मुंबई। कुत्ते की समझदारी पर अदालत ने भी भरोसा जताया है। बांबे हाई कोर्ट ने कुत्ते द्वारा की गई आरोपी की शिनाख्त के आधार पर डकैती व हत्या के मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत से मिली उसकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। एक अन्य व्यक्ति को गवाह की शिनाख्त के आधार पर दोषी ठहराया गया है, जबकि तीन अन्य को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। जस्टिस पीडी कोडे व जस्टिस वीके ताहिलरमानी की पीठ ने पिछले हफ्ते इजाबुल जान मुहम्मद शेख को गवाह द्वारा पहचाने जाने व रमेश राजा चौहान की उम्रकैद की सजा को कुत्ते की शिनाख्त के आधार पर बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से इस बात को स्वीकार किया जा चुका है कि कुत्ता बहुत बुद्धिमान जानवर होता है, कुछ मामलों में उसकी समझ अत्यधिक विकसित व भरोसेमंद होती है। तीन अन्य आरोपियों मनोज कुमार गुप्ता, अशोक चौहान व चांडया पवार को बरी कर दिया गया। इन सभी आरोपियों को सेवरी सत्र न्यायालय ने यहां पर दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मामला जनवरी 19, 2003 का है, जब आरोपियों ने घाटकोपर स्थित ममता कोआपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में विशाल मेहता के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित घर में प्रवेश किया। उन्होंने घर में सो रहे विशाल के माता-पिता व भाई की लोहे की छड़ से मारकर हत्या कर दी थी। घर में प्रवेश से पहले उन्होंने बिल्डिंग के वॉचमैन की भी हत्या कर दी थी। सोसाइटी में ऊपरी तल पर रहने वाले कुछ निवासियों ने जब कुछ लोगों को परिसर में खड़े देखा तो उन्होंने अलार्म बजाया, जिसके बाद वे भाग गए। घटना की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस को परिसर से एक जोड़ी चप्पल मिली। जब कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया तो स्नीफर कुत्ता बुलाया गया। उसे चप्पलों को सूंघाने के बाद कतार में खड़े आठ लोगों के पास ले जाया गया। कुत्ता रमेश राजा की तरफ देखकर भौंका।
पुलिस के मुताबिक, इस प्रक्रिया को तीन बार दोहराया गया। हर बार उसने रमेश की ही पहचान की। हाई कोर्ट ने भी इस बात पर ध्यान दिया कि कुत्ते ने एक नहीं तीन बार रमेश राजा को भी पहचाना। अदालत ने उस दुकानदार के बयान को भी माना जहां से रमेश राजा ने लोहे की छड़ खरीदी थी। इसके अलावा बिल्डिंग में ऊपरी तल रहने वाले शशिकुमार ने इजाबुल की पहचान की, जिसके बाद अदालत ने उसे दोषी ठहराया।