नई दिल्ली, (अजय पांडेय)। सड़कों की जाने दीजिए, दिल्ली की महिलाएं घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। देश की राजधानी में रोज कम से कम एक महिला दहेज की बलि चढ़ाई जा रही है। दहेज नहीं लाने वाली औसतन 15 से 20 महिलाओं को रोज निर्दयता से पीटा जा रहा है। उनके हाथ-पांव तक तोड़ दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं प्रतिदिन सौ से ज्यादा अन्य महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। शहर की यह भयावह तस्वीर समाज के उन लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी हैं, जो सुरक्षा के नाम पर महिलाओं को चौखट के भीतर रखने की दलील देते फिरते हैं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की पहल पर दिल्ली सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में मुसीबतजदा महिलाओं की सहायता के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन 181 पर 15 जनवरी से 23 फरवरी के बीच करीब एक महीने में दर्ज कराई गई शिकायतों के आधार पर महिलाओं की घरों में हो रही दुर्दशा के ये दर्दनाक आंकड़े सामने आए हैं।
सूत्रों ने बताया कि 15 जनवरी से 23 फरवरी के बीच 181 हेल्पलाइन नंबर पर दहेज हत्या के 36 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। दहेज के लिए मारपीट और हाथ-पांव तोड़ने जैसे 520 मामले इस एक महीने के दरम्यान दर्ज कराए गए हैं। इसी अवधि में घरेलू हिंसा के अन्य 3,374 मामले उजागर हुए हैं। दिल्ली सरकार की यह हेल्पलाइन यूं तो जनवरी की शुरुआत से ही काम करने लगी थी लेकिन 15 जनवरी से इसने प्रभावशाली तरीके से काम करना शुरू किया। तब से अब तक इस पर कुल 86,718 कॉल रिसीव की गई हैं।
अधिकारी मानते हैं कि यह संख्या तब है जब हेल्पलाइन में तैनात कर्मचारी 77 प्रतिशत कॉल ही रिसीव कर पा रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि 100 प्रतिशत कॉल का तो जवाब नहीं दिया जा सका, लेकिन 85 प्रतिशत मामलों में कॉल करने वालों को पलट कर फोन किया गया और फोन करने वाली महिलाओं को जरूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई।
अधिकारियों ने बताया कि दर्ज की जा रही शिकायतों में 50 प्रशित मामले छेड़छाड़,भद्दी टिप्पणियों, पीछा करने तथा फोन पर अश्लील बातें करने से संबंधित हैं। इनके अलावा दो महीने की अवधि में दुष्कर्म के 65 मामले सामने आए हैं। इनमें कुछ तो पुराने मामले थे जबकि 10 ताजा मामले हैं। छह मामले नाबालिगों से दुष्कर्म से संबंधित हैं। इनमें से एक मामला तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म का भी है। मंगोलपुरी के एक स्कूल में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का मामला भी 181 पर दर्ज कराया गया था।
दिल्ली सरकार के आला आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार की यह हेल्पलाइन पीड़ितों व कार्रवाई करने वाली एजेंसियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रही है। ज्यादातर मामले पुलिस को बताए जा रहे हैं जिन पर कार्रवाई भी हो रही है। कुछ मामले दिल्ली महिला आयोग व अन्य संबंधित एजेंसियों को भी भेजे जा रहे हैं।