नई दिल्ली। हैदराबाद में हुए बम ब्लास्ट के बाद एक बार फिर सरकार के ऊपर से आम लोगों का यकीन कमजोर होता दिख रहा है। बीती रात हैदराबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट ने हैदराबाद के साथ-साथ पूरे देश को थर्रा दिया है। आज फिर से लोगों के जहन में एक ही सवाल पैदा हो रहा है कि आखिर कब तक आम लोग ऐसे दर्दनाक हादसों का शिकार होते रहेंगे। आखिर कब खत्म होगा ये आतंक कहर। कब खत्म होगी सरकार और आतंकियों के बीच की ये लड़ाई। क्या कभी वो वक्त आएगा जब आम इन्सान बेखौफ घर से बाहर निकलेगा और शाम के वक्त सही सलामत वापस आ सकेगा। ये आम लोगों का रोष ही है जो सोशल नेटवर्किग साइट ट्विटर पर नजर आ रहा है-
– सरकार का क्या जाता है जब भी कोई ब्लास्ट या आतंकी हमला होता है सरकार बस मुआवजा देकर मरने वालों के परिवार को शांत करने की कवायद करती है। रमेश ने सरकार को एक लाइफ इंस्योरेंस कंपनी की भूमिका न निभाने की नसीहत दी है।
– अंकित ने लिखा कि अब तो ये रोज का सिलसिला हो गया है। इन्सान की जिंदगी तो कुत्तों जैसी हो गई है। कोई कीमत ही नहीं रही।
-अनुराधा लिखती हैं कि यह सब सिर्फ और सिर्फ हैलीकॉप्टर घोटाले से सरकार का ध्यान हटाने की नापाक कोशिश है।
-कृतिका लिखती हैं कि अगर सरकार को दो दिन पहले से ब्लास्ट का अंदेशा था फिर भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो यह खुफिया एजेंसियों की कमजोरी है।
-मोहम्मद नासिर लिखते हैं कि अगर सरकार कुछ नहीं कर सकती है तो उन्हें कम से कम जनता को पहले से ही सचेत कर देना चाहिए ताकि वे खुद की हिफाजत खुद कर लें।
-शिव कुमार लिखते हैं कि पहले कसाब फिर अफजल गुरु अब तीसरा कौन? सरकार इनको खत्म करके आतंक का नाश करना चाहती है लेकिन क्या इसका कोई असर हो रहा है। जो लोग आतंक की मूल जड़ हैं उनका खात्मा नहीं हो रहा है।
-किसी ने लिखा कि कुछ दिनों पहले सरकार आतंक का कोई मजहब नहीं होता ऐसा ही कुछ स्टेटमेंट दे रहे थे लेकिन हैदराबाद में हुए ब्लास्ट ने तस्वीर फिर बदल दी।
-विक्रांत लिखते हैं कि धमाकों और हादसों के बाद सरकार के पास बस एक ही काम रह जाता है एक दूसरे को दोष लगाने का। हार तो बस आम इन्सान की होती है।
-विबीन लिखते हैं कि आज भी सोशल नेटवर्किग साइट और खबरों के टैग में क्रिकेट ही ज्यादा नजर आ रहे हैं। इससे साबित होता है कि हम आतंकवाद को लेकर कितने सतर्क हैं।
-शर्मा लिखते हैं कि कल ही लश्कर ए तैयबा के कुछ आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था और शाम को ही यह ब्लास्ट हो गया। इसका क्या मतलब है।