भोपाल। कभी-कभी अंधविश्वास आदमी के दिमाग पर इस कदर हावी हो जाता है कि वह भूल जाता है कि सफलता पाने के लिए कर्म और लगन की जरूरत होती न की जादू-टोने व अंधविश्वास की। लेकिन मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिला झाबुआ में विद्यार्थियों को खुद पर विश्वास नहीं है और बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर व सफलता पाने के लिए बकरे और मुर्गियों की बलि चढ़ा रहे हैं। जिला झाबुआ मध्यप्रदेश में आता है लेकिन इसके कुछ गांव गुजरात की सीमा से लगे हुए हैं। झाबुआ से 45 किलोमीटर दूर रानापुर गांव में बाबा डोंगर नाम के एक आदिवासी देवता हैं जिनके बारे में स्थानीय लोगों में मान्यता है कि वे सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। यहां पर परीक्षार्थियों ने अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए पेड़ों के चारों तरफ प्रवेश पत्र की फोटो कॉपियां बांध रखी है। साथ ही परीक्षार्थियों ने वादा किया है कि मनोकामना पूरी होने पर वे देवता को बकरी, मुर्गी या शराब की बोतल भेंट चढ़ाएंगे। गुजरात के दाहोड से 10वीं की छात्रा गीताबेन पटेल ने परीक्षा में बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए इस गांव में आई और अपनी मनौती रखी। इसके लिए उसने यहां पर अपनी प्रवेश पत्र की फोटो कॉपी भी बांधा है। इसी तरह मावी तरु भाई पटेल जो स्टॉफ सर्विस सलेक्शन [एसएससी] द्वारा आयोजित क्लर्कियल ग्रेड की परीक्षा देने वाले हैं ने भी इस देवता के समक्ष अपनी मनोकामना रखी है।
पुजारी थावर सिंह हटिला ने बताया कि यहां पर न सिर्फ विद्यार्थी आते हैं बल्कि यहां आने वालों में अध्यापक, राजनेता और सरकारी नौकरी पेशा से जुड़े लोग भी आते हैं। यहां पर ज्यादातर परीक्षा में अच्छे नंबर पाने, तरक्की पाने या पारिवारिक विवाद सुलझाने की मनोकामना की जाती है। इस इलाके में ज्यादातर भील, भिलाला, पटेलिया और गारी आदिवासी जातियां रहती हैं। हर दिन यहां पर लगभग 500 जानवर बलि की वेदी पर चढ़ाए जाते हैं और एक दर्जन से ज्यादा पुजारी बलि चढ़ाने का काम करते हैं।
झाबुआ जिले में थांडला जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले रानी गांव के सेक्रेटरी भुरा लाल झोदिया पूरे विश्वास के साथ यहां आए हैं। जिले की जिलाधिकारी ने भुरा लाल के काम में अनियमितता पाए जाने पर उनके वित्तीय अधिकार पर रोक लगा दिया है। इसके लिए भुरा लाल ने मनौती रखी है कि वह एक बलि चढ़ाएंगे जब जिलाधिकारी उन पर से लगाए प्रतिबंध को हटा लेंगी। इसके लिए उन्होंने जनपद पंचायत सीईओ [मध्यप्रदेश में हर जिले में एक सीईओ होता है] से भी पैरवी लगवाई है जिन्होंने जिलाधिकारी को अनुरोध करते हुए एक पत्र लिखा है कि भुरा लाल पर लगाए फैसले पर पुन: विचार किया जाए।