नई दिल्ली। 16 साल से कम उम्र की किशोरी की सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी रेप है। युवक का अपराध नरमी के लायक नहीं हैं। यह टिप्पणी करते हुए तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीके जैन की अदालत ने आरोपी वसीम को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई और उस पर 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया। रेप की शिकार हुई किशोरी ने इसी साल बच्ची को जन्म दिया है।
अदालत ने कहा कि रेप के समय पीड़िता को तत्काल तो शारीरिक और मानसिक कष्ट पहुंचता ही है इसके अलावा वह जीवन पर्यत इस बोझ को ढोती है। इस घटना में किशोरी अभी शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हुई है लेकिन वह बच्चे की मां बन गई है। किशोरी और युवक के सहमति से संबंध बनाने की दलील देने के बावजूद अदालत ने आरोपी को सजा में छूट देने से इन्कार कर दिया। किशोरी के पिता ने 27 मार्च 2012 को मामला दर्ज करवाया था। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने बताया कि जब वह सुबह उठे तो उनकी 14 साल की बेटी घर में नहीं थी। उन्होंने वसीम पर अपहरण का शक जाहिर किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। किशोरी खुद ही पुलिस के समक्ष उपस्थित हुई और बयान दर्ज कराया कि वह सहमति से वसीम के साथ घर से हरिद्वार चली गई थी। 25 मई 2012 आरोपी वसीम ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। किशोरी ने बताया कि वह जब हरिद्वार में थे तब उनके बीच संबंध कायम हुए थे।