शिवपाल बोले, चरस पीते हैं बेनी बाबू

shivpal yadavवाराणसी । उत्तर प्रदेश में केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बीच चल रहा रार रविवार को और आगे बढ़ा। प्रदेश में लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि बेनी प्रसाद का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। इससे पूर्व वह बेनी पर अफीम तस्करी में शामिल होने और चरस पीने का भी आरोप लगा चुके हैं। शिवपाल ने रविवार को कहा कि बेनी का खाने-पीने का संतुलन गड़बड़ा गया है, इसीलिए वह बे-सिर पैर की बातें करने लगे हैं। उनका मानसिक चिकित्सालय में उपचार कराया जाना जरूरी हो गया है। एक कारण और भी है, कांग्रेस के लोगों को भय सताने लगा है कि सपा के समर्थन के बिना केंद्र में किसी की सरकार बनने वाली नहीं है। इसी हताशा के चलते अनाप-शनाप बयानबाजी की जा रही है। शिवपाल रविवार को वाराणसी में थे। वहीं, शनिवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि केंद्रीय इस्पात मंत्री लोहे का अवैध धंधा चलवा रहे हैं।

बाराबंकी में अफीम तस्करी का भी इन पर आरोप लगता रहा है। मंत्रालय के संसाधनों का भी दुरूपयोग कर रहे हैं। ऐसे में उनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच जरूरी हो गई है। मालूम हो कि गत दिनों बेनी ने मुलायम सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद सपा की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया हुई। इसे लेकर प्रदेश की राजनीति इस समय गरमाई हुई है।

अपने ही दांव में फंसे मुलायम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सियासत के अखाड़े में बड़ों-बड़ों को धोबीपाट दे चुके समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद अपने ही दांव में फंसकर कसमसा रहे हैं। सियासी हवा को पहले से पहचानने में माहिर रहे मुलायम ने हालात के हिसाब से दुश्मनों को दोस्त और दोस्तों को दुश्मन बनाया। चंद्रशेखर से लेकर वामदलों और हाल में ममता बनर्जी तक को ऐन मौकों पर चौंका चुके मुलायम पर फिर सबकी नजरें लगी हैं।

ताबड़तोड़ बयानों से सियासी हलचल पैदा कर रहे मुलायम वास्तव में खुद अपने अगले कदम के बारे में भ्रमित हैं। संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा प्रमुख कभी भाजपा की तारीफ करते हैं तो अगले ही दिन कांग्रेस को धोखेबाज और ठग बताते हैं। कांग्रेस के बड़े नेता तो मुलायम के रुख पर कोई सख्त प्रतिक्रिया दे नहीं रहे, लेकिन उनके पुराने सहयोगी रहे केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा लगातार सपा सुप्रीमो पर तीखे तंज मार रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आश्वासन के बावजूद बेनी पर कोई कार्रवाई तो हुई नहीं, उल्टे वह पूरे उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर मुलायम पर निशाना साध रहे हैं।

बेनी से गाली दिलवाकर कांग्रेस के बड़े नेता मुलायम से रिश्ते मधुर रखे हैं। बेनी लगातार सपा के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। मुलायम खुद भौंचक हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि इन हालात में क्या करें? वह समर्थन वापसी का इशारा करते हैं। अगले ही पल सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के नाम पर पीछे हट जाते हैं। दरअसल, उन्हें भरोसा नहीं है कि सपा के समर्थन वापस लेने के बाद भी केंद्र सरकार गिरेगी। अलबत्ता, उत्तर प्रदेश में उनकी प्रतिद्वंद्वी बसपा सुप्रीमो मायावती इस मौके का फायदा उठाकर कांग्रेस के और करीब चली जाएंगी।

इस बीच उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने सपा के खिलाफ आक्रामक अभियान की तैयारी कर ली है। यह भी तय है कि सिर्फ संसद के बजट सत्र तक ही कांग्रेस थोड़ा-बहुत लिहाज करेगी। इसके बाद बेनी ही नहीं, कांग्रेस पूरी ताकत के साथ यूपी की सपा सरकार के खिलाफ अभियान चलाएगी। कुल मिलाकर कांग्रेस मुलायम पर हल्ला बोलकर उनसे अल्पसंख्यक और गैर यादव पिछड़ा वोट छीनने की रणनीति बना रही है।

यूपी में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर पहले से ही बैकफुट पर मुलायम के लिए इन हालात में सरकार के साथ रहना और उसे छोड़ना दोनों ही मुश्किल हो रहा है। उनसे बुरी गत पार्टी के अन्य नेताओं की है। कारण यह है कि जो भी फैसला लेना है, वह सिर्फ और सिर्फ मुलायम ही जानते हैं। अन्य नेताओं को अंदाजा तक नहीं है कि अगले दिन नेताजी का रुख क्या होगा?

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