य में बिजली के खर्च का बोझ बढ़ेगा ही।
सिगरेट-गुटखा पर बढ़ा टैक्स
सूबे में कैंसर के बढ़ते मामलों की बात कहकर गुटखा व सिगरेट पर लगने वाले टैक्स को तीन गुना बढ़ाया गया है। सरकार की इस पहल को तो स्वागत योग्य माना गया है, लेकिन जिस सिगरेट पर पहले 17.50 फीसद टैक्स लगता था उस पर 50 फीसद टैक्स कर दिया गया। गुटखा पर 13.50 फीसद टैक्स को बढ़ाकर पहले 50 फीसद किया गया जिसे वर्तमान में तो 30 फीसद रखा गया है। उसमें फिर बढ़ोतरी प्रस्तावित है। सिगरेट, गुटखा, पान मसाला आदि पर टैक्स बढ़ाने से सरकार को 300 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है। आबकारी राजस्व को बढ़ाने के लिए शराब के दाम में भी जल्द जबरदस्त बढ़ोतरी प्रस्तावित है।
संपत्तियों की खरीद-फरोख्त का बढ़ा खर्च
भवन-भूखंड की खरीद-फरोख्त भी महंगी हुई है क्योंकि डीएम सर्किल रेट में जबरदस्त इजाफा किया गया है। ज्यादा से ज्यादा स्टाम्प राजस्व हासिल करने के लिए कई जगह सर्किल रेट इतना अधिक बढ़ा दिया गया है कि बाजार मूल्य से भी कहीं अधिक सर्किल रेट हो गया है जिससे संपत्तियों (भवन-भूखंड) को खरीदने वालों को अब कहीं अधिक स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ रही है।
अर्थशास्त्रियों की ख्वाहिश
वैसे तो राज्य सरकार के हाथ में महंगाई को रोकने के लिए बहुत कुछ नहीं होता है लेकिन जो कुछ भी पहल वह कर सकती है उसे भी मौजूदा सरकार ने नहीं किया है। राज्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली, बाल विकास पुष्टाहार जैसी योजनाओं को दुरुस्त करके गरीब तबके को बड़ी राहत दे सकती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बसों आदि का किराया घटाकर भी सरकार महंगाई से आम आदमी को राहत पहुंचा सकती है। खुदरा बाजार में विदेशी कंपनियों को प्रवेश देकर सरकार किसानों का भला कर सकती है। – प्रोफेसर एके सिंह
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक चुस्त-दुरुस्त करना होगा ताकि आम आदमी को कम दाम पर सही सामान मिल सके। भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा। खुदरा और थोक में भारी अंतर को बिचौलियों पर लगाम लगाकर कम किया जा सकता है। आवश्यक वस्तु अधिनियम का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वैट में कटौती करके पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत दी जा सकती है। – प्रो.यशवीर त्यागी
पिछले पांच सालों में खाद्यान्न, पेट्रोल-डीजल और नॉन एग्रीकल्चरल मैन्युफैक्चरर सामान में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई। दलहन, तिलहन, सब्जियां और फल का उत्पादन दो गुना तक करने का लक्ष्य रखना होगा। प्रदेश सरकार कृषि को बढ़ाने के लिए कारगर उपाय करे। खबरों रुपये का अनाज हर साल सड़ जाता है, इसके भंडारण की उचित व्यवस्था करें। इसके लिए एफडीआइ, कॉरपोरेट जगत को जोड़ना और सरकार द्वारा बजट में प्राविधान करना ही उपाय हैं। – डॉ.अरविंद मोहन
सरकार यदि वास्तव में महंगाई कम करना चाहती है तो आम लोगों से लिए जा रहे कर को कम करना होगा। इससे सरकारी आय में आने वाली कमी को धन वसूली बढ़ाकर पूरा करना होगा। बिचौलियों के द्वारा मुनाफाखोरी खत्म की जानी चाहिए। किसान या उत्पादक से जिस कीमत पर सामान खरीदा जा रहा है वह डेढ़ या दो गुना से ज्यादा कीमत पर उपभोक्ता को नहीं मिलना चाहिए। – डॉ.विनोद सिंह