नई दिल्ली। साल 2006 के मायापुरी में चलती कार में हुए रेप के आरोपी निरंजन कुमार मंडल ने रिहाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से अपना आत्मसम्मान वापस दिलाने की गुहार लगाई है।
मंडल का कहना है कि किसी रेप की शिकार पीड़िता को जिस तरह से सारी जिंदगी इस दाग को लेकर जीना पड़ता है, उसी तरह इस तरह के झूठे मामले में आरोपी बनाए गए व्यक्ति को भी सारी उम्र इस कलंक के साथ जीना पड़ता है। यह महज एक कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है, जो सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका से सामने आती है।
वर्ष 2006 में मायापुरी में चलती कार में हुए रेप के मामले में जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया गया था, उसे कोर्ट ने अब बाइज्जत बरी कर दिया है। लेकिन उसके लिए आज जिंदगी बदहाली से ज्यादा कुछ नहीं है। उसने सुप्रीम कोर्ट से अपना आत्मसम्मान वापस दिलाने की गुहार लगाई है। उसका कहना है कि झूठे मामले में आरोपी बनाकर समाज में उसकी इज्जत पर दाग लगाया गया है, उसे वापस पाना काफी मुश्किल है। उसके गांव में आज भी लोग उसे एक आरोपी की तरह ही देखते हैं और उससे नफरत करते हैं।
उसका मानना है कि जिस तरह से मीडिया में उसको आरोपी बनाने और महिला के साथ रेप करने की बातें कही गई थीं, उसके बरी होने के बाद मीडिया ने वह खबरें नहीं दिखाई जिससे उसकी बेगुनाही को साबित किया जा सके। लिहाजा समाज में उसके खिलाफ व्याप्त नफरत बरकरार है।
गौरतलब है कि साल 2006 में चलती कार में एक गर्भवती महिला के साथ हुए रेप के मामले में आरोपी निरंजन मंडल को चार साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सबूतों में कमी की वजह से उसे रिहा कर दिया गया था।
मायापुरी रेप केस में बरी हुए निरंजन मंडल को पुलिस गलत तरीके से धौलाकुआं रेप केस में पूछताछ के लिए ले गई थी। 2006 में मायापुरी इलाके में हुई रेप के मामले में निरंजन कुमार मंडल आरोपी था। उसे 17 जनवरी 2006 को गिरफ्तार किया गया था। तब से वह लगातार जेल में था। इस मामले में वह 25 मार्च 2010 को द्वारका कोर्ट से बरी हो गया था।