नहीं माना इटली तो कड़ा जवाब दिया जाएगा: मनमोहन सिंह

manmohansingh 2013-3-13नई दिल्ली। इटली द्वारा दो भारतीय मछुआरों को मारने वाले नौसैनिकों को वापस भारत न भेजने के मुद्दे पर बुधवार को संसद में हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष को घेरा। विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है। इस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इटली ने अपने रूख में बदलाव नहीं किया तो जवाब दिया जाएगा।

इटली के नहीं मानने के पीछे संयोग कहिए या फिर सोची समझी इतालवी रणनीति। वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे पर आधिकारिक दस्तावेजों की पहली खेप भारत पहुंचते ही इटली सरकार ने अपने दो नौसैनिकों को वापस भेजने से इन्कार कर दिया। पिछले साल दो भारतीय मछुआरों की हत्या और हेलीकॉप्टर सौदे में जारी सीबीआइ जांच के बीच यूं तो कोई सीधा रिश्ता नहीं है, लेकिन सौदे पर भारत में सरकार की बढ़ी परेशानियों व इटली सरकार की सीनाजोरी की टाइमिंग सोची-समझी योजना के सबूत पेश करती है।

इतालवी पोतरक्षकों के खिलाफ भारत में चल रहे मामले को लेकर दोनों मुल्कों के बीच एक साल से तनाव चल रहा है। इटली उसके नौसैनिकों की गिरफ्तारी से लेकर उनके मुकदमे तक विरोध कर रहा था। पिछले साल इतालवी प्रधानमंत्री मारियो मोंटी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिह के बीच मामले को लेकर फोन पर हुई बातचीत में भी तल्खी का असर नजर आया था।

इस साल की शुरुआत तक सब सामान्य चल रहा था। दिसंबर 2012 में क्रिसमस की छुट्टियों में अदालत से इजाजत लेकर इटली गए दोनों नौसैनिक 4 जनवरी 2013 को भारत लौट आए थे। हालात में तेजी से करवट का दौर इसके करीब एक माह बाद शुरू हुआ, जब भारत के साथ हुए हेलीकॉप्टर सौदे में घूसखोरी के आरोपों के चलते इटली में फिनमैकेनिका और सहयोगी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के सीइओ 12 फरवरी को गिरफ्तार किए गए।

गिरफ्तारी से चंद रोज पहले इटली ने नौसैनिकों को आम चुनाव के लिए भेजे जाने की दरख्वास्त भारतीय अदालत में दी। इस बीच इतालवी कंपनी के साथ हेलीकॉप्टर सौदे को लेकर उठे सियासी बवंडर के बीच हड़बड़ाई भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय और सीबीआइ की एक जांच टीम 17 फरवरी को इटली रवाना की। इटली ने हेलीकॉप्टर सौदे की पड़ताल के दस्तावेज भारतीय दल को देने से तो इन्कार कर दिया, लेकिन टीम के भारत लौटने से पहले दोनों इतालवी नौसैनिक 25 फरवरी को हुए चुनावों में मतदान के लिए इटली पहुंच चुके थे। वैसे यह सवाल लाजिमी था कि आखिर दो इतालवी नौसैनिकों को मतदान के लिए वापस क्यों ले जाया जा रहा था, जबकि भारत में मौजूद अन्य इतालवी नागरिक दूतावास के जरिये अपना मत डाल सकते थे। उधर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे इटली की तरफ से वकालत कर रहे थे लेकिन अब इस मामले को गलत ठहराते हुए अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।

डेनिली को लौटा सकता है भारत

अंतरराष्ट्रीय व्यवहार की आचार संहिता का एक अहम कायदा है, पैक्ट सुंट सरवंडा। लैटिन भाषा के इस जुमले का अर्थ है कि हर मुल्क अपने वादों और वचनों को निभाएगा। इटली ने अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के इस मूल कायदे पर ही भारत को ठेंगा दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी 2013 को इतालवी राजदूत की ओर से दाखिल जिस हलफनामे के बाद अदालत ने इतालवी नौसैनिकों को मतदान के लिए इटली लौटने की इजाजत दी थी, वह अब वादाखिलाफी का परवाना साबित हो रहा है। ऐसे में भारत के लिए इतालवी राजदूत डेनिली मेनसिनी की सेवाओं को जारी रखना खासा मुश्किल होगा।

भारत के पास राजनयिक विशेषाधिकार व सुरक्षा के चलते इतालवी राजदूत के खिलाफ अदालत में दाखिल हलफनामे से मुकरने को लेकर किसी कानूनी कार्रवाई के विकल्प नहीं हैं। हालांकि, राजनयिक व्यवहार के खिलाफ इस आचरण के बाद इतालवी राजदूत की ओर से भारत के राष्ट्रपति को सौंपे गए साख के परिचय-पत्र को नकारने का अधिकार उसके पास है। अगर किसी मुल्क का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनयिक की साख ही न रहे तो उसके साथ कामकाज मुश्किल है। सूत्रों के अनुसार ताजा मामले में भारत के पास इतालवी राजदूत की सेवाएं लौटाने के राजनयिक हथियार के इस्तेमाल का अधिकार किसी भी समय उपलब्ध है। हालांकि, अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है।

19 फरवरी 2013 को दाखिल हलफनामे में इतालवी राजदूत ने वचन दिया था कि अदालत की ओर से दिए आदेशों का पालन किया जाएगा। साथ ही इटली में भी इतालवी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दोनों नौसैनिकों को 24 घंटे सुरक्षा और निगरानी में रखा जाएगा। इतालवी सरकार भी यह तय करेगी कि दोनों नौसैनिक अदालती आदेश के मुताबिक निर्धारित मियाद में भारत लौटें। इटली सरकार ने भारत में दिए इस हलफनामे को ठेंगा दिखाते हुए नौसैनिकों को भारत को लौटाने से इन्कार कर दिया है।

संसद में भाजपा ने उठाया सवाल

इतालवी नौसैनिक को भारत भेजने के इटली के इन्कार से भड़की भाजपा ने इसे कूटनीतिक साठगांठ करार दिया है। भाजपा ने कहा कि जब-जब अपराधी इटली का होता है, तब-तब भारत का कानून ढीला क्यों हो जाता है? बुधवार को दोनों सदनों में भाजपा इसी मुद्दे पर सरकार को घेर रही है। पीएम के जवाब के बीच में ही भाजपा ने हंगामा शुरू कर दिया। वामदल समेत दूसरे दल भी सरकार को कठघरे में खड़ा करेंगे।

यूं तो इटली के रवैये पर खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आपत्ति जताते हुए इसे अस्वीकार्य बता दिया है, लेकिन भाजपा इसी के सहारे इटली से जुड़े दूसरे मुद्दों को भी गर्म करने की कोशिश कर रही है। मंगलवार को ही भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि यह पूरा मसला पूर्वनियोजित लगता है। इससे पहले भी बोफोर्स घोटाले के दोषी क्वात्रोची को संप्रग सरकार ने न सिर्फ स्वच्छंद कर दिया था, बल्कि उसके खाते पर लगी पाबंदी भी हटवा दी थी। हेलीकॉप्टर घोटाले के तार भी इटली से जुड़े हैं। नौसैनिक मामले में भी यह साठगांठ दिख रही है।

error: Content is protected !!