नई दिल्ली। सोनिया गांधी ने गुरुवार को बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पंद्रह वर्ष पूरे कर लिए। देश की और दुनिया की सबसे ताकतवर महिला के रूप में शुमार की जाने वाली सोनिया गांधी ने पार्टी प्रमुख के तौर पर न सिर्फ कांग्रेस को दो बार केंद्र की सत्ता में वापस लौटाया बल्कि भारतीय राजनीति में एक दमदार भूमिका भी निभाई।
14 मार्च 1998 को जब सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान सीताराम केसरी से ली थी उस वक्त कांग्रेस अपने खोए हुए अस्तित्व को पाने की कोशिश कर रही थी। राजीव गांधी के आकस्मिक निधन के बाद कांग्रेस को कोई संभालने वाला नहीं था। इसके चलते कांग्रेस का स्तर लगातार गिर रहा था। ऐसे में कांग्रेस की कमान सीताराम केसरी के हाथों में सौंप दी गई। केसरी ही वह व्यक्ति थे जो काफी मानमनोवल के बाद सोनिया गांधी को राजनीति में लाने में कामयाब हुए। सोनिया के राजनीति में आने के बाद से ही पार्टी का कायाकल्प भी शुरू हो गया। 2004 में जब कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी उस वक्त सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस में स्वर मुखर हुए। लेकिन सोनिया ने प्रधानमंत्री का पद अस्वीकार अपने उन विरोधियों को करारा जवाब दिया जो उन्हें विदेशी बताकर पीएम पद के लिए अयोग्य करार दे रहे थे।
सोनिया गांधी के इस कदम के साथ ही उनकी प्रतिष्ठा लोगों में बढ़ गई। सोनिया गांधी के पार्टी प्रमुख के रूप में कांग्रेस ने लगातार दो बार केंद्र में सत्ता हासिल की। हालांकि दोनों ही बार गठबंधन सरकार के मुखिया के तौर पर कांग्रेस सामने आई और पूर्ण बहुमत पाने में नाकामयाब रही, लेकिन वह दोनों ही बार देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
इन पंद्रह वर्षो में सोनिया गांधी ने भारतीय राजनीति का ककहरा भी खूब सीखा। हिंदी की न के बराबर जानकारी रखने वाली सोनिया आज ग्रामीण हो या शहरी हर तरह की जनता को अपने संबोधन से रिझाने में कामयाब दिखाई देती हैं। राजीव गांधी की हत्या के बाद पूरे परिवार को राजनीति से हटा लेने वाली सोनिया आज भारतीय राजनीति का एक दमदार चेहरा है।
सोनिया के नेतृत्व में ही अब कांग्रेस 2014 के आम चुनावों की तैयारी में जुटी है। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस बार भी कामयाबी के झंडे गाड़ेगी। इन पंद्रह वर्षो में सोनिया के लिए राहें काफी मुश्किल भरी रही हैं। लेकिन सोनिया ने हर मुश्किल परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया है। इटली की लड़की आज भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया भर शशक्त चुनिंदा महिलाओं में शुमार की जाती है। गठबंधन सरकार की मुश्किलों को दूर कर आपस में सामंजस्य कायम कर दोनों बार केंद्र में सरकार को सफलतापूर्वक चलाने का श्रेय भी सोनिया गांधी को ही जाता है।