मुंबई। 12 मार्च, 1993 को हुए मुंबई बम धमाकों की आज 20वीं बरसी है। कीर्ति अजमेरा सैकड़ों लोगों में एक ऐसे शख्स हैं, जो 20 साल पहले हुए इस सीरियल बम ब्लास्ट का शिकार हो गए थे। दो दशक से लगातार कष्ट की जिंदगी जीने वाले इस बहादुर आदमी ने अपने इलाज में अब तब 20 लाख रुपये खर्च कर डाले हैं, लेकिन उन्हें उस 25 हजार रुपये बतौर मुआवजा राशि का आज भी इंतजार है जिसे सरकार ने उन्हें देने की घोषणा की थी।
अजमेरा उस दिन बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सामने खड़े थे, जहां धमाका हुआ। बम धमाके से अजमेरा का शरीर कांच के टुकड़ों से छलनी हो गया था। गंभीर से रूप से घायल अजमेरा अब तक 40 बार अपना ऑपरेशन करा चुके हैं, जिसमें 20 लाख से ज्यादा का खर्च आया।
अजमेरा ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि सरकार उस मुआवजे को देने में पूरी तरह नाकाम रही जो मुझे मिलना चाहिए था।’ उस दर्दनाक हादसे को याद करते हुए उन्होंने बताया, 12 मार्च, 1993 को मैं बंबई स्टॉक एक्सचेंज में काम कर रहा था जहां मैं मौत से बचने में कामयाब रहा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के परिसर में प्रवेश करने से पूर्व ही धमाका हो गया। हालांकि धमाके के बाद मैं बेहोश हो गया था। उन्होंने कहा, ‘जब मैं यहां आया तो ढेर सारे बिखरे खून दिखाई दिए और सड़क पर कई क्षत-विक्षत शरीर के टुकड़े पड़े थे।’ उस हादसे को याद करते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे एक टैक्सी से जीटी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वे मुझे भर्ती नहीं कर सके क्योंकि वहां पर कोई बेड ही खाली नहीं था। अस्पताल दो बम धमाकों के बीच में स्थित था। कृतज्ञता के साथ, धमाके में घायल हुए एक शख्स की मौत के बाद मुझे बेड मिला। मैं भाग्यशाली था कि मुझे जल्दी से अस्पताल पहुंचाया गया और मुझे एक खाली बेड मिल गया।’ 55 साल के हो चुके अजमेरा को धमाकों के 20 साल बाद भी आज तक सरकार से एक रुपया नहीं मिला है और आज भी उन्हें उस 25,000 रुपये मुआवजे का इंतजार है जिसे सरकार ने देने का वादा किया था।
अजमेरा याद करते हैं कि चोटिल हाथ और लगातार ऑपरेशन से उन्हें विगत 20 सालों में काफी कष्ट उठाना पड़ा। धमाके में गंभीर से रूप से घायल हुए अजमेरा कहते हैं कि आज भी मेरे शरीर के दाएं हिस्से में दर्द रहता है। मेरे शरीर का अब तक 40 बार ऑपरेशन किया जा चुका है। हर दूसरे महीने मेरे शरीर से कांच का कोई न कोई टुकड़ा मिलता ही है। 20 सालों से शारीरिक यंत्रणा सहने वाले अजमेरा आज भी सरकारी उदासीनता से काफी दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने सीरियल बम धमाके के बाद सरकार द्वारा घोषित 25 हजार रुपये की मुआवजा के लिए हर संभव दरवाजा खटखटाया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुझे हर रात जाग कर गुजारना पड़ा। मुझे उम्मीद थी कि किसी दिन सरकार का कोई आदमी आएगा और मुझे वह मुआवजा राशि देगा। ढेर सारे विधायक और सांसद मेरे घर आए लेकिन किसी ने मुझसे मेरी उस मुआवजा राशि की बात नहीं कि जिसे पाना मेरा अधिकार था।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे अब पैसे की जरूरत नहीं है। लेकिन मैं देखना चाहता हूं कि सरकार मुझे मेरी मुआवजा राशि कब तक देती है। सवाल यह नहीं है कि मैं अमीर हूं या गरीब। यह सरकार के लिए शर्मनाक है। देश में ऐसे बहुत से पीड़ित हैं जो मेरी तरह ऐसे हादसों के शिकार हुए और वे अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे मेरे परिवार और दोस्तों का पर्याप्त सहयोग मिला। मैंने इलाज के दौरान आने वाले खर्च को वहन कर लिया।’ उन्होंने कहा, ‘इलाज में कुल 20 लाख का खर्च आया। मैं सात साल तक अस्पताल में भर्ती रहा लेकिन कोई अधिकारी मुझसे मिलने नहीं आया।’ उन्होंने आगे कहा, ‘धमाके के चार महीने बाद मेरा भाई विजय अजमेरा सरकार द्वारा स्थापित पीड़ितों को मुआवजा राशि देने के लिए गठित स्पेशल विभाग में गया और उसने वह मुआवजा राशि की मांग की तो वहां के एक अफसर ने यह कहते हुए उसे वहां से लौटा दिया कि जब तुम्हारा आदमी मर जाए तो तब आके दो लाख रुपये लेकर जाना। वे लोग मेरे मरने का इंतजार कर रहे हैं।’