लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में डुबकी

kumbh snane 2013-3-10कुंभनगर । गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर बसी आस्था की नगरी में रविवार को एक बार फिर महाशिवरात्रि के अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े हैं। सुबह तड़के से ही संगम में साधु-संतों व श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का सिलसिला शुरू हो गया था। अब तक लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाशिवरात्रि पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के जत्थों का आना पिछले कई दिनों से चल रहा था। शनिवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेला क्षेत्र पहुंचे। मेला प्रशासन ने इस अंतिम स्नान पर्व पर 55 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान लगाया है। हर-हर महादेव की गूंज के साथ ही कुंभमेला 2013 समाप्त हो जाएगा।

गौरतलब है कि मकर संक्रांति के शाही स्नान से कुंभ मेला 2013 का विधिवत शुभारंभ हुआ था। अखाड़ों के महंत, हजारों संत-महात्माओं के भव्य शिविर से पूरा कुंभनगर 55 दिनों तक गुलजार था। प्रयाग में कल्पवास का आरंभ वैसे तो पौष पूर्णिमा से होता है और अमूमन मकर संक्रांति पौष पूर्णिमा के बाद आती है। वर्षो बाद ऐसा संयोग बना जब पौष पूर्णिमा मकर संक्रांति के बाद आई।

तीनों शाही स्नान का साक्षी बनकर अधिक पुण्य अर्जित करने के लिए हजारों श्रद्धालुओं ने इस बार मकर संक्रांति से ही डेरा जमा लिया था। कई लोगों की जान लेने वाली मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़, वसंत पंचमी पर आए आंधी-पानी के बाद भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा नहीं डिगी। बाद के पर्वो पर मेला क्षेत्र एक बार फिर भारी भीड़ का साक्षी बना। माघ पूर्णिमा पर शास्त्रीय विधान के अनुसार कल्पवास समाप्त होने के बाद भी मेला क्षेत्र में स्नानार्थियों का उमड़ना जारी रहा। मेला प्रशासन ने फिलहाल स्नान पर्व के लिए सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का दावा किया है।

स्नान के लिए महज 12 घाट

महाशिवरात्रि पर्व पर 55 लाख श्रद्धालुओं के महाकुंभ मेले में आने का अनुमान है और उनके स्नान के लिए महज 12 घाटों का ही निर्माण हो पाया है। इस महापर्व पर श्रद्धालुओं के स्नान-दान के लिए 22 घाटों को बनाने की योजना थी।

कुंभ पर्व पर छह प्रमुख स्नान पर्वो के लिए मेला प्रशासन का दावा था कि 29 घाटों का निर्माण किया जाएगा। मगर किसी भी स्नान पर्व पर इतने घाट नहीं बन पाए। इस बार गंगा के तेज कटान के कारण सिंचाई विभाग ने हजारों क्रेट्स लगाए, मगर कटान की स्थिति में ज्यादा अंतर नहीं आया। यही वजह है कि किसी भी स्नान पर्व पर अपेक्षा के मुताबिक लोक निर्माण विभाग घाटों का निर्माण नहीं कर पाया। कुंभ के अंतिम महाशिवरात्रि पर्व पर तो घाटों की स्थिति और भी दयनीय हो गई। मेलाधिकारी मणि प्रसाद मिश्र के मुताबिक बारिश हो जाने के कारण बांधों में ज्यादा पानी एकत्रित हो गया था। इस वजह से कानपुर, बिजनौर और नरौरा बैराज से पानी छोड़ना पड़ा। इससे यहां के कई घाट डूब गए। लोक निर्माण विभाग ने कोशिश की, मगर 12 से ज्यादा घाटों का निर्माण नहीं हो पाया।

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