कैग ने शीला सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

Shila dixitनई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने मार्च 2012 में समाप्त वित्त वर्ष की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा पटल पर रखी। इस रिपोर्ट में कई सरकारी विभागों में कमियों और वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है। कैग ने स्वास्थ्य, परिवहन, ऊर्जा, जल एवं सीवेज, ढांचागत क्षेत्रों में हुए कार्यो पर सवालिया निशान लगाए हैं।

आखिर क्यों सरकारी अस्पताल समय पर मरीजों के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करा पाती है, इसका खुलासा कैग ने अपनी रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दो प्रमुख अस्पताल लोकनायक अस्पताल और गुरु तेगबहादुर अस्पताल के एंबुलेंसों का ज्यादातर उपयोग दवा, डॉक्टरों, कैश और शवों को ढोने में किया गया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में अस्पतालों में दवा और स्टाफ की भारी कमी का भी जिक्र किया है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में निजी हाथों में सौंपी गई बिजली व्यवस्था में सरकार के लेटलतीफी के कारण निजी कंपनियों को करीब 700 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने की बात कही गई है।

कैग रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में पानी की भयंकर किल्लत है। जल बोर्ड पिछले 18 वर्षो में कई परियोजनाओं पर करोड़ों खर्च चुका है लेकिन वह पानी सप्लाई और इसकी क्षति पर अंकुश नहीं लगा पाया है। दिल्ली में 32.53 लाख लोगों को रोजाना महज 3.82 लीटर पानी से संतोष करना पड़ता है जो विश्वस्तरीय मानक से काफी कम है। विकसित देशों में आदर्श मानक 135 लीटर प्रति व्यक्ति है तो दिल्ली में 172 लीटर पानी देने की बात कही जाती है। इन लोगों को पानी की आपूर्ति आपूर्ति टैंकरों के माध्यम से की जाती है।

कैग रिपोर्ट में जल बोर्ड पर आबोहवा में जहर घोलने का आरोप तो लगा ही है। साथ ही करोड़ों रुपये के वित्तीय अनियमितताओं का भी उल्लेख है। जल बोर्ड के 32 में से 15 सीवेज शोधन संयंत्र अपनी क्षमता से कम कार्य कर रहे हैं। 2007 से 2012 के दौरान एक एमजीडी क्षमता का सीवर शोधन संयंत्र लगाने व 900 किलोमीटर की सीवर लाइन बिछाने में 1634.18 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।

दिल्ली सरकार की अति महत्वाकांक्षी सिग्नेचर ब्रिज परियोजना में इस्तेमाल हो रहे चीन के कलपुर्जो पर भी कैग ने सवाल उठाए हैं। निर्माणकर्ता दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) की असफलता से योजना लागत 459 करोड़ रुपये से बढ़कर 1131 करोड़ रुपये हो गई।

गरीबों के लिए मकान बनाने का दावा करने वाली सरकार पर कैग रिपोर्ट काफी भारी पड़ी है। जगह उपलब्ध न होने से 44720 फ्लैटों का निर्माण नहीं हो पाया है। जबकि अभी तब निर्माण हुए 10684 मकानों में से महज 85 मकानों का ही आवंटन किया जा सका।

कैग ने डिम्ट्स (दिल्ली इंटीग्रेटिड मल्टी मॉडल ट्रांजिट) के गठन पर ही सवाल खड़े किए हैं। मंत्रिमंडल ने सितंबर 2008 में डिम्टस को पूरे शहर की परिवहन व्यवस्था के जरूरतों तथा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए गठन किया था। परिहवन विभाग ने वित्तीय नियमों का उल्लंघन कर डिम्टस को एक के बाद एक का देना जारी रखा।

रिपोर्ट में शहर में पीडब्ल्यूडी द्वारा कराए गए निर्माण कार्यो में मनमानी, ठेकेदारों द्वारा प्रोजेक्ट्स में देरी व मानक में गड़बड़ी केबावजूद पेनाल्टी न लगाने की बात कही गई।

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